आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ALS-amyotrophic lateral sclerosis (ALS) या जिसे मोटर न्यूरॉन डिजीज के नाम से भी जाना जाता है, लेकर इतने लम्बे समय तक जीने वाले हॉकिंग शायद दुनिया के पहले इंसान रहे होंगे। यह भी आश्चर्य की बात है कि जिन शिशुओं को यह बीमारी हो जाती है तो वे इस दुनिया में कुछेक हफ्तों या महीनों के ही मेहमान होते हैं। चूंकि उन्हें यह बीमारी 21 वर्ष की उम्र में हुई थी, इसलिए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के चलते वे इतने लंबे समय तक जीने में भी सफल हो सके। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि उनके शरीर में केवल चेहरे की कुछेक मांसपेशियां ही ऐसी थीं जोकि काम करने में सक्षम थीं। वे मात्र होठों को तनिक हिला सकते थे जबकि उनका पूरा शरीर बेजान था।
विदित हो कि स्टीफन का सारा जीवन एक ऐसी व्हील चेयर पर गुजरा था जोकि खास डिवाइसेज से लैस थी और वे इसी पर अपने सारे काम करते थे। वे चल फिर नहीं सकते थे और कम्प्यूटर और तमाम डिवाइसों के जरिए अपने शब्दों को व्यक्त करते थे। उन्होंने इसी तरह से भौतिकी के बहुत से महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। स्टीवन वीनबर्ग की यूनिवर्स की उत्पत्ति से जुड़ी महान पुस्तक- द फर्स्ट थ्री मिनट्स- से लेकर हॉकिंग की जॉर्ज एलिस के साथ लिखी पुस्तक - द लार्ज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ स्पेस टाइम- से तक सारी पुस्तकें इतनी तकनीकी, गणितीय गणनाओं से भरी हैं कि किसी विशेषज्ञ वैज्ञानिक के लिए अंतरिक्ष, ब्रह्मांड के रहस्यों को समझना आसान नहीं है। तब उन्होंने तय किया कि वे ऐसी पुस्तक लिखना चाहेंगे जिसे कि वैज्ञानिक जानकारी और समझ न रखने वाला भी कोई व्यक्ति स्पेस और टाइम से जुड़ी अवधारणाओं को समझ सके।
इस कारण से -ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम- लिखी गई। उन्हें प्रकाशकों ने यह भी कहा था कि वे अपनी किताब में किसी प्रकार का समीकरण न डालें क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उनकी किताब की बिक्री आधी ही रह जाएगी। इसलिए उन्होंने अपनी किताब में आइंसटीन का मात्र एक प्रसिद्ध फार्मूला-इ बराबर एमसी स्क्वायर-ही डाला। वे चाहते थे कि विज्ञान का कोई ज्ञान न रखने वाला प्रत्येक आदमी स्पेस और टाइम के रहस्यों को आसानी से समझ सके। मोटर न्यूरॉन बीमारी के अलावा, एक बार उन्हें न्यूमोनिया हो गया था जिसके बिगड़ने के बाद ऑपरेशन के बाद गले से उनका ट्रैकिया (श्वास नली) निकाल ली गई थी। 1985 में हुए इस ऑपरेशन के बाद उनके बोलने की क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो गई थी।
हॉकिंग को मात्र 21 साल की उम्र में एएलएस जैसी गंभीर बीमारी हो गई थी। इस बीमारी की वजह से ही उनके शरीर ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था। हॉकिंग जब ऑक्सफर्ड में फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे यह समस्याएं इतनी बढ़ गईं कि उनकी बोली लड़खड़ाने लगी। डॉक्टर्स ने उस समय हॉकिंग को बताया था कि वह 2 साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे लेकिन यह दावा गलत साबित कर हॉकिंग ने अपनी रिसर्च और जीवन जारी रखा।
वर्ष 1974 में स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया को अपनी सबसे महत्वपूर्ण खोज ब्लैक होल थ्योरी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ब्लैक होल, क्वॉन्टम प्रभावों की वजह गर्मी फैलाते हैं। पांच साल बाद ही वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर बन गए। यह वही पद था जिस पर कभी महान वैज्ञानिक न्यूटन, एलबर्ट आइनस्टाइन नियुक्त हुए थे। अगर सरल शब्दों में ब्लैक होल को बताया जाए तो कहा जा सकता है कि यह स्पेस-टाइम में एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें से कोई भी चीज, यहां तक कि प्रकाश भी नहीं जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है।
इसी तरह क्वांटम प्रभाव वे होते हैं जोकि एक क्वांटम से पैदा होते हैं। वास्तव में, क्वांटम वह अविभाज्य इकाई होती है जिसमें किरणों को छोड़ा जा सकता है या फिर सोख लिया जाता है। यह भी जान लें कि ब्लैक होल कोई बहुत बड़ा काला सा छेद नहीं होता है और स्पेस-टाइम चार विमाओं (डाइमेंशन्स) का ऐसा अंतरिक्ष होता है जिनका निर्धारण घटनाओं से होता है और ये घटनाएं ऐसा बिंदु या पाइंट्स होती हैं जिनकी नाम जोख करना लगभग असंभव होता है। हॉकिंग के ईश्वर और स्वर्ग-नर्क के विचार को खारिज किया जिससे चलते धार्मिक लोगों ने उनके विचारों का विरोध किया। उन्होंने अपने ज्ञान से इन सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की कि वास्तव में समय की शुरुआत कब हुई ? क्या समय उल्टा भी चल सकता है, उनका उत्तर था कि नहीं। इसके साथ ही टाइम मशीन जैसी काल्पनिक बातों पर विराम लग गया।
हॉकिंग ने बताया कि क्या ब्रह्मांड को मापा जा सकता है? क्या इसकी किसी प्रकार की सीमाएं हैं? उनकी पुस्तक-ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम- ईश्वर या कोई ईश्वर न होने की बात कहती है। विदित हो कि एक बार आइंसटीन से पूछा गया था कि ब्रह्मांड को पैदा करने में ईश्वर की कोई भूमिका है? या इस तरह से आप समझ समझ सकते हैं कि अगर कोई ईश्वर होता तो उसका दिमाग कैसे काम करता होता? उनका कहना था कि अंतरिक्ष का कोई छोर, किनारा नहीं है। इसी तरह से समय की कोई शुरुआत नहीं है और न ही कोई अंत। और न ही कोई ऐसा संकेत मिलता है कि इसे किसी ने बनाया है। मतलब यह है कि यह अपने आप पैदा हुई संरचना है।
हॉकिंग के जीवन का मानवीय पहलू
सभी सामान्य और असामान्य व्यक्तियों की तरह से स्टीफन हॉकिंग की भी अपनी रुचियां थीं। हॉलीवुड की फिल्मों को लेकर वे बहुत ही आवेशपूर्ण इंसान थे। इतना ही नहीं, वे फिल्मों में काम ही नहीं करना चाहते थे वरन उनका मानना था कि वे बॉंड सीरीज की फिल्मों में एक अशक्त वैज्ञानिक खलनायक का किरदार निभाएं। यूं तो उन्होंने कम से कम चार फिल्मों में मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई थी। प्रसिद्ध कार्टून सीरीज 'द सिंपसन्स' के एपिसोड्स में वे दिखे तो हॉलीवुड का प्रसिद्ध टीवी सीरियल ' द बिग बैंग थ्योरी ' भी उनके विचारों पर आधारित है। इस कार्यक्रम का एक ट्रिब्यूट स्पेशल भी दिखाए जाने वाला है। उन्हें ब्रिटिश कॉमेडी टीवी अवार्ड्स (2004) में भी देखा गया था। वर्ष 1988 में आई फिल्म ' मास्टर्स ऑफ द यूनिवर्स ' में उन्हें प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक, लेखक आर्थर सी. क्लार्क के साथ देखा गया था।
वर्ष 2012 में प्रसिद्ध अमेरिकी टीवी शो 'द बिग बैंग थ्योरी' में हॉकिंग को सीरियल के हीरो के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला था। कैंब्रिज, ब्रिटेन में 2003 में जिम कैरी जैसा अभिनेता उनसे घर मिलने आए थे। वर्ष 2015 में रॉयल सोसायटी के स्टारमस मैडल के लांच पर उन्हें अन्य प्रमुख लोगों के साथ देखा गया था और वर्ष 2016 के मैडल लांच के अवसर पर हॉकिंग को अन्य प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ देखा गया था। उनके जीवन पर 2014 में फिल्म ' द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग' आई थी। इसी तरह वर्ष 2014 में फिल्म ' द इंटरस्टेलर' का लंदन में प्रीमियर हुआ था तो उन्हें प्रसिद्ध फिल्मी सितारों के साथ देखा गया था। पिछले वर्ष हॉलीवुड में बनी फिल्म 'फ्यूचरामा- द वर्ल्ड्स ऑफ टुमारो' रिलीज हुई थी। इस फिल्म में भी उन्हें देखा गया था।
वर्ष 2013 में कैंब्रिज में फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत ही 'हॉकिंग' से हुई थी। स्टीफन हॉकिंग ने चार प्रसिद्ध हॉलीवुड फिल्मों में काम किया जिनके नाम इस प्रकार हैं- द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग, स्टारट्रेक : द नेक्सट जेनरेशन, डिसेंट और फ्यूचरामा। हॉकिंग ने हर माध्यम से विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के काम में अपना योगदान किया। इतना ही नहीं, हॉकिंग एक टाइम मशीन भी बनाना चाहते थे। उन्होंने एक बार कहा था कि अगर उनके पास टाइम मशीन होती तो वह हॉलिवुड की सबसे खूबसूरत अदाकारा मानी जाने वाली मर्लिन मुनरो से मिलने अवश्य जाते।