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इस्लामवाद के लिए 'उपयोगी काफिर' साबित होंगे मैक्रोन

हमें फॉलो करें इस्लामवाद के लिए 'उपयोगी काफिर' साबित होंगे मैक्रोन
पैरिस , सोमवार, 8 मई 2017 (14:08 IST)
एमानुएल मैक्रोन (39) फ्रांस के नए राष्ट्रपति होंगे। वे फ्रांस के इतिहास के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति चुने गए हैं। मैंक्रो ने चुनाव जीतने के बाद कहा- वे फ्रांस में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आगे रहेंगे। एमानुएल मैक्रोन फ्रांसीसी मध्यमार्गी राजनीति का एक अहम और आदर्शवादी चेहरा हैं।
  
रविवार (सात मई) को फ्रांस में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मैक्रोन ने धुर दक्षिणपंथी मरीन ली पेन को हराया। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति 39 वर्षीय पूर्व इन्वेस्टमेंट बैंकर मैक्रोन आज तक कभी किसी निर्वाचित पद पर नहीं रहे हैं। इस चुनाव को जीतकर फ्रांस के इतिहास में सबसे कम उम्र में चुनाव जीतने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए हैं। 
 
चुनाव जीतने के बाद मैक्रोन ने कहा कि वे देश के 'अंदरूनी विभाजन' के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। मैंने आप लोगों के क्रोध, तनाव और संदेहों को देखा, सुना है।' पेरिस स्थित अपने पार्टी के मुख्यालय से मैक्रोन ने कहा, वे 'यूरोप और इसके नागरिकों के साथ लिंक को दोबारा जोड़ेंगे।' मैक्रोन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस अगली कतार में रहेगा।
 
चुनाव जीतने के बाद एक अन्य रैली में मैक्रोन ने कहा कि वे अगले पांच साल में वह सब करेंगे जिससे जनता को अतिवादियों को वोट न देना पड़े। मैक्रोन ने जून में फ्रांस के निचले सदन के लिए होने वाले चुनाव में बहुमत प्राप्त करने की कोशिशें शुरू कर देने की तरफ भी संकेत दिया। 
 
फ्रांस के इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह रही कि देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों के राष्ट्रपति उम्मीदवार पहले ही दौड़ से बाहर हो गए थे, जबकि मरीन ली की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है, जिससे इस बात की आशंका बढ़ गई थी कि कई अन्य देशों के तरह फ्रांस में भी धुर दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आ सकती है।
 
ली पेन ने इस चुनाव को मुक्त व्यापार, आव्रजन अ‍ैर साझा संप्रभुता के पक्षधर ‘भूमंडलीकरण समर्थकों’ और मजबूत सीमाओं और राष्ट्रीय पहचान की वकालत करने वाले राष्ट्रवादियों के बीच का मुकाबला बताया था। मैक्रोन को 24.01 प्रतिशत मत मिले थे जबकि ली पेन को 21. 30 प्रतिशत मत मिले।
 
इस मौके पर मैक्रोन ने कहा कि फ्रांस के लंबे इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि यह एक आशा और विश्वास बनकर उभरे।' अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने फोन करके उन्हें बधाई दी।
 
मैक्रोन का कहना है कि वह 5000 बॉर्डर गार्ड्स की फोर्स बनाएंगे। फ्रांसीसी राष्ट्रीयता हासिल करने के लिए फ्रैंच भाषा जाननी जरूरी होगी। साथ ही, फ्रांस में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का विस्तार करना उनके एजेंडे में शामिल था। उनका कहना था कि फ्रांस में गैरकानूनी प्रवासन पर विराम, सीमा रेखा कंट्रोल, इस्लामी कट्टरवादियों के खिलाफ कार्रवाई और कट्टरवादी मस्जिदों पर कार्रवाई शामिल थी।
 
मैक्रोन एक पूर्व बैंकर हैं और यह उनके जीवन का पहला चुनाव था। मैक्रोन का जन्म उत्तरी फ्रांस में हुआ था और 2012 में उन्हें राष्ट्रपति ओलां का वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया था। 2014 में इन्हें वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। नवंबर 2016 में मैक्रोन राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में सामने आए। इन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी समर्थन मिला हुआ है।
 
मतदान के बाद फ्रांस मीडिया ने इमैनुएल मैक्रोन की 65 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीतने की संभावना जाहिर की थी। दक्षिणपंथी मैरीन ल पेन के लिए 34 प्रतिशत वोट का पूर्वानुमान लगाया गया था। मैक्रोन ने सोशलिस्ट पार्टी से अलग होकर पिछले साल ही एन मार्शे नाम की पार्टी बनाई थी और उनका मुख्य मुकाबला नेशनल फ्रंट की उम्मीदवार मरीन ली पेन से था। पेन को उन्होंने आसानी से हरा दिया।
 
मैक्रोन की चर्चा एक और बात के लिए होती है क्योंकि उनकी पत्नी उनसे उम्र में करीब 24 साल बड़ी हैं। इमैनुएल ने अपने से 24 साल बड़ी ब्रिजेत ट्रॉजो से 2007 में शादी की थी। इस वक्त ब्रिजेट की उम्र 64 साल है। ब्रिजित कभी इमैनुएल की ड्रामा टीचर हुआ करती थीं। जब मैक्रोन महज 15 साल के थे तब उनकी ब्रिजेत से पहली बार मुलाकात हुई थी। ब्रिजित की पहली शादी से तीन बच्चे और सात नातिन-नातियां हैं।
 
 
लेकिन फ्रांस के राष्ट्रवादी या अति‍वादियों ने कहा है कि मैक्रोन 'आतंकवाद या इस्लामबाद के खिलाफ' नहीं हैं वरन वे इस्लामवादियों के लिए ऐसे उपयोगी काफिर हैं जो कि इस तरह के खतरे को देखता तक नहीं है। वे राजनीतिक तौर पर और भी अधिक बेकार हैं। यूरोपीय और फ्रांसीसी राजनीति के जानकार लुइजी ने अपने एक लेख में नामों और दिनों का उल्लेख कर बताया था कि मैक्रोन का राजनीति में मुस्लिम ब्रदरहुड के उग्रवादियों का बहुत योगदान रहा है।
 
शीतयुद्ध के दौरान वामपंथी उन्हें 'उपयोगी मूर्ख' कहा करते थे। हालांकि ये लोग वामपंथी दल से नहीं जुड़े थे लेकिन वे लेनिन और स्तालिन के विचारों के समर्थक थे। 21 वीं सदी में जहां वामपंथ लगभग मृतप्राय है, उसने इस्लामवाद का चोला ओड़ लिया है। और इस तरह अतीत का वामपंथ इस्लामवाद के नाम से दुनिया भर के लिए खतरा बनकर उभरा है। प्रारंभ में जहां इस्लामवाद या इस्लामी अधिनायकवाद, वामपंथियों की तरह से 'अपने काम के उल्लुओं' को एकत्र कर रहा है। 
 
पर इन दोनों में खास अंतर यह है कि सोवियत संघ के लिए 'काम के उल्लू' वे ‍बुद्धिजीवी हुआ करते थे। आज 'काम के काफिर' वे लोग हैं जोकि राजनीतिज्ञ हैं और जिनका इस्लामवादी जिहादी मानसिकता में जीते हैं। फ्रांस एक ऐसा देश है जहां दुनिया भर के मुस्लिम उग्रवादी अपना लांचिंग पैड बनाने में सफल हुए हैं लेकिन मैक्रोन जैसे नेताओं के लिए इनके विरोधी 'नस्लवादी और इस्लाम विरोधी' हैं। इसलिए इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि मैक्रोन के शासनकाल में फ्रांस एक मुस्लिम देश बनने की ओर अग्रसर होता दिखाई देगा। 

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