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‘खुशि‍यों के ऐप’ ने बताया, जितना धन कमाओगे, उतना रहोगे खुश

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, शनिवार, 29 जनवरी 2022 (16:05 IST)
कहते हैं पैसों से हर खुशी नहीं खरीदी जा सकती, लेकिन खुश होने के लिए जिंदगी में शांति और सुकून जरूरी है। लेकिन अब एक ऐसी रिसर्च सामने आई है जो कहती है कि आप जितने पैसे कमाओगे उतना खुश रहोगे।

वैज्ञानिकों ने भी इस दावे पर अपनी मुहर लगा दी है। यानी आपके पास जितना धन बढ़ेगा आपकी खुशी का ग्राफ उतना ऊपर उठेगा। यहां तक कि पैसों से दुख का स्‍तर भी कम हो जाता है। इस रिसर्च को करने के लिए एक ऐप का सहारा लिया गया। विस्‍तार से समझते हैं क्‍या कहती है ये रिपोर्ट।

जितना ज्‍यादा पैसा, उतनी खुशी। एक रिसर्च रिपोर्ट में यही बात सामने आई है। रिसर्च में शोधकर्ताओं ने इंसान की खुशी और धन दौलत के बीच बेहद मजबूत कनेक्‍शन बताया है।

यह रिसर्च मैथ्‍यु ए. किलिंग्‍सवर्थ नाम के एक वैज्ञानिक ने की है। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि  इंसान पिछली बार कब खुश हुआ था, यह याद रखना लोगों के लिए एक मुश्किल काम है। लेकिन जब पैसों की बात आती है तो उन्‍हें याद आता है कि वे कब और कहां खुश हुए थे। फिर चाहे वो शॉपिंग हो, ट्रेवल हो या खाना पीना।

रिपोर्ट कहती है कि वर्तमान में इंसान हर खुशी की तुलना पैसों से ही करता है। शोधकर्ताओं ने इसे समझने के लिए एक हैप्पिनेस ऐप (Happiness app) बनाया, इससे कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

रिसर्च कैसे की गई और क्‍या है इसका आधार आइए जानते हैं

Happiness app से ट्रैक हुईं खुशि‍यां
आईएफएल साइंस की रिपोर्ट कहती है, इस रिसर्च के लिए एक हैप्‍प‍िनेस ऐप बनाया गया। जिसका इसमें इस्‍तेमाल किया गया। इस ऐप का इस्‍तेमाल करने वाले यूजर्स से सवाल किए गए। उनसे पूछा गया कि पिछली बार वो कब खुश हुए थे। उन्‍हें इसके लिए रेटिंग करने को कहा गया। यूजर्स की हेप्पिनेस रेटिंग और ऐप पर मौजूद डाटा की एनालिसिस की गई।

पैसों से याद आई खुशी
प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (PNAS) में प्रकाशित नई स्‍टडी कहती है, लोगों से सवाल-जवाब करने के बाद जो परिणाम आए थे वो चौंकाने वाले थे। कोई भी यूजर ठीक से इस बात को नहीं बता पाया कि वो आखिरी बार कब और क्‍यों खुश थे। वहीं, जब पूछा गया कि क्‍या पैसे के कारण उन्‍हें कभी कोई खुशी मिली तो उनका जवाब था, हां।

खुशी और पैसा
लोगों के जेहन में वो मेमोरी बनी रहती है, जहां पैसा खर्च हुआ। ऐसे मौके वो नहीं भूलते। शोधकर्ता मैथ्‍यु के मुताबिक, शॉपिंग हो या डिनर या फिर चाहें घूमने की बात हो, लोग किसी भी तरह की खुशी की तुलना पैसों से करते हैं। उन्‍हें हर वो खुशी या घटना याद रहती है जिसमें वो पैसा खर्च करते हैं।

क्‍या है खुशी के आधार?
शोधकर्ता ने 17.25 लाख लोगों से उनकी हैप्पिनेस से जुड़ा डाटा कलेक्‍ट किया और उसकी पड़ताल की। पड़ताल में सामने आया कि लोगों में पैसों को लेकर खुशी पाने के तरीके अलग-अलग हैं। जैसे- कोई पैसा खर्च करके खुद को खुश रखता है तो कोई पैसों की बचत करके वो खुशी पाता है।

अगर सैलरी है 45 से 60 लाख तो दुख कम
यह बेहद दिलचस्‍प है कि जिन लोगों की मासिक तनख्‍वाह 45 से 60 लाख रुपये है, उनमें दु:ख का स्‍तर कम मिला। शोधकर्ता के मुताबिक, ज्‍यादातर लोग खुशी के लिए, अपना दर्द घटाने के लिए या फिर अपना मनोरंजन करने में पैसा खर्च करते हैं। खासकर मनोरंजन के मामले में पैसा अधि‍क खर्च करना पड़ता है।

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