आज से करीब 50 साल पहले इसराइल 1973 के योम किप्पुर युद्ध का पूर्वानुमान लगाने में विफल रहा था और तब अरब देशों के गठबंधन ने उसकी सीमाओं पर चौंकाने वाला हमला था। अब, ऐसा प्रतीत होता है कि देश का खुफिया तंत्र एक बार फिर सुरक्षित होने के अतिविश्वास का शिकार हो गया है।
इसराइली समाज में व्यापक रूप से धारणा थी कि आतंकवादी समूह हमास खुद को एवं गाजा के निवासियों को और अधिक पीड़ा एवं नुकसान से बचाने के लिए इसराइल के साथ बड़े पैमाने पर सैन्य टकराव से बचेगा लेकिन शनिवार की सुबह हवा, जमीन और समुद्र के रास्ते किए गए हमलों ने उनकी इस धारणा को तोड़ दिया।
हमले की शुरुआत इसराइल पर 2,000 से अधिक रॉकेट दागे जाने से हुई। रॉकेटों की आड़ में, गाजा से बड़े पैमाने पर, सावधानीपूर्वक समन्वित, जमीनी ऑपरेशन शुरू किया गया और गाजा पट्टी से सटे 20 से अधिक इसराइली कस्बों और सेना के ठिकानों पर हमला किया गया।
इसराइल को इससे भारी नुकसान हुआ और शुरुआती अनुमान के अनुसार अभी तक 600 से अधिक इसराइली मारे गए और 1,500 से अधिक घायल हैं, एवं आने वाले घंटों और दिनों में इस संख्या में वृद्धि निश्चित है।
जवाब में इसराइल ने गाजा स्थित हमास के ठिकानों और कमान पर हवाई बमबारी की और अपने सैन्य रिजर्व की बड़े पैमाने पर लामबंदी शुरू कर दी। गाजा में अब तक 230 से अधिक फलस्तीनियों के हताहत होने की सूचना है, जबकि 1,700 घायल हुए हैं।
हमले के पीछे का गणित : योम किप्पुर युद्ध के मामले की तरह, आने वाले हफ्तों, महीनों और वर्षों में खुफिया, परिचालन और राजनीतिक विफलताओं पर कई विश्लेषण और जांच की जाएंगी, जिनकी वजह से हमास हमले में सफल रहा। हमले को स्पष्ट रूप से शुरू में इसराइल द्वारा अनदेखा किया गया था, और फिर घंटों तक अपर्याप्त या बिना तैयारी के इसराइली सैनिकों ने इन हमलों का मुकाबला किया।
हमले के लिए 1973 के युद्ध की तरह जानबूझकर सबाथ और सुक्कोट की यहूदी छुट्टी को चुना गया। अब तक तय नहीं है कि हमास ने किस रणनीतिक गणना के आधार पर हमले की शुरुआत की। हालांकि, संगठन के खिलाफ इसराइल की गंभीर जवाबी कार्रवाई और गाजा की असैन्य आबादी पर दुष्परिणाम निश्चित थे। ऐसे में यह आशंका है कि संघर्ष जैसे को तैसे के जवाब से परे जा सकता है।
इसराइली जेलों में बंद हमास के आतंकवादियों की अदला-बदली के तहत इसराइली नागरिकों का अपहरण हमास के पूर्व के अभियानों का एक उद्देश्य होता था।
इसराइली सैनिक गिलाद शालित को गाजा में 2006 से बंदी बनाकर रखा गया था और 2011 में उसे 1000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में रिहा किया गया था। इन कैदियों में गाजा में हमास का वर्तमान नेता याह्या सिनवार भी शामिल था जो इसराइल की जेल में 22 साल से कैद था।
इस सप्ताहांत के हमले में दर्जनों इसराइलियों को बंदी बनाए जाने की खबरें आई हैं जिनमें कई सामान्य नागरिक हैं। इससे संकेत मिलता है कि हमले के पीछे कैदियों की अदला-बदली एक अहम उद्देश्य हो सकता है। हमास के आतंकवादियों ने इसराइल के दो दक्षिणी शहरों में अज्ञात संख्या में लोगों को घंटों तक बंधक बनाए रखा जिन्हें बाद में इसराइल के विशेष बलों ने मुक्त कराया।
हमास का एक और व्यापक उद्देश्य सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंधों को सामान्य बनाने को लेकर अमेरिका और सऊदी अरब के बीच चल रही बातचीत को बाधिक करना हो सकता है।
इन बातचीत को विफल करना हमास के प्रमुख समर्थक ईरान और उसके सहयोगियों के लिए एक अहम सफलता होगी। तेहरान ने कहा है कि वह इसराइल के खिलाफ हमास के हमलों का समर्थन करता है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ईरान या हिजबुल्लाह (लेबनान में आतंकवादी समूह जिसकी हमास के साथ साझेदारी है) आने वाले दिनों में इसराइल के खिलाफ अतिरिक्त मोर्चा खोलेंगे।
ईरान या लेबनान की ओर से मोर्चा खोले जाने पर इसराइल की मुश्किल बढ़ेगी। यही स्थिति तब होगी यदि हमास के साथ युद्ध वेस्ट बैंक तक फैलता है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच पहले से ही तनाव है एवं झड़पें होती रहती हैं।
अब आगे क्या : गाजा में हमास के खिलाफ इसराइल का जवाबी हमला आयरन स्वॉर्ड्स नाम से लंबे समय तक चलने की संभावना है। इसके सामने आने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी हैं।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार को इसराइली जनता के विश्वास को बहाल करने और हमास व अन्य दुश्मनों के खिलाफ इसराइल की ध्वस्त हो चुकी सैन्य प्रतिरोध क्षमता को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ संभवतः अन्य चुनौतियों का भी सामना करना होगा।
दर्जनों इसराइली बंधकों को बचाने के संभावित अभियान को लेकर इसराइली बलों का जोखिम काफी बढ़ गया है, अगर वे जमीनी कार्रवाई करते हैं तो लेबनान, वेस्ट बैंक और इसराइल के भीतर मिश्रित यहूदी-फिलिस्तीनी आबादी वाले शहरों सहित अन्य मोर्चों पर तनाव बढ़ने का खतरा है।
फिलिस्तीनी नागरिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ने के साथ किसी आक्रामक अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बनाए रखना भी मुश्किल हो सकता है।
हिंसा का मौजूदा दौर अभी शुरू हुआ है, लेकिन यह दशकों में सबसे खूनी हो सकता है। शायद 1980 के दशक में लेबनान में इसराइल और फिलिस्तीनियों के बीच हुए युद्ध के बाद से।
इसराइली, हमास के खिलाफ अपने देश की सैन्य प्रतिरोध क्षमता को पुनः प्राप्त करने को अति महत्वपूर्ण मानेंगे। कई लोगों का मनना है कि यह क्षमता गाजा पर इसराइल के सैन्य कब्जे के रूप में हो सकती है। यह गाजा के आम लोगों के लिए और अधिक विनाशकारी परिणाम लाएगा।
कई फिलिस्तीनियों के लिए, इस सप्ताहांत की घटनाएं इसराइलियों के लिए उस जीवन का एक छोटा-सा अनुभव है जो वे कब्जे के अधीन दशकों से जी रहे हैं। हालांकि, शुरुआती जश्न जल्द ही गुस्से और हताशा में बदल जाएगा क्योंकि फलस्तीनी नागरिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ती जाएगी। हिंसा ही हिंसा को जन्म देगी।
अल्पकाल और मध्यम काल में हमास द्वारा अचानक किए गए हमले के नुकसान का असर इसराइल की घरेलू राजनीति पर पड़ना तय है। हालांकि, हमले का इसराइलियों और उनकी सुरक्षा पर पड़ने वाले असर का आकलन करना जल्दबाजी होगी।
एक चीज तय है कि पहले ही इसराइलियों और फिलिस्तनियों के बीच मौजूद अविश्वास का भाव और भी अपने निचले स्तर पर चला जाएगा।
यकीनन, इस सप्ताहांत इसराइल का राष्ट्रीय आघात और नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार की कट्टरपंथी संरचना के कारण आने वाले दिनों में उनके लिए इसी तरह का संयम दिखाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। भाषा Edited by: Sudhir Sharma