फ्रांस की संसद ने रविवार को एक कानून को मंजूरी दी, जिसमें टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोगों के रेस्तरां, खेल स्टेडियमों और ऐसे ही अन्य स्थानों में प्रवेश पर पाबंदी होगी।
ऐसा बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण बढ़ते मामलों को रोकने के लिए किया जा रहा है। रिकॉर्ड संख्या में दर्ज किए जा रहे संक्रमण के मामलों के बीच अस्पतालों पर भार बढ़ रहा है।
जिससे बचने के सरकार के प्रयासों के तहत यह नया कानून लाया गया है। नेशनल असेंबली ने विधेयक के पक्ष में 215 मत डालकर कानून को स्वीकार किया।
राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने विधेयक को तेजी से पारित कराने की कोशिश की थी लेकिन दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों के विरोध के चलते और सैकड़ों प्रस्तावित संशोधनों के कारण इसमें थोड़ी देरी हुई।
फ्रांस के 91 फीसदी वयस्कों का टीकाकरण पहले से पूरा हो चुका है और कुछ आलोचकों ने सवाल किया है कि क्या वैक्सीन पास से बहुत फर्क पड़ेगा। कुछ लोग वैक्सीन को जरूरी नहीं मान रहे, तो कुछ का कहना है कि वैक्सीन पास बेकार हैं।
मैक्रों की सरकार उम्मीद कर रही है कि नई पास व्यवस्था, लॉकडाउन लगाए बिना देशभर में पहले से बोझ तले दबे अस्पतालों को भरने वाले रोगियों की संख्या को सीमित करने के लिए पर्याप्त होगी। इससे पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में भी इस मामले में बात की थी। जिस पर लोगों ने खासा नाराजगी जाहिर की।
मैक्रों ने कहा था कि जो लोग अपना टीकाकरण नहीं करवा रहे हैं, उन पर तब तक सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जब तक कि वो वैक्सीन को स्वीकार नहीं कर लेते।
फ्रांस में इन दिनों खूब विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है। यहां लोग वैक्सीन अनिवार्यता और वैक्सीन पास को अपनी स्वतंत्रता से जोड़ रहे हैं। हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी किया है।
राजधानी पेरिस, लियॉन, ननतेस, बोर्डो और मार्सेल जैसे शहरों में लोगों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार वायरस को नहीं बल्कि जनता को नियंत्रित करना चाहती है।