Israel Hamas War : व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रमुख जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर से जोड़ कर देखना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि बाइडन के बयान को गलत संदर्भ में समझा गया।
उल्लेखनीय है कि भारतीय समाचार एजेंसियों ने गुरुवार को कहा था कि जो बाइडन ने कहा कि उन्हें यकीन है कि हमास के इजराइल पर हमला करने का एक कारण जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान महत्वाकांक्षी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर की घोषणा हो सकता है। जॉन किर्बी ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के संदर्भ को गलत समझा गया।
एक सवाल के जवाब में किर्बी ने कहा कि मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ने जो कहा उसे गलत संदर्भ में समझा गया। उनका कहने का मतलब था कि जिस तरह से सऊदी अरब और इसराइल के बीच समझौता होने वाला था और दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की जो कोशिश हो रही थी। हमें लगता है कि ये कोशिश टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए अहम है, वो शायद हमास के हमले के लिए पीछे एक वजह हो सकती है।
बाइडन ने कहा था कि मेरा मानना है कि हमास ने ऐसे समय हमला किया जब इसराइल की इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ रही थी। मैं इस बात से आश्वस्त हूं, हालांकि इस बात के मेरे पास सबूत नहीं हैं, लेकिन हम इस काम को पीछे नहीं छोड़ सकते।
क्या है इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर?
सितंबर में भारत में जी20 समिट का आयोजन हुआ था। इसमें बाइडेन, ऋषि सुनक समेत दुनियाभर के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। समिट के इतर पीएम मोदी, जो बाइडेन समेत तमाम नेताओं ने महत्वाकांक्षी इंडियन मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर के निर्माण का ऐलान किया था। बता दें कि भारत, यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और सऊदी अरब मिलकर एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसका नाम है- इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी IMEC
9 सितंबर को इस प्रोजेक्ट के एमओयू पर दस्तखत हुए थे. दस्तखत करने वाले देशों में भारत के अलावा अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपियन यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी हैं। इस कॉरिडोर के बनने के बाद रेल और जहाज से ही भारत से यूरोप तक पहुंचा जा सकेगा। इस कॉरिडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का जवाब माना जा रहा है।
बता दें कि इस कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे। पहला- ईस्टर्न कॉरिडोर, जो भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा। दूसरा- नॉर्दर्न कॉरिडोर, जो खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा। इस कॉरिडोर में रेलवे लाइन के साथ-साथ इलेक्ट्रिसिटी केबल, हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी होगी।