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मोदी के संयुक्त राष्ट्र में दिए भाषण की दस महत्वपूर्ण बातें

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संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी में बोलते हुए दुनियाभर के लोगों का ध्यान सफलतापूवर्क अपनी और खींचा। मोदी के भाषण की दस प्रमुख बातें...
पाक को फटकार : संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे का राग अलापने के लिए पाकिस्तान पर प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के साये के बिना गंभीर द्विपक्षीय संवाद में संलग्न होने की पेशकश की और पड़ोसी देश से इसके लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने को कहा। मोदी ने कहा, 'इस मंच पर मुद्दे उठाना हल निकालने का कोई तरीका नहीं है।'
 
संयुक्त राष्‍ट्र को नसीहत : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के होते हुए अलग-अलग जी समूह बनने के औचित्य पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सभी देशों का एक समग्र समूह जी ऑल बनाया जाना चाहिए जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र से अच्छा और कोई मंच नहीं हो सकता। मोदी ने कहा कि  संयुक्त राष्ट्र अगले वर्ष 70 वर्ष पूरे करने जा रहा है और इस अवसर का उपयोग करते हुए उसे आत्मचिंतन करना चाहिए।
 
आतंकवाद : मोदी ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद बढ़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समस्या नए रूप और नए नाम धर रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश, भले ही वह बड़ा या छोटा हो, इस खतरे से मुक्त नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी विभिन्न देश अपनी भूमि को आतंकवाद की पनाहगाह बनने दे रहे हैं या आतंकवाद को अपनी नीति का एक अंग बना रहे हैं। 
 
मोदी ने सवाल किया, 'क्या हम वास्तव में उन शक्तियों का सामना करने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयास कर रहे हैं या हम अभी भी अपने विभाजन, देशों के बीच अपने भेदभाव और अच्छे आतंकवाद-बुरे आतंकवाद की राजनीति से बंधे हैं।'
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बड़ा युद्ध नहीं, शांति का अभाव : मोदी ने वर्तमान समय के बारे में कहा ‘‘यह तनाव और उथल.पुथल का दौर है जैसा कि हाल के इतिहास में पहले कभी भी नहीं देखा गया। यद्यपि कोई बड़ा युद्ध नहीं हो रहा है लेकिन वास्तविक शांति का अभाव है और भविष्य के प्रति अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में अतिवाद और गड़बड़ी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे अपने क्षेत्र को आतंकवाद की अस्थिरता के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
 
विश्व की दिशा नहीं तय कर सकता एक राष्‍ट्र : मोदी ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69 वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कोई एक देश या देशों का समूह विश्व की दिशा को तय नहीं कर सकता है। इसके लिए वास्तविक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी होनी चाहिए। यह केवल एक नैतिक नहीं बल्कि व्यवहारिक वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि हमें देशों के बीच वास्तविक बातचीत और साझेदारी की जरूरत है। मैं यह बात उस दर्शन एवं परंपरा के अनुरूप कह रहा हूं जहां से मैं आया हूं.... हमारे प्रयास यहां से शुरू होने चाहिए...... संयुक्त राष्ट्र से।
 
मित्रता और सहयोग की वकालत : भारतीय नेता ने इस बात को भी रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने पाकिस्तान सहित अपने पड़ोसियों के साथ मित्रता एवं सहयोग को बढ़ाने को उच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में बाढ़ के समय उन्होंने पाकिस्तान को भी सहयोग की पेशकश की थी।
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बिजली, पानी और स्वच्छता की बात : मोदी ने इस मंच से आम आदमी की समस्याओं बिजली, पानी और स्वच्छता का मुद्दा उठाया और संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी लक्ष्य 2015 को हासिल करने के लिए एकजुटता और ईमानदारी से प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा जीवन की मूलभूत जरूरतों बिजली, पानी और स्वच्छता से वंचित है। सभी देशों को इस दिशा में प्रयास करने चाहिए। भारत में इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
 
निराशा का माहौल बदलना चाहिए : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व समुदाय से आज आह्वान किया कि वह निराशा और आलोचना को छोड़कर माहौल बदलने के लिए रचनात्मक प्रयास करे और चुनौतियों का सामना करे। उन्होंने कहा कि विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए समग्रता से प्रयास किए जाने चाहिए और दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहिए। 
 
फेसबुक, ट्विटर की गति से विकास : उन्होंने कहा कि तकनीक ने हमे यह मौका दिया है कि विश्व की चुनौतियों को सामना तेजी से हो सकता है। विश्व के अरबों लोग गरीबी और अभाव में जी रहे हैं। विश्वास कीजिए यदि सभी प्रयास करे तो फेसबुक और टि्वटर की गति से विकास हो सकता है लेकिन प्रगति पर बल देना होगा।
 
जोड़ने वाली जगह बन गई टकराव स्थल : उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष, समुद्र, और साइबर स्पेस तीनों जगह आपस में जोडने वाली जगह जानी जाती हैं लेकिन अब ये टकराव स्थल बन गए हैं। इसे रोका जाना चाहिए। 

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