सीरिया और इराक में जिहादियों का उत्साह इतना कम हो गया है कि वे अब लड़ाई से भागने के बहाने बनाने लगे हैं। लड़ाकों का मनोबल जहां कम हो गया है वहीं संगठन के अधिकार वाले क्षेत्रों में कमी आ रही है और लड़ाके युद्ध से भागना चाहते हैं। संगठन की वित्तीय कठिनाइयों के चलते जिहादियों का मनोबल इतना कमजोर हो गया है कि वे लड़ाई के हालातों से निराश हो गए हैं।
डेलीमेल ऑनलाइन में साइमन टॉमलिनसन लिखते है कि संगठन के कार्मिकों के वेतन, भत्तों में कमी होने से जिहादी किसी तरह लड़ाई के मैदान से भागना चाहते हैं। अमेरिकी थिंकटैंक, सेंटर फॉर कॉम्बेटिंग टेररिज्म (सीटीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2015 में इस्लामिक स्टेट लड़ाई छोड़कर भाग जाने वाले भगोड़ों को आम माफी की घोषणा की थी। पिछले साल आईएस के एक दस्तावेज से भी इस बात का प्रमाण मिलता है कि आईएस कार्मिकों की संख्या कम हो गई है।
संगठन की आय में तीस फीसदी कमी हो गई है और पैसों की कमी को पूरा करने के लिए संगठन लोगों पर नए-नए कर लाद रहा है। पूर्वी सीरिया के दीर अज जोर प्रांत में ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिसमें 'आईएस लड़ाके फ्रंटलाइन पर लड़ने से बचने के लिए डॉक्टरों से फर्जी सर्टिफिकेट खरीद रहे हैं।'
आतंकी गुट की समस्याओं का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे अब लड़ाकों को पैसे नहीं दे पा रहे हैं। इसी वर्ष की शुरुआत में आईएसआईएस को अपने लड़ाकुओं के वेतन को आधा कर दिया था। अब बहुत कम लड़ाकुओं को ही प्रतिमाह एक सौ पौंड का भुगतान किया जा रहा है।
इराक में रमादी और अन्य क्षेत्रों के हाथ में निकल जाने से संगठन ने मोसुल में फतवा जारी कर दिया है कि लड़ाके आम जनता से पैसा वसूल सकते हैं। इसके साथ ही, जो महिलाएं विदेशों से अपनी आरामदेह जिंदगी छोड़कर जिहादियों से शादी करने आई थीं, अब इन महिलाओं को भी तरह-तरह की परेशानियां उठाना पड़ रहा है। इसलिए हजारों की संख्या में सीरिया में पहुंची ये महिलाएं भी नाराज हैं और भाग जाना चाहती हैं।