Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अबू धाबी में मंदिर उद्‍घाटन पर क्या बोले पीएम मोदी

Advertiesment
हमें फॉलो करें Abu Dhabi temple inauguration

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

अबू धाबी , बुधवार, 14 फ़रवरी 2024 (23:09 IST)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अबू धाबी के पहले हिन्दू मंदिर का उद्घाटन करते हुए इसे मानवता की साझा विरासत का प्रतीक बताया और मानव इतिहास का एक नया सुनहरा अध्याय लिखने के लिए संयुक्त अरब अमीरात को धन्यवाद दिया।
 
बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने अबू धाबी में भव्य मंदिर को वास्तविकता बनाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने खाड़ी देश में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ 140 करोड़ भारतीयों का भी दिल जीत लिया।
 
मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि बीएपीएस मंदिर पूरी दुनिया के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और वैश्विक एकता का प्रतीक बन जाएगा।’’ इस दौरान यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान और विभिन्न धर्मों के आध्यात्मिक गुरु उपस्थित थे।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विविधता में द्वेष नहीं देखते, हम विविधता को अपनी विशेषता मानते हैं। इस मंदिर में हमें हर कदम पर विविध आस्थाओं की झलक मिलेगी।
 
उन्होंने कहा कि यूएई ने अब अपनी पहचान में एक और सांस्कृतिक अध्याय जोड़ा है जिसे अब तक बुर्ज खलीफा, फ्यूचर म्यूजियम, शेख जायद मस्जिद और अन्य हाई-टेक इमारतों के लिए जाना जाता था।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आएंगे। इससे यूएई आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी और दोनों देशों के बीच लोगों का आपसी संपर्क भी बढ़ेगा।
 
भव्य मंदिर को साकार करने में यूएई के राष्ट्रपति के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इस भव्य मंदिर को वास्तविकता बनाने में किसी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका है, तो वह कोई और नहीं बल्कि मेरे भाई शेख मोहम्मद बिन जायद हैं।
 
मोदी ने कहा कि यूएई सरकार ने करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरे दिल से काम किया है। उन्होंने कहा कि यूएई सरकार ने न केवल यूएई में रहने वाले भारतीयों का बल्कि सभी 140 करोड़ भारतीयों का दिल जीता है।
 
प्रधानमंत्री ने पिछले महीने अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को भी याद किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में हमारी असीम खुशी आज अबू धाबी में मिली खुशी की लहर से और बढ़ गई है। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं पहले अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर और फिर अबू धाबी में इस मंदिर का साक्षी बना हूं।
 
मोदी ने कहा कि अभी पिछले महीने, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ। रामलला अपने भवन में विराजमान हैं। पूरा भारत और हर भारतीय अभी भी उस प्रेम की भावना में डूबा हुआ है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल भारत के अमृतकाल का समय नहीं है, यह हमारी आस्था और संस्कृति के अमृत काल का भी समय है।
 
इससे पहले, हल्के गुलाबी रंग का रेशमी कुर्ता पजामा, बिना बांह वाली जैकेट और पटका पहने हुए प्रधानमंत्री ने मंदिर के लोकार्पण समारोह में पूजा विधि में भाग लिया। मोदी ने यहां पहले हिंदू मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले विभिन्न संप्रदायों के लोगों से मुलाकात की।
 
दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास 27 एकड़ क्षेत्र में करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए मंदिर के उद्घाटन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री ने मंदिर में कृत्रिम रूप से तैयार की गईं गंगा और यमुना नदियों में जलार्पण भी किया।
 
प्रधानमंत्री ने मंदिर में हथौड़े और छेनी का उपयोग करके पत्थर पर ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ भी अंकित किया।
 
मंदिर अधिकारियों के अनुसार शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों एवं हिंदू ग्रंथों में उल्लेखित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार भव्य मंदिर बनाया गया है।
 
संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइल पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।
 
बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा कि यहां वास्तुशिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर इसका पता लगा लेगा और हम अध्ययन कर सकेंगे।’’
 
मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए कंक्रीट मिश्रण में 55 प्रतिशत सीमेंट की जगह राख का उपयोग किया गया है।
 
मंदिर के निर्माण प्रबंधक मधुसूदन पटेल ने कहा कि हमने परंपरागत सौंदर्य वाली पत्थर संरचनाओं और आधुनिक समय के शिल्प को मिलाते हुए तापमान रोधी सूक्ष्म टाइल्स और कांच के भारी पैनलों का इस्तेमाल किया है। यूएई में अत्यधिक तापमान को देखते हुए ये टाइल्स दर्शनार्थियों के पैदल चलने में सुविधाजनक होंगी।
 
अबू धाबी के पहले हिन्दू मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में स्वंयसेवक उमेश राजा के अनुसार, 20 हजार टन से अधिक चूना पत्थर के टुकड़ों को राजस्थान में तराशा गया और 700 कंटेनर में अबू धाबी लाया गया। भाषा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

किसान आंदोलन के बीच 17 फरवरी को मुजफ्फरनगर में महापंचायत