पेरिस। इस साल दुनियाभर में कम से कम 57 पत्रकार अपना दायित्व निभाते हुए मारे गए हैं। प्रेस स्वतंत्रता समूह 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' ने सोमवार को कहा कि इनमें से 19 पत्रकार अकेले सीरिया में मारे गए। अफगानिस्तान में 10, मैक्सिको में 9 और इराक में 5 पत्रकार मारे गए। मारे गए पत्रकारों में से ज्यादातर स्थानीय स्तर पर तैनात पत्रकार थे।
हालांकि इस साल मारे गए पत्रकारों की संख्या पिछले साल से कम है। वर्ष 2015 में 67 पत्रकार मारे गए थे, हालांकि समूह का कहना है कि यह कमी इसलिए आई है, क्योंकि पत्रकारों ने खतरनाक देशों- खासकर सीरिया, इराक, लीबिया, यमन, अफगानस्तिान और बुरुंडी को छोड़ दिया है।
समूह ने कहा कि संघर्षरत देशों से पत्रकारों को हटाए जाने की वजह से वहां की जानकारी और खबरें बाहर नहीं आ पा रही हैं। इस साल 9 ब्लॉगर्स और 8 अन्य मीडियाकर्मी भी मारे गए हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने कहा कि इस साल पत्रकारों के मारे जाने की घटनाओं में कमी का कारण प्रेस का दमन करने वालों द्वारा पत्रकारों के लिए पैदा की गई 'दहशत' भी है, जो मीडिया प्रतिष्ठानों को मनमाने ढंग से बंद करते हैं और पत्रकारों पर पाबंदी लगाते हैं।
समूह ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि इसकी वजह से मैक्सिको जैसे देशों में अपने कत्ल के डर से पत्रकारों को खुद ही सेंसरिंग करनी पड़ी है। अफगानिस्तान में मारे गए सभी 10 पत्रकारों को उनके पेशे की वजह से जान-बूझकर निशाना बनाया गया। तोलो टीवी की एक मिनी बस पर जनवरी में हुए एक आत्मघाती हमले में 3 महिलाओं सहित 7 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी।
यमन में हुती विद्रोहियों और सऊदी अरब के समर्थन वाले बलों के बीच लड़ाई में 2015 से लेकर अब तक 7 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। यह हिंसा भी पत्रकारों के लिए खतरनाक साबित हुई है, क्योंकि इसमें 5 पत्रकारों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
आरएसएफ महासचिव क्रिसटोफे डेलोइर ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसा अधिक से अधिक जानबूझकर की गई हिंसा है। उन्होंने कहा कि उन्हें स्पष्ट तौर पर इसलिए निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे पत्रकार हैं। यह खतरनाक स्थिति उनकी रक्षा पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय कदमों की विफलता को दर्शाती है और यह उन क्षेत्रों में स्वतंत्र रिपोर्टिंग के लिए मौत का वारंट है, जहां सेंसरशिप लगाने और दुष्प्रचार के लिए सभी साधन अपनाए जाते हैं, खासकर पश्चिम एशिया में कट्टरपंथी समूहों द्वारा।
समूह ने नवनियुक्त संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति का आग्रह किया।