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सीमा विवाद चीन-भारत संबंधों के लिए एक प्रमुख चुनौती : चीन

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बीजिंग , सोमवार, 27 जून 2016 (19:03 IST)
बीजिंग। चीन ने कहा है कि भारत के साथ जटिल सीमा विवाद और कुछ उभरते नए मुद्दे  द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए एक प्रमुख चुनौती उत्पन्न करते हैं।
चीन के सहायक विदेश मंत्री ली हुईलाई ने कहा कि दो पड़ोसी देश होने के नाते चीन और  भारत के बीच ऐतिहासिक मुद्दे हैं, जैसे सीमा विवाद तथा दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ने के साथ  ही कुछ नए मुद्दे उभरे हैं। इन मुद्दों से कैसे निपटना है यह दोनों देशों के संबंधों के लिए एक  प्रमुख चुनौती है। 
 
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष संवाद एवं वार्ता मजबूत करने पर सहमत हुए हैं ताकि मैत्रीय मशविरे  के जरिए एक निष्पक्ष, उचित एवं परस्पर स्वीकार्य हल निकाला जा सके। इसके साथ ही दोनों  देश इन मुद्दों का प्रबंधन एवं उन्हें नियंत्रित करने पर भी सहमत हुए हैं जिससे दोनों देशों के  बीच संबंधों का समग्र विकास प्रभावित नहीं हो। मंत्री ने यद्यपि यह स्पष्ट नहीं किया कि दोनों  देशों के बीच उभरते नए मुद्दे क्या हैं?
 
वित्तमंत्री अरुण जेटली गत सप्ताह चीन की 5 दिवसीय यात्रा पर थे। उन्होंने गत शुक्रवार को  कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे एवं अन्य मामलों का द्विपक्षीय व्यापार पर कुछ  बहुत कम प्रभाव है लेकिन दोनों पक्षों के बीच व्यापार का विस्तार हो रहा है।
 
दोनों देशों ने इस वर्ष अप्रैल में जटिल सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत की थी। चीन का  जहां दावा है कि सीमा विवाद 2,000 किलोमीटर तक सीमित है जिसमें मुख्य तौर पर पूर्वी क्षेत्र  में अरुणाचल प्रदेश आता है जिसे वह दक्षिण तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है वहीं  भारत जोर देकर कहता है कि विवाद में पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा आती है जिसमें अक्साई  चिन भी शामिल है जिस पर चीन ने 1962 युद्ध के दौरान कब्जा कर लिया था।
 
चीन के सहायक विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन और भारत के बीच मुख्य कार्य यह है कि  वे दोनों देशों के नेताओं के बीच सहमति कायम करें और अपने संबंधों के विकास में अच्छी  गति को मजबूती प्रदान करें।
 
ली ने कहा कि गत वर्षों के दौरान चीन और भारत ने अपने संबंधों का विकास संतुलित एवं  स्थिर तरीके से किया है। भारत और चीन के नेताओं ने सफलतापूर्वक एक-दूसरे देशों की यात्राएं  की हैं और एक-दूसरे से मुलाकात की है। इससे वे चीन और भारत के बीच रणनीतिक रूप से  महत्वपूर्ण साझेदारी को और गहरा करने को लेकर एक महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे तथा उसके  विकास के लिए एक नजदीकी साझेदारी निर्मित की। 
 
यह पूछे जाने पर कि चीन ने जैशे मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा  प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास को बाधित क्यों किया? ली ने कहा कि चीन आतंकवाद के  सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करता है तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक  सहयोग को मजबूत करने की भी वकालत करता है। हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक  अभियान में संयुक्त राष्ट्र के एक केंद्रीय समन्वयक भूमिका निभाने का समर्थन करते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष हमेशा ही तथ्यों का पालन करता है और वह 1267 समिति द्वारा  सूचीबद्ध करने के मामलों में सुरक्षा परिषद प्रस्तावों एवं नियम एवं प्रक्रिया के तहत निष्पक्ष  व्यवहार करता है।
 
चीन का इस मामले में भारत सहित सभी पक्षों के साथ अच्छा संवाद है। हम संबंधित पक्षों के  बीच सीधे संवाद एवं परस्पर समझ बढ़ाने तथा मतभेदों को बातचीत एवं मशविरे से सुलझाने के  लिए काम करने को भी बढ़ावा देते हैं।
 
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का चीन द्वारा ऐसे में विरोध करने के  बारे में पूछे जाने पर, जबकि उसके अधिकतर सदस्य इसके पक्ष में थे, ली ने कहा कि  एनएसजी सदस्य गैर एनपीटी देशों के एनएसजी की सदस्यता के मामले पर बंटे हुए थे इसलिए  हमने समूह में मशविरे के आधार पर निर्णय करने के लिए आगे और तथा विस्तृत चर्चा का  आह्वान किया।
 
उन्होंने कहा कि चीन का रुख सभी गैर एनपीटी देशों पर लागू होता है और वह विशेष तौर पर  किसी एक पर निशाना नहीं साधता। तथ्य यह है कि समूह में कई देश भी चीन का रुख साझा करते हैं। (भाषा) 

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