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हांगकांग में घरेलू श्रमिक शौचालयों में सोने को मजबूर

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कुआलालंपुर , शनिवार, 13 मई 2017 (13:06 IST)
कुआलालंपुर। हांगकांग में घरेलू श्रमिकों की हालत काफी दयनीय है और उन्हें शौचालयों, रसोईघरों, छोटे कमरों तथा बालकनी में सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
 
प्रवासी श्रमिकों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने एक सर्वेक्षण में पाया है कि हांगकांग में नौकरानियों की रहन-सहन की स्थिति काफी 'भयावह' है। इन घरेलू श्रमिकों को शौचालयों, छोटे-छोटे कमरों और बालकनी में सोना पड़ रहा है।
 
एक मानवाधिकार संगठन मिशन फॉर माइग्रेंट (एमएफएमडब्ल्यू) ने कहा है कि शहर में 3,50,000 नौकरानियां हैं, जो ज्यादातर फिलीपींस और इंडोनेशिया की रहने वाली हैं। 5 घरेलू श्रमिकों में से 3 श्रमिक बदतर जीवन बिताने को मजबूर हैं। कई बार इन श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो जाता है।
 
3,000 नौकरानियों पर किए गए सर्वेक्षण में एमएफएमडब्ल्यू ने पाया कि 43 प्रतिशत नौकरानियों के पास अपना खुद का कमरा तक नहीं है और उन्हें गोदाम, रसोईघरों, शौचालयों, तहखानों और बालकनी में सोने के लिए कहा जाता है।
 
घरेलू श्रमिकों से इकट्ठा की गईं तस्वीरों में कई चौंकाने वाले उदाहरण सामने आए हैं। एक मामले में एक श्रमिक बालकनी पर बने एक छोटे से कमरे में सोया पाया गया। कुछ नौकरानियां शौचालयों और रसाईघरों में सोती हुई पाई गईं।
 
शोधकर्ता नॉर्मन यूई कार्ने ने थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन से कहा कि यह भयावह है कि हम घरेलू श्रमिक को ऐसा करने की अनुमति दे रहे हैं। यह आधुनिक समय की गुलामी है। नौकरानियों को रहने के लिए उपयुक्त जगह दी जानी चाहिए। हांगकांग के श्रम विभाग ने नौकरानियों से ऐसे नियोक्ताओं की शिकायत दर्ज कराने का आग्रह किया है, जो उन्हें उपयुक्त आवास नहीं देते हैं। 
 
घरेलू सहायकों ने कहा कि शर्तों को स्वीकार करने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं होता है। एमएफएमडब्ल्यू ने एक घरेलू सहायिका के हवाले से कहा कि हमें सहमत होना पड़ता हैं, क्योंकि हमें पैसे कमाने की जरूरत है। अगर हम असहमत हैं तो हमें या तो एजेंसी को भेज दिया जाता है या घर वापस भेज दिया जाता है। 
 
कार्ने ने हांगकांग से आग्रह किया कि घरेलू श्रमिकों को अनुपयुक्त आवास देने के खिलाफ कानून बनाया जाए और ऐसे नियमों को खत्म किया जाए जिसमें नौकरानियों को अपने नियोक्ताओं के साथ रहने के लिए अनिवार्य किया जाता है। (वार्ता)

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