नेपाल की मधेसी पार्टियों ने सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि यदि वह संसद में आनुपातिक प्रतिनिधित्व समेत अन्य मांगों पर ध्यान नहीं देती है, जो वह 14 मई को होने वाले स्थानीय चुनाव को बाधित करेंगे।
सात मधेसी एवं जातीय पार्टियों के संघीय गठबंधन ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को से पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का नया दौर शुरू करेंगी। गठबंधन ने कहा कि वह धरना, रैली और आम हड़ताल के जरिए विरोध प्रदर्शन करेंगे।
गठबंधन के संयोजक एवं फेडरल सोसलिस्ट फोरम- नेपाल के चेयरमैन उपेन्द्र यादव ने रविवार को कहा कि सरकार ने संसद में संविधान संशोधन प्रस्ताव से पहले उनसे राय मशविरा नहीं किया। हालांकि सरकार का दावा है कि यह संशोधन मधेसी समुदाय की आनुपातिक प्रतिनिधित्व एवं संघीय सीमाओं की पुनर्रचना से संबंधित मांगों को हल करने के लिए किया गया था।
यादव का कहना है कि सरकार ने उस संशोधन प्रस्ताव को प्रस्तुत नहीं किया, जो उन्हें बताया गया था। पार्टी सू़त्रों के अनुसार हालांकि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सत्तारूढ़ पार्टी सीपीएन (माओवादी-केन्द्र) के नेताओं से कहा कि गठबंधन ने उन्हें धोखा दिया है। यादव ने दावा किया है कि सरकार की ओर से संसद में पेश किए गए संशोधन प्रस्ताव में प्रांतों के तहत स्थानीय संघीय इकाइयों को शामिल करने का प्रस्ताव शामिल नहीं था।
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों को शामिल नहीं किया गया तो वह 14 मई को होने वाले चुनाव कराने में सक्षम नहीं होगी। (भाषा)