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जर्मनी में हिंसा, मार्केल की शरणार्थी नीति जिम्मेदार

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बर्लिन , सोमवार, 25 जुलाई 2016 (18:14 IST)
बर्लिन। जर्मनी दुनिया के ताकतवर देशों में से एक है लेकिन एक हफ्ते में दो हमलों ने जर्मनी को हिला दिया है। जर्मनी के स्थानीय निवासी भयभीत हैं और जर्मनी में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के पीछे अंगेला मार्केल सरकार की शरणार्थी नीति को जिम्मेदार बताया जा रहा था।
इस देश ने हिटलर के अत्याचार देखे और दो-दो विश्व युद्धों में बरबादी झेली। बाद में, इसका पूरबी  और पश्चिमी हिस्से के तौर पर बंटवारा देखा लेकिन फिर दोनों हिस्सों को अलग करने वाली दीवार टूट गई और देश फिर एक हो गया। जर्मनी ने पिछले 500 साल में बहुत अच्छे, बुरे दिन देखे लेकिन यह फिर एक ताकत बनकर उभरा।   
 
लेकिन पिछले एक हफ्ते में आतंक की दो घटनाओं ने जर्मनी जैसे देश को हिलाकर रख दिया है। लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि देश में आतंक कहां से आ गया है, आतंकी कहां से घुस आए है और देश कैसे लहूलुहान हो रहा है? लेकिन मार्केल सरकार की ओर से प्रशासन और अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि शरणार्थियों के 'छोटे-मोटे अपराधों' पर पर्दा डाल दिया जाए और इन्हें देश की मुख्यधारा में शामिल करने के हरसंभव उपाय किए जाएं लेकिन इन उपायों का नकारात्मक परिणाम ही सामने आए है।   
 
साथ ही, इससे दक्षिणपंथी और स्थानीय लोगों के विचारों को मान्यता मिल रही है और लोग सरकार की इस नीति के खिलाफ हैं। जर्मनी के बड़े अखबार डॉयचे वेले का आकलन है कि जर्मनी शरणार्थियों का अड्डा बन गया है। जर्मन सरकार की नीति है कि युद्धग्रस्त देशों के शरणार्थियों को पनाह देने दी जाए ताकि वे बेहतर भविष्य का सपना देख सकें। अफगानिस्तान, इराक, सीरिया में छिड़ी जंग के बाद जर्मनी में बाहरी आबादी लाखों की संख्या में बढ़ी है। जर्मन सरकार के आंकड़ों में बताया गया है कि मात्र इसी साल 60 हजार से ज्यादा शरणार्थी जर्मनी में बस चुके हैं। 
 
लेकिन अहम बात यह है कि इनमें सबसे ज्यादा संख्या 16-17 साल की उम्र के किशोरों, युवाओं की है। इस उम्र के लोगों के शरणार्थी बनकर जर्मनी में बसने की संख्या 2 साल में तिगुनी हो चुकी है। हर तीसरा आवेदन अफगानिस्तान का है। उम्र की जांच के लिए दांत के टेस्ट कराए जाते हैं लेकिन सही उम्र का निर्धारण नहीं हो पाता है।
 
ऐसा माना जा रहा है कि शरणार्थी कैंपों में रह रहे किशोर उम्र के लड़कों पर आईएस की आतंकी विचारधारा का प्रभाव है। इसीलिए समय-समय पर शरणार्थी युवाओं की मनोवैज्ञानिक जांच भी होती रहती है लेकिन इससे कोई अंतर नहीं आया है। पिछले सोमवार को वुर्जबर्ग की ट्रेन में कुल्हाडी से हमला करने वाला हमलावर भी 17 साल का था और अफगानिस्तान मूल का नागरिक था। 
 
हमलावर के मौका ए वारदात पर मारे जाने के बाद आईएस ने उसको अपना जिहादी बताया और हमले की जिम्मेदारी ली लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि अफगानिस्तान नाबालिग और आईएस के लोग कैसे एक-दूसरे से मिले? बुजबर्ग के हमले के बाद जर्मनी में सुरक्षा व्यवस्था और चौकन्ना थी। 
 
फिर भी एक और लोन वूल्फ अटैक में ओलंपिया मॉल में (कथित तौर पर तीन)  लेकिन पुष्ट समाचारों के अनुसार एक हमलावर ने भीड़ को निशाना बनाकर नौ लोगों की हत्या कर दी और बाद में खुद भी आत्महत्या कर ली। इनके अलावा, सोलह और लोग घायल हुए हैं जिनमें से तीन-चार ही हालत गंभीर बताई जा रही है।

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