नई दिल्ली। भारत ही नहीं दुनिया भर की बड़ी आईटी कंपनियां ले ऑफ की तैयारियां कर रही है। ट्विटर, मेटा, अमेजन जैसी कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही है। इन कंपनियों की आय तेजी से गिरी है। 44 अरब डॉलर में अधिग्रहण करने के बाद दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने तो ट्विटर के दिवालिया होने की संभावना तक जता दी है। बड़ी कंपनियों द्वारा ले ऑफ की घोषणाएं दुनिया में मंदी की आहट के संकेत दे रही है।
सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर और मेटा की डगमगाती आर्थिक स्थिति ने लोगों को हैरान कर दिया है। मेटा 11 हजार कंपनियों की छंटनी का ऐलान कर चुकी है। कंपनी का दावा है कि जुलाई से सितंबर के क्वार्टर में कंपनी को 4 फीसदी रेवेन्यू का नुकसान हुआ है। सालभर में कंपनी का शेयर 338 डॉलर से घटकर 90 डॉलर तक पहुंच गया।
फेसबुक, व्हाट्सएप आदि के मालिकाना हक वाली मेटा द्वारा 10 प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही मार्च 2023 तक नई भर्तियों पर भी रोक लगा दी है। जिन कर्मचारियों की छंटनी होगी उन्हें 4 माह का वेतन दिया जाएगा।
इससे पहले ट्विटर ने पिछले हफ्ते ही अपने 7500 में से आधे से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। मस्क ने ट्वीट कर कहा था कि उनके पास छंटनी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
अमेजन, वॉलमार्ट, फोर्ड, अलीबाबा समेत कई बड़ी कंपनियों ने कॉस्ट कटिंग करते हुए बड़े पैमाने पर छंटनी की है। इन कंपनियों ने अपने कई कर्मचारियों को नई नौकरियां खोजने को कहा है।
कहा जा रहा है कि कोरोना काल में दिखे पोटेंशिअल की वजह से कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भर्तियां की थी। अब दुनिया फिर सामान्य स्थिति में लौट रही है। ऐसे में उस काल में भारी फायदा कमाने वाली कंपनियों का रेवेन्यू कम हुआ है और इन्हें छंटनी का रास्ता चुनना पड़ा है। इसके ठीक उलट भारत में मून लाइटिंग की वजह से बड़ी संख्या में लोग टीसीएस, वीप्रो और इंफोसिस जैसी कंपनियां छोड़ कर जा रहे हैं। इस वजह से इन्हें फ्रेशर्स पर ज्यादा भरोसा करना पड़ रहा है।
वेब पोर्टल नौकरी जॉब स्पीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जॉब मार्केट तो अभी भी स्ट्रॉग है, लेकिन आईटी सेक्टर की कंपनियों ने जॉब पोस्टिंग अगस्त 2022 में घटा दी। मंदी की आशंकाओं के कारण कर्मचारी एक कंपनी को छोड़कर दूसरी कंपनी में कम जा रहे हैं। कंपनियां भी कर्मचारियों के कंपनी छोड़कर जाने पर या फिर कुछ ग्रोथ होने के कारण ही जॉब के लिए विज्ञापन दे रही हैं।
पहले कोरोना, रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बेरोजगारी का संकट झेल रही दुनिया के सामने इन दिग्गज कंपनियों की छंटनी ने नई समस्या पैदा कर दी है। इन दिग्गज कंपनियों के रास्ते पर चलकर अब कई छोटी कंपनियां भी कॉस्ट कटिंग की राह अपना सकती है।
Edited by : Nrapendra Gupta