रूस में होने वाले सालाना अंतरराष्ट्रीय आर्मी गेम्स में होने वाली टैंक रेस में भारतीय सेना ने अपने टी 90 टैंक से जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 19 देशों के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। रूस के अलाबीनो में 2013 से हर साल अंतरराष्ट्रीय आर्मी गेम्स होते हैं जिसमें कई देश अपनी-अपनी सेना की टीमें उतारते हैं। इस प्रतियोगिता में कई तरह के इवेंट आयोजित किए जाते हैं जिनमें टैंक बायथॉलन प्रमुख आकर्षण का केंद्र होती है। इस गेम में इस बार रूस, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, वेनेजुएला, कजाखिस्तान, कोरिया, जापान सहित 19 देशों ने भाग लिया।
इस कठिन प्रतियोगिता में टैंकों की शक्ति, टैंक चालकों की दक्षता और एक नियत समय में बेहद दुर्गम, कीचड़-पानी, पथरीले और अगम्य ट्रैक पर पूरी रफ्तार से टैंक को चलाना होता है और निशाना लगाना होता है। इस प्रतियोगिता के 3 चरण होते हैं। पहले चरण में 12 टीमों का ही क्वालिफाए होता है और 2रे चरण में सिर्फ चार ही टीमें चुनी जाती हैं जो फाइनल में भाग लेती हैं। इन प्रतियोगिताओं में क्रू (चालकदल) के अनुसार अलग-अलग श्रेणियां होती हैं।
2017 जुलाई से शुरू हुए इस वॉर गेम्स में सबकी निगाहे इस बार भारत और चीन पर थी जो पिछले कुछ समय से डोकलाम पर आमने-सामने है। भारत पिछले 3 वर्षों से इस गेम में भाग लेता आया है। इस बार भारतीय सेना ने अपने सबसे शक्तिशाली टैंक टी 90 को उतारा जिसने 2 किमी की रेस में गजब का प्रदर्शन किया। ब्रिज क्रासिंग के एक मुश्किल टास्क में तो भारतीय टैंक इतनी रफ्तार से ब्रिज पार करते हुए निकला की मानो वो हवा में उड़ रहा हो, इसके अलावा भी रफ्तार से चलते टैंक से सटीक निशाने बाजी और पोल पर लगे झंडों को बिना छुए निकलने के टास्क में भी टी90 ने कुशलता से पार करते हुए 2 और 1 क्रू श्रेणियों के टॉप 4 में स्थान बनाया।
परंतु इस बायथॉलन में चीन ने अपना सबसे शक्तिशाली टैंक उतारा, लेकिन चीनी सेना की फजीहत हो गई, दरअसरल वही हुआ जो चीनी सामानों के साथ होता है। थोड़ी दूर चलने पर ही उसके टैंक खिलौने की तरह बिखर गया। जिस तरह से मुश्किल ट्रैक पर चीनी टैंक के पुरजे निकले उससे उन्हें बेहद शर्मिंगदी का सामना करना पड़ा। वैसे भारत सहित कई देशों में चीनी वस्तुओं की क्वालिटी पर ऐसे ही संदेह नहीं किया जाता है।