दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है, जहां गर्मी से लोग हलाकान नहीं है। कई देशों में भीषण गर्मी से लोगों की मौतें हो रही हैं। यहां तक कि गर्मी का कहर इस साल हज यात्रियों पर भी देखने को मिल रहा है। सऊदी अरब (Saudi Arabia) के मक्का में इस मौसम में 1000 से अधिक हज यात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है।\
इनमें 68 से ज्यादा भारतीयों के भी मारे जाने की अब तक आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है (Mecca Indian Pilgrims Death)। इसके साथ ही भारत के कई राज्यों में गर्मी का कहर जारी है। यूपी और बिहार समेत राजधानी दिल्ली में भी तापमान लोगों को परेशान कर रहा है।
बता दें कि मक्का एक ऐसा क्षेत्र है जहां न सिर्फ गर्मियों के महीने बल्कि ठंड के समय भी गर्मी का कहर देखने को मिलता है। ठंड के महीने में भी इस जगह का तापमान जलन जीवन अस्त व्यस्त कर देता है।
क्यों होती है मक्का में इतनी गर्मी : मक्का की जलवायु को लेकर जानकारों का मानना है कि इसके गर्मी के लिए इसके भौगोलिक फैक्टर सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। मक्का सात अलग-अलग पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है। यह एक घाटी का क्षेत्र है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई महज 909 फीट है। विशाल पर्वतों के कारण उत्तर से आने वाली ठंडी हवा मक्का तक नहीं पहुंच पाती है। मक्का, समुद्र तल से महज 300 मीटर हीं ऊपर स्थित है, इसकी कम ऊंचाई के कारण अन्य ऊंचाई वाले स्थानों की तुलना में यहां कम ठंड पड़ते हैं।
लाल सागर का असर : सऊदी अरब में मक्का दक्षिण में स्थित है। इस कारण यह स्थान उत्तरी और मध्य क्षेत्रों से आने वाली ठंडी हवाओं से वंचित रह जाता है। मक्का की जलवायु पर लाल सागर का भी प्रभाव देखने को मिलता है। शाम के समय समुद्री हवा तंत्र के माध्यम से तटों और आसपास के क्षेत्रों को गर्म कर देती है। इसका असर भी इस क्षेत्र पर देखने को मिलता है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी इस क्षेत्र का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। बता दें कि सऊदी अरब में पब्लिश हुए एक रिसर्च पेपर के अनुसार हज करने वाले इलाके का तापमान हर दशक 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है।
Edited by Navin Rangiyal