वाशिंगटन। मानव इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब कोई अंतरिक्षयान सर्वाधिक गर्म ग्रह सूर्य के 40 लाख किलोमीटर के पास तक पहुंचेगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कोई भी यान सूरज के इतना करीब नहीं पहुंच पाया है।
सूरज की ओर जाने वाले इस पहले यान, पार्कर सोलार प्रोब मिशन, नासा की तैयारियां अपने अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। यह मिशन उन सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करेगा, जो 6 दशकों से ज्यादा समय से अनसुलझे हैं।
उल्लेखनीय है कि नासा ने इस मिशन में शामिल होने के लिए आम लोगों को भी आमंत्रित किया है ताकि उनके नाम उस चिप के जरिए यान के साथ भेजे जा सकें जोकि अपना नाम इस अभियान से जोड़ना चाहते हैं।
नासा के पार्कर सोलार प्रोब मिशन की तैयारियां अपने अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। इस मिशन की लॉन्चिंग 31 जुलाई को होगी। यूएस एयरफोर्स के स्पेसक्राफ्ट ने फ्लोरिडा के लिए उड़ान भरी जहां इसकी टेस्टिंग की जाएगी। बिदित हो कि इस सोलार प्रोब करने वाले यान का नाम प्रसिद्ध भौतिकीविद यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया है।
पार्कर सोलर प्रोब लॉन्चिंग के बाद ही यह सौर वातावरण की कक्षा में पहुंच जाएगा, जिसे कोरोना कहते हैं। जो सतह के करीब गई किसी भी मानव निर्मित वस्तु तक पहुंचेगा। यह यान ऐसे इलाके में जाएगा, जिसे इंसान ने पहले कभी नहीं टटोला। 90 साल के पार्कर ने 1958 में पहली बार यह बताया था कि अंतरिक्ष में सौर तूफान भी आते हैं जिनके कारण पृथ्वी पर बड़ी तबाही होती है। बताया जा रहा है कि यान पहले शुक्र के चक्कर लगाएगा, इसके बाद सूर्य की तरफ बढ़ेगा और इस दौरान वह मंगल की कक्षा में भी प्रवेश करेगा।
अमेरिका की जॉन हॉकिंस अप्लाइड फिजिक्स लैब से इस मिशन के प्रॉजेक्ट मैनेजर ऐंडी ड्राइसमैन ने कहा, 'पार्कर सोलार प्रोब और इसने बनाने के लिए दिन-रात खूब मेहनत करने वाली टीम के सामने अभी बहुत से मील के पत्थर आएंगे।'
अपने सात वर्षीय अभियान में पार्कर सोलार प्रोब यान सूर्य के बाहरी वातावरण को खंगालेगा और अहम सूचनाएं एकत्र करेगा।
इस अभियान के तहत प्रोब यान पता करेगा कि सूर्य पर चलने वाली आंधियों के स्रोतों पर मौजूद चुंबकीय क्षेत्र की बनावट कैसी है और इसकी गतिशीलता से जुड़ी क्या खास बातें हैं।
विदित हो कि यहां न कोई सुबह होती है न ही शाम, 24 घंटे भयंकर गर्मी बनी रहती है। सूर्य की सतह (कोरोना) को गर्म करने वाली और सौर तूफानों को गति देने वाली ऊर्जा के बहाव को समझना भी प्रोब का काम है। यान यह पता भी लगाएगा कि सूर्य के वातावरण से उत्सर्जित होने वाले ऊर्जा कणों को कैसे गति मिलती है।
सूर्य के आस-पास मौजूद धूल-प्लाज्मा को खंगालना और सौर आंधी और सौर ऊर्जा कणों पर उनके असर को समझना।
यान की सुरक्षा के तहत यान के आगे कार्बन फाइबर और ग्रेफाइट (ठोस कार्बन) से मिलकर बनी ढाल लगी है। थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम नाम की यह ढाल सूर्य की ऊर्जा से यान की रक्षा करेगी। यह ढाल 11.4 सेमी मोटी है और यान के बाहर 1370 डिग्री सेल्सियस का तापमान झेल सकेगी।
सभी वैज्ञानिक उपकरण और यान का संचालन तंत्र इस ढाल के पीछे छुपे रहेंगे जिससे सूर्य की रोशनी सीधा इन पर न पड़े। इसमें थर्मल रेडिएटर नाम के खास ट्यूब होंगे जो यान के अंदर आने वाली ऊष्मा को यान से निकालकर अंतरिक्ष में फेंक देंगे ताकि यह ऊष्मा उपकरणों तक न पहुंचे।
पार्कर सोलार प्रोब को डेल्टा-4 नाम के रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह यान डेल्टा-4 हैवी नाम के रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस अभियान की अवधि 6 साल 321 दिन तय की गई है। यान बुध ग्रह की कक्षा में ही रहेगा जो सूर्य के वातावरण में आती है। इसमें चार ऐसे उपकरण भेजे जाएंगे जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, प्लाज्मा और ऊर्जा कणों का परीक्षण कर इनकी 3डी तस्वीर तैयार करेंगे। पहले इसका नाम सोलार प्रोब प्लस था जिसे मई, 2017 में बदलकर पार्कर सोलार प्रोब कर दिया गया।
सूर्य के करीब पहुंचते ही इस शोधयान की रफ्तार 192 किमी/ सेकंड हो जाएगी। इससे यह सर्वाधिक गति वाला मानव निर्मित उपकरण बन जाएगा। फिलहाल यह उपलब्धि बृहस्पति की कक्षा में स्थापित नासा के शोधयान जूनो के नाम है। 4 जुलाई 2016 को बृहस्पति की कक्षा के गुरुत्वाकर्षण से इसकी रफ्तार 2.65 लाख किमी/घंटा हो गई थी।