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Murder of Hachalu Hundessa: उसके पास दोस्‍त और दुश्‍मन दोनों थे, लेकि‍न हकालू हंदेसा की हत्‍या वाजि‍ब नहीं थी

हमें फॉलो करें Murder of Hachalu Hundessa: उसके पास दोस्‍त और दुश्‍मन दोनों थे, लेकि‍न हकालू हंदेसा की हत्‍या वाजि‍ब नहीं थी
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नवीन रांगियाल

Music is my life; it got me friends and foes
‘संगीत मेरी जिंदगी है, इसने मुझे दोस्‍त और दुश्‍मन दोनों दिए’

एक कलाकार अपनी जिंदगी में आमतौर पर बहुत सारे प्रशंसक बनाता है, जो उससे प्‍यार करते हैं। कलाकारों के ऐसे दुश्‍मन तो कम ही होते हैं, जो उसकी हत्‍या तक कर दें, लेकिन हकालू हंदेसा के साथ ऐसा नहीं हुआ, उसके म्‍यूजि‍क ने उसके लिए बहुत सारे अनजान दुश्‍मन पैदा किए।

शायद इसीलि‍ए उसने पहले ही लि‍ख दिया था, ‘Music is my life; it got me friends and foes’

यह दुखद ही रहा कि‍ उसके अज्ञात दुश्‍मनों ने उसकी हत्‍या कर दी।

इथियोपि‍या के लोकप्र‍ि‍य गायक और म्‍यूजिशि‍यन हकालू हंदेसा की 29 जून को कैपिटल अदीस अबाबा में हत्‍या कर दी गई। जिस कार में वो सवार था, उस पर इतनी गोलि‍यां बरसाई गई कि उसकी देह और आत्‍मा दोनों छलनी हो गई।

हर हत्‍या के पीछे कोई न कोई वजह होती है, हालांकि कि‍सी भी वजह से कि‍सी की हत्‍या नहीं की जाना चाहिए, हत्‍या का कोई भी कारण वाजि‍ब नहीं होता, लेकिन हंदेसा की हत्‍या का ‘मोटि‍व’ यह था कि वो लोगों के दुखों और तकलीफों को लय में रचता था, वो दुखों में संगीत के बुलबुले खोजता था और फि‍र उन्‍हें सुर बनाकर अपने कद्रदानों की तरफ हवा में फूंक देता था।

अपनी तकलीफों को अपने से दूर रखने के लिए आदमी सपने देखता है, सपनों की एक सुखभरी खोह बना लेता है, उसी भ्रम में वो जिंदा रहता है। ठीक इसी तरह लेखक अपने दुखों को लि‍खता, दर्ज करता है, संगीतकार उन तकलीफों की धुनें बुनता है। उसके पास जीने का यही एक तरीका बचा होता है।
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हंदेसा अपने और अपने लोगों की कुछ ऐसी ही घुटन और तकलीफों को अपने नोटेशन में दर्ज कर रहा था, तकलीफों की एक संगीतबद्ध सूची तैयार कर रहा था। यह एक बेहद ही खूबसूरत काम था, अपनी पीड़ाओं
का ‘म्‍यूजिकल डॉक्‍यूमेंटेशन’ तैयार कर उसे हमेशा के लिए प्र‍ि‍जर्व कर के रख लेना। पिछले कुछ दिनों से उसके ये गीत घर-घर में प्रार्थनाओं की तरह गाए भी जा रहे जाते थे।

लेकिन दूसरी तरफ खड़े लोगों को अपने लिए यह संगीत नहीं चाहिए था। दुनि‍या में कई जगहों पर सुंदर रचनाओं और कलाओं को खत्‍म करने की बहुत जल्‍दबाजी मची सी हुई है।

हंदेसा को भी खत्‍म कर दि‍या गया, वो भी सिर्फ 34 साल की उम्र में ही, क्‍योंकि वो अपने समाज ऑरोमो की पीड़ा और उसके दमन के गीत लि‍ख रहा था। हालांकि‍ वो रोमांस के गीतों के साथ ही पॉलि‍टिकल फ्रीडम की आवाज भी बन रहा था। 17 साल की उम्र में राजनीतिक गति‍विधि‍यों में भाग लेने की वजह से उसे 5 साल के लिए जेल में डाल दि‍या गया था।

क्‍योंकि वो अपने म्‍यूजिक से इथि‍योपि‍या में ऑरोमो वर्ग के दमन और उनके वि‍स्‍थापन के खि‍लाफ लड़ना चाह रहा था। लेकिन जेल के अंधेरे ने उसे इथि‍योपि‍या का सबसे चमकीला सि‍तारा बना दि‍या था।
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उसने एक बार कहा था, ‘मुझे नहीं पता लि‍रि‍क्‍स कैसे लिखे जाते हैं और धुनें कैसे बनती हैं, लेकिन सलाखों के पीछे जाते ही मैं यह सब जान गया हूं’

शायद हर कला का जन्‍म अंधेरे में ही होता है। चाहे वो कवि‍ता हो या संगीत। इसके बाद कला जिंदगी के सबसे उजले हिस्‍से में जाकर दमकती है। लेकिन कलाकारों की ऐसी मौतें कला में भरोसा और ज्‍यादा पैदा कर जाती है।

जब हंदेसा के सीने से बहुत सारी गोलि‍यां पार हुईं होंगी तो उसकी छलनी देह से बहुत सारा उजाला भी उग आया होगा।

जैसा उसने खुद कहा था, I have friends and foes both, लेकिन बतौर कलाकार उसकी हत्‍या वाजि‍ब नहीं थी।

हकालू हंदेसा की हत्‍या के विरोध में वहां हुई जातीय हिंसा में करीब 100 से ज्‍यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है, लेकिन अब तक हत्‍यारों का पता नहीं है।

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