लिस्बन। बोतलबंद पानी दुनिया के सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक है और बोतलबंद पानी उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है। सहस्राब्दी के बाद से दुनिया सभी के लिए सुरक्षित पानी के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ी है। 2020 में 74 प्रतिशत मानवता की सुरक्षित पानी तक पहुंच थी। यह 2 दशक पहले की तुलना में 10 फीसदी अधिक है।
लेकिन यह अभी भी 2 अरब लोगों को सुरक्षित पेयजल तक पहुंच से वंचित कर देता है। इस बीच बोतलबंद पानी बनाने वाले सतह के पानी और जलवाही स्तर का दोहन करते हैं। आमतौर पर बहुत कम कीमत पर और इसे नगरपालिका के नल के पानी की एक ही इकाई से 150 से 1,000 गुना अधिक दामों में बेचते हैं। उत्पाद को नल के पानी के पूर्ण सुरक्षित विकल्प के रूप में पेश करके कीमत को अक्सर उचित ठहराया जाता है।
लेकिन बोतलबंद पानी सभी संदूषणों से मुक्त नहीं है, यह देखते हुए कि सार्वजनिक उपयोगिता वाले नल के पानी की तरह इसे कठोर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय नियमों का शायद ही कभी सामना करना पड़ता है। हमारे हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में जिसमें 109 देशों का अध्ययन किया गया था, यह निष्कर्ष निकाला गया था कि अत्यधिक लाभदायक और तेजी से बढ़ता बोतलबंद पानी उद्योग सभी के लिए विश्वसनीय पेयजल की आपूर्ति करने में सार्वजनिक प्रणालियों की विफलता को छुपा रहा है।
उद्योग ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास के प्रयासों को विचलित करके और कम विश्वसनीय, कम किफायती विकल्प पर ध्यान केंद्रित करके सुरक्षित जल परियोजनाओं की प्रगति को कमजोर कर सकता है। तेजी से बढ़ता बोतलबंद पानी उद्योग संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को भी कई तरह से प्रभावित करता है।
संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय की नवीनतम रिपोर्ट से पता चला है कि वैश्विक बोतलबंद पानी के बाजार की वार्षिक बिक्री इस दशक में दुनियाभर में दोगुनी होकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह भूमि और महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण में योगदान करने के साथ ही पानी की कमी वाले क्षेत्रों में तनाव बढ़ा सकता है।
दुनियाभर में खाद्य श्रेणी में किसी भी अन्य की तुलना में तेजी से बढ़ रहा बोतलबंद पानी का बाजार वैश्विक दक्षिण में सबसे बड़ा है, एशिया-प्रशांत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्रों में यह बोलतबंद पानी की कुल वैश्विक बिक्री का 60 प्रतिशत हिस्सा है।
लेकिन कोई भी क्षेत्र सुरक्षित जल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच हासिल करने के रास्ते पर नहीं है, जो एसडीजी 2030 के लक्ष्यों में से एक है। वास्तव में उद्योग का सबसे बड़ा प्रभाव अपने निवासियों को किफायती पेयजल तक समान पहुंच प्रदान करने के लिए राष्ट्रों के लक्ष्यों की प्रगति को रोकने की इसकी क्षमता प्रतीत होती है। ग्लोबल नॉर्थ में बोतलबंद पानी को अक्सर नल के पानी की तुलना में स्वस्थ और स्वादिष्ट माना जाता है। इसलिए यह आवश्यकता से अधिक एक विलासितापूर्ण वस्तु है।
इस बीच ग्लोबल साउथ में यह विश्वसनीय सार्वजनिक जल आपूर्ति और जल प्रबंधन बुनियादी ढांचे की कमी या अनुपस्थिति है, जो बोतलबंद पानी के बाजारों को चलाती है। इसलिए कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विशेष रूप से एशिया प्रशांत क्षेत्र में बोतलबंद पानी की बढ़ती खपत को सुरक्षित सार्वजनिक जल प्रणालियों के प्रति प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सरकारों की दशकों की विफलता के प्रतिनिधि संकेतक के रूप में देखा जा सकता है।
यह उन अरबों लोगों के बीच वैश्विक असमानता को और चौड़ा करता है जिनके पास विश्वसनीय जल सेवाओं तक पहुंच नहीं है और अन्य जो पानी को विलासिता के रूप में चुनते हैं। 2016 में दुनियाभर में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति प्राप्त करने के लिए आवश्यक वार्षिक वित्तपोषण का अनुमान 114 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो कि आज की लगभग 270 अरब अमेरिकी डॉलर की वैश्विक वार्षिक बोतलबंद पानी की बिक्री के आधे से भी कम है।
पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमान लगाया था कि एसडीजी 2030 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रगति की वर्तमान दर को चौगुना करने की आवश्यकता है। लेकिन प्रतिस्पर्धी वित्तीय प्राथमिकताओं और जल क्षेत्र में मौजूदा रवैए को देखते हुए यह एक बड़ी चुनौती है।
जैसे-जैसे बोतलबंद पानी का बाजार बढ़ता है, उद्योग और उसके जल गुणवत्ता मानकों को विनियमित करने वाले कानून को मजबूत करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस तरह के कानून बोतलबंद पानी की गुणवत्ता नियंत्रण, भूजल दोहन, भूमि उपयोग, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, कार्बन उत्सर्जन, वित्त और पारदर्शिता दायित्वों को प्रभावित कर सकते हैं।
हमारी रिपोर्ट का तर्क है कि इस लक्ष्य की ओर वैश्विक प्रगति के साथ अब तक ऑफ-ट्रैक, बोतलबंद पानी बाजार का विस्तार अनिवार्य रूप से आगे बढ़ने के खिलाफ काम करता है या कम से कम इसे धीमा कर देता है, निवेश और दीर्घकालिक सार्वजनिक जल बुनियादी ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
सतत विकास के लिए वैश्विक निवेशकों के गठबंधन जैसी कुछ उच्चस्तरीय पहलों का उद्देश्य एसडीजी के लिए वित्त को बढ़ाना है जिसमें पानी से संबंधित धन भी शामिल हैं। इस तरह की पहल बोतलबंद पानी क्षेत्र को इस प्रक्रिया में एक सक्रिय खिलाड़ी बनने का अवसर प्रदान करेगी और विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में विश्वसनीय जल आपूर्ति की दिशा में प्रगति में तेजी लाने में मदद करेगी।(भाषा/(द कन्वरसेशन)
Edited by: Ravindra Gupta