Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इमरान खान के 'सहिष्णु' पाकिस्तान की हकीकत, तमाम दावों के बीच अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हैं हमले

हमें फॉलो करें इमरान खान के 'सहिष्णु' पाकिस्तान की हकीकत, तमाम दावों के बीच अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हैं हमले
, गुरुवार, 16 जुलाई 2020 (20:14 IST)
पेशावर। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए यह महीना काफी कठिन हालात वाला रहा है और पर्यवेक्षकों ने चेताया है कि आगे ऐसे लोगों के लिए समय और कठिन हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक बहुलवादी राष्ट्र की स्थापना के साथ ही और अपने रूढ़िवादी इस्लामिक विचारों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं।
 
पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम पेशावर में एक ईसाई को इसलिए गोली मार दी गई, क्योंकि वह मुस्लिम पड़ोसियों के बीच किराए पर रहा रहा था। यह क्षेत्र अफगानिस्तान सीमा से बहुत दूर नहीं है।
 
एक अन्य इसाई पादरी हारून सादिक चीडा, उसकी पत्नी एवं 12 साल के बेटे की पूर्वी पंजाब में उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने जमकर पिटाई कर दी और उन्हें गांव छोड़ने को कहा गया है। हमलावर चिल्ला रहे थे- 'तुम काफिर हो।'
 
इस दौरान एक विपक्षी नेता ने सभी धर्मों को एक समान बता दिया तो उनके खिलाफ ईशनिंदा के आरोप लगा दिए गए। इस्लामिक चरमपंथियों का समर्थन प्राप्त सरकार से संबद्ध एक वरिष्ठ राजनीतिक हस्ती ने राजधानी इस्लामाबाद में बन रहे एक हिन्दू मंदिर में निर्माण रुकवा दिया।
 
धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के लिए विश्लेषकों एवं कार्यकर्ताओं ने दुविधा में पड़े देश के प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ऐसे सहिष्णु पाकिस्तान की बात करते हैं, जहां धार्मिक अल्पसंख्यक बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बराबर हैं।
 
उनका कहना है, लेकिन इसी के साथ वे चरमपंथी मुस्लिम मौलवियों के आगे घुटने टेक देते हैं, उनकी मांगों के आगे झुकते हैं और आखिरी फैसला करने में उनकी राय को ऊपर रखते हैं, यहां तक कि सरकारी मामलों में भी।
 
विश्लेषक एवं लेखक जाहिद हुसैन कहते हैं- इसमें कोई संदेह नहीं है कि इमरान खान और अधिक सहिष्णु पाकिस्तान चाहते हैं। वे अल्पसंख्यकों के लिए और अधिक व्यवस्था चाहते हैं, लेकिन समस्या यह है कि वह चरमपंथी तत्वों को सशक्त करते हैं जो इन सबको समाप्त कर देता है। चरमपंथी तत्व इतने सशक्त हो जाते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार पर हुक्म चला रहे हैं। खान के प्रवक्ता ने इस संबंध में मैसेज एवं फोन करने के बावजूद उत्तर नहीं दिया।
 
प्रधानमंत्री के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता इमरान सिद्दीकी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए चिंता की कोई बात है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में आक्रामक धर्मगुरु होते हैं लेकिन न तो पाकिस्तान और न ही प्रधानमंत्री इमरान खान उनके दबाव में हैं। लेकिन फिर भी धार्मिक कट्टरपंथियों को रियायत दिए जाने की सूची लंबी है।
 
जब कोरोनावायरस पहली बार एक खतरे के रूप में उभरा तब खान ने दुनियाभर से हजारों इस्लामी मिशनरियों के जमावड़े को रोकने से इंकार कर दिया। उनके पाकिस्तान पहुंचने के बाद खान ने इस आयोजन को रद्द करने का आदेश दिया था।
webdunia
जब महामारी के चलते सऊदी अरब ने अपनी मस्जिदों को बंद कर दिया और हज यात्रा को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय किया तब भी मौलवियों के विरोध प्रदर्शन के कारण पाकिस्तान ने अपनी मस्जिदों को बंद करने से मना कर दिया।
 
खान को पदभार संभाले कुछ महीने ही हुए थे कि उन्होंने चरमपंथियों के आगे झुकते हुए अल्पसंख्यक अहमदी मुस्लिम समुदाय के अधिकारी को उनकी बेहतर योग्यता के बावजूद अपने आर्थिक आयोग से हटा दिया।
 
इमरान खान को उस वक्त भी आलोचना झेलनी पड़ी थी जब उन्होंने अमेरिका में 9/11 हमले के मुख्य साजिशकर्ता ओसामा बिन लादेन को संसद में खड़ा होकर 'शहीद' करार दे दिया।
 
इस्लामाबाद स्थित खान के आवास पर बेरोकटोक आने जाने वालों में मौलवी, मौलाना तारिक जमील हैं जिन्होंने एक राष्ट्रीय टीवी चैनल पर कोरोनावायरस महामारी के लिए उन महिलाओं को जिम्मेदार बताया जो डांस करती हैं और छोटे कपड़े पहनती हैं।
 
जब उनके एक राजनीतिक सहयोगी एवं पंजाब प्रांत के विधानसभा अध्यक्ष परवेज इलाही ने इस्लामाबाद में बन रहे एक हिन्दू मंदिर के निर्माण को इस्लाम के खिलाफ बताकर रुकवा दिया तो खान इस्लामिक विचारधारा परिषद के पास इस बात का फैसला कराने के लिए गए कि इसके निर्माण के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। खान ने निर्माण के लिए साठ हजार डॉलर देने का वादा किया था। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोरोनावायरस नेगेटिव पाए जाने के बाद स्पिनर काशिफ भट्टी पाकिस्तानी टीम से जुड़े