ताल अफार। इराकी सेना आज ताल अफार शहर पर फिर से कब्जा करने जा रही है। इराक के शहर ताल अफार पर पैठ बनाए इस्लामिक स्टेट संगठन के जिहादियों को सेना ने यहां से खदेड़ दिया है। यह आखिरी शहर था जहां जिहादियों की पकड़ बहुत मजबूत थी।
आतंकवाद विरोधी इकाइयों ने शहर के इस केंद्र पर नियंत्रण पा लिया जिसमें इराक का ऐतिहासिक राजवंशीय दुर्ग भी शामिल है।
ताल अफार युद्ध में सैन्य संचालनों के कमांडर जनरल (जेओसी) अब्दुलामिर याराल्लाह ने एक बयान में बताया कि कभी आईएसआईएस का गढ़ रहे ताल-अफार पर उन्होंने इराकी ध्वज फहरा दिया है।
यह घोषणा उस वक्त की गई जब फ्रांस के विदेश और रक्षा मंत्री बगदाद के दौरे पर पहुंचे और उन्होंने तेल की कम कीमतों का सामना कर रही इराकी अर्थव्यवस्था और जिहादियों से जंग में होने वाले खर्च के लिए 43 करोड़ यूरो (51 करोड़ 20 लाख अमेरिकी डॉलर) देने की घोषणा की।
याराल्लाह मे बताया कि शनिवार को, इन इकाइयों ने ताल अफार से 15 किलोमीटर उत्तर में स्थित अल-अयादेह के आस-पास भी आईएस के लड़ाकों से युद्ध किया था।
जेओसी ने बताया कि ताल अफार के 1,655 वर्ग किलोमीटर में से 1,155 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि सरकारी सेना के साथ लड़ रहे अर्धसैनिक बल हशद-अल-शाबी द्वारा अल-खादरा और अल-जजीरा जिलों पर कब्जा कर लेने के बाद शहर के ऊपर धुंए देखा जा सकता था।
हशद-अल-शाबी के सैनिक अब्बास राधी ने बताया कि आईएस ने ज्यादातर बंदूक की गोलियों का इस्तेमाल कर सेना को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की।
उन्होंने बताया कि वहां बम लगी गाड़ियां और मोर्टार तोपें भी थीं। लेकिन हम उन्हें हरा देंगे, खुदा ने चाहा तो। अधिकारियों का कहना है कि वह जीत की घोषणा ईद-अल-अदाह के मौके पर करने का विचार बना रहे हैं। यह मुस्लिमों का एक त्योहार है जो इराक में 2 सितंबर को मनाया जाएगा।
आल तफार पर आईएस के कब्जे से पहले यहां शिया तुर्कियों की जनसंख्या बहुत ज्यादा थी। दो लाख की जनसंख्या वाले इस शहर के लोगों ने आईएस के कब्जे के बाद इसे छोड़ दिया था। (भाषा)