वॉशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि विश्व पटल पर आज भारत काफी मायने रखता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से भारत के रुख को महत्व दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सत्र से इतर जयशंकर ने न्यूयॉर्क में कई विश्व नेताओं से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि इन बैठकों में मिली प्रतिक्रिया के आधार पर वह उक्त बात कह सकते हैं।
जयशंकर ने भारत एवं अमेरिका के फ्रेंडशिप काउंसिल एंड फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज़ (एफआईआईडीएस) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ बातचीत में कहा कि आज विश्व पटल पर भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं उनकी नीतियों की वजह से भारत के रुख को गंभीरता से लिया जाता है।
उन्होंने न्यूयॉर्क में उनकी बैठकों के संदर्भ में कहा, आज हमारा रुख मायने रखता है, हमारे विचार मायने रखते हैं। इनमें आज बड़े मुद्दों से निपटने की क्षमता है। मेरा मानना है कि पिछले छह दिन में की गई वार्ताओं से यह बात प्रमुखता से सामने आई है।
यूक्रेन के एक सवाल पर जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया की स्थिति ऐसी है कि एक बड़े संघर्ष का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इस संघर्ष के कई पहलू हैं और शायद उनमें से कुछ से (पहले) निपटा जा सकता है।
देश के विभिन्न हिस्सों से लॉस एंजिलिस और ह्यूस्टन तक के भारतीय-अमेरिकी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक महासभा में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क में चार दिन तक रुकने के बाद विदेश मंत्री अमेरिकी राजधानी वॉशिंगटन पहुंचे।
वॉशिंगटन यात्रा के दौरान जयशंकर अमेरिका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन, रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात कर सकते हैं। वह कॉर्पोरेट क्षेत्र और थिंक-टैंक समुदाय के लोगों से भी बातचीत कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, एक राजनयिक के तौर पर मेरे अभी तक के कार्यकाल में शायद सबसे बड़ा बदलाव जो मैंने देखा और मुझे इसका हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला, वह भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में आया बदलाव है। मंत्री ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी दोनों देशों के बीच एक पुल के तौर पर इस बदलाव का हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस संबंध को मजबूत करने में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की एक बड़ी भूमिका है और इसके बारे में जितना बोला जाए कम है। जयशंकर ने कहा, भारत, अमेरिका के संबंध केवल सरकारी नीतियों की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय-अमेरिकियों की वजह से भी बदले हैं।
रूसी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता का कारण भारत की ओर से कोशिश का अभाव नहीं है : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि रूसी रक्षा उपकरणों पर भारत की निर्भरता और मॉस्को के साथ मजबूत संबंधों का कारण यह नहीं है कि नई दिल्ली ने इन उपकरणों को हासिल करने के लिए अमेरिका से संपर्क नहीं किया।
जयशंकर ने यूएस-इंडिया फ्रैंडशिप काउंसिल एंड फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय-अमेरिकियों से कहा, दरअसल, हमारे संबंधों में आया एक बदलाव रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी है, जो शायद पिछले करीब 15 साल में अपने मौजूदा रूप में आया है।
उन्होंने कहा, 1965 से लेकर अगले लगभग 40 साल तक भारत में अमेरिका का कोई सैन्य उपकरण नहीं आया। इसी अवधि में भारत-सोवियत, भारत-रूस के संबंध बहुत मजबूत हुए। जयशंकर ने कहा, इसका कारण भारत की ओर से कोशिश का अभाव नहीं है। मैं इसकी पुष्टि स्वयं कर सकता हूं। मेरे संबंधियों, मेरे पिता, मेरे दादा ने रक्षा मंत्रालय में काम किया है। इसलिए मैं जानता हूं कि अमेरिका को यह समझाने के लिए इतने वर्षों में कितने प्रयास किए गए कि एक मजबूत, स्वतंत्र एवं समृद्ध भारत में अमेरिका का हित है।
उन्होंने कहा, उस समय वे सफल नहीं हुए, संभवत: वैश्विक परिदृश्य उस समय इसी प्रकार का था। जो वास्तविक बदलाव आया, वह परमाणु समझौते से शुरू हुआ, जिसने आगे बढ़ने की दिशा में एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया और इसके बाद संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए भारत में नेतृत्व की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा, ताली दोनों हाथ से बजती है। ऐसा नहीं है कि सभी समस्याएं अमेरिकी की तरफ से थीं...। मंत्री ने कहा कि इसलिए भारत की ओर से भी सुधार की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आज संबंध अलग स्तर पर हैं। हमारे सुरक्षा समेत कई अन्य क्षेत्रों में मिलकर काम करने की संभावना है। आज हम जो सबसे बड़े सैन्य अभ्यास करते हैं, उनमें अमेरिका के साथ सैन्य अभ्यास शामिल है।(एजेंसियां)