16 अक्टूबर को पेरिस में एक टीचर सैमुअल पेटी की इसलिए गला रेत कर हत्या कर दी गई, क्योंकि उसने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था। इसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था,
‘यह इस्लामिक आतंकवाद है, इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जिससे आज पूरी दुनिया में संकट में है’
इस बयान के बाद तुर्की की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है और यहां के राष्ट्रपति रैचप तैयब अर्दोआन ने कहा,
‘अगर फ्रांस में मुसलमानों का दमन होता है तो' दुनिया के नेता मुसलमानों की सुरक्षा के लिए आगे आएं’
उन्होंने फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की, इसके बाद तुर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत तमाम मुस्लिम देशों में फ्रांस के उत्पादों का बॉयकाट शुरू हो चुका है।
कार्टून दिखाने वाले टीचर की हत्या के बाद उठे फ्रांस और तुर्की के इस विवाद के बाद जो सबसे बड़ी तस्वीर उभरकर आ रही है वो दुनिया के बंटने की तस्वीर है। यानी इस संकट के बाद दुनिया बंटती हुई नजर आ रही है..
आइए जानते हैं क्या है यह तस्वीर और कौन-सा देश फ्रांस और कौन-सा तुर्की के साथ खड़ा है?
इस विवाद के बाद ज्यादातर यूरोपीय देश फ़्रांस के समर्थन में आ गए हैं। जर्मनी ने मैक्रों के साथ एकजुटता ज़ाहिर की है और अर्दोआन के बयान की आलोचना की है।
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूटे ने कहा है कि उनका देश मज़बूती से फ़्रांस के साथ खड़ा है। वहीं इटली के प्रधानमंत्री जूज़ेपे कोंटे ने भी फ्रांस के साथ खड़ा होने की बात कही है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, निजी हमलों से वो सकारात्मक एजेंडा मज़बूत नहीं होता है जिसे यूरोपीय संघ तुर्की के साथ लेकर आगे बढ़ना चाहता है।
हालांकि तुर्की और राष्ट्रपति अर्दोआन के साथ भी मुस्लिम देश नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रविवार को किए एक ट्वीट में फ़्रांस के राष्ट्रपति पर इस्लाम पर हमला करने के आरोप लगाए हैं।
वहीं जॉर्डन, क़तर और कुवैत जैसे देशों में फ़्रांसीसी उत्पादों को दुकानों से हटाकर तुर्की के साथ होने का इशारा किया है।
वहीं बांग्लादेश, इराक़, लीबिया और सीरिया में भी फ़्रांस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं।
भारत, अमेरिका और चीन की तरफ से हालांकि अभी तक कोई इशारा नहीं आया है, लेकिन तुर्की अक्सर भारत के खिलाफ बयानबाजी कर चुका है, ऐसे में दोनों देशों की तल्खी पहले सामने आ चुकी है। चीन पहले से ही पाकिस्तान का हितेषी रहा है, ऐसे में वो तुर्की का साथ देगा, वहीं अमेरिका और चीन एक दूसरे के खिलाफ है, ऐसे में अमेरिका भी तुर्की के खिलाफ आगे आएगा। यानि साथ देने के मामले में चीन मुस्लिम देशों के पक्ष जाएगा जबकि भारत और अमेरिका बाकी देशों के साथ होंगे।