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नरेंद्र मोदी से मिलेंगे आज डोनाल्ड ट्रंप, क्या होगा खास?

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, सोमवार, 26 जून 2017 (09:07 IST)
वॉशिंगटन। भारत के शक्तिशाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात करेंगे। इससे पहले ट्रंप ने मोदी को सच्चा दोस्त बता दिया है। दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात होगी। मोदी के लिए ट्रंप ने विशेष डिनर का आयोजन किया है।

व्हाइट हाऊस में भारतीय समय अनुसार रात 10.30 बजे प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। लगभग पांच घंटे चलेगी वार्ता।
 
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता का कहना है कि मोदी के स्वागत के लिए भव्य तैयारी की जा रही है और वो पहले विदेशी नेता होंगे जिनके सम्मान में ट्रंप प्रशासन के दौरान व्हाइट हाउस में रात्रि भोज का आयोजन किया जा रहा है। डोनल्ड ट्रंप अपने चुनाव से ठीक दो हफ्ते पहले भारत और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे थे और चुनाव के बाद के कुछ दिनों तक भी टेलीफोन पर हुई बातचीत में ये प्यार बरकरार था। लेकिन वॉशिंगटन से एच-1-वी वीजा पर क्या बात होगी, यह सवाल बरकरार है। हालांकि यह तो तय है कि ट्रंप के साथ पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर तो बात होगी ही।

इन मुद्दों पर हो सकती है बात
1. एच-1बी वीजा मुद्दा।
2. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद
3. भारतीय सेना का आधुनिकरण, ड्रोन पर वार्ता।
4. परमाणु बिजली मुद्दे पर वार्ता।
5. भारत-अमेरिका के बीच व्यापार बढ़ना।
6. एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा मजबूत करना।
 
नरेंद्र मोदी को  एच-1-वी वीजा, आतंकवाद और पेरिस जलवायु संबंधी मुद्दे पर ट्रंप को साधना होगा। जाहिर है मोदी के पास ओबामा के जाने के बाद भारत अमेरिका के रिश्तों में आई सुस्ती को चुस्त दुरुस्त करने का बड़ा मौका है। सूत्रों की मानें तो भारत के सरहद पार आतंकवाद और भारत की अफगानिस्तान में सराहनीय भूमिका का जिक्र ज्वाइंट स्टेटमेंट में हो सकता है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पीएम मोदी इससे पहले तीन बार फोन पर बात कर चुके हैं मगर पहली बार दोनों नेता मिल रहे हैं। दोनों नेताओं के बेबाक और मिलनसार अंदाज़ को देखते हुए रिश्तों के गर्माहट आ सकती है। ऐसे में कूटनीतिक नज़रिये से ये मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण है और इससे निश्चित ही पाकिस्तान को मिर्च लग सकती है।
 
मोदी के दौरे से ठीक पहले अमेरिकी प्रतिनिधी सभा के दो सदस्यों ने पाकिस्तान का गैर नेटो साझेदार का दर्जा खत्म करने का विधेयक पेश किया है। जाहिर है इससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी और भारत के लिए ये अच्छी खबर सिद्ध होगी। ट्रम्प प्रशासन ने भी पकिस्तान में पनप रहे हक्कानी नेटवर्क और अन्य आतंकी संगठनों पर रुख कड़ा किया है।
 
दोनों नेता मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए संकल्प ले सकते हैं। हो सकता है कि किसी नए संगठन या आतंक के आका पर बैन पर सहमति बने। इसके अलावा दोनों देशों के बीच समरिक और आर्थिक पटल पर कुछ नए कदम बढ़ाने की घोषणा भी हो सकती है। दोनों ही इस क्षेत्र में एक दूसरे को आदान प्रदान करते रहे हैं।
 
ए-1बी वीज़ा : ए-1बी वीज़ा को लेकर ट्रम्प के नए आदेश को लेकर भी भारत की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। गौरतलब है ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति की तहत एच1बी वीज़ा के नियमों के विश्लेषण का आदेश जारी हुआ है। अब देखना होगा कि मोदी इस मामले को कैसे सुलझाते हैं।
 
पेरिस समझौता : जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका का रुख अलग है तो भारत इस पर अपनी अलहदा राय रखता है। अमेरिका हाल ही में जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए पेरिस समझौते को अलविदा कह चुका है। जबकि भारत मानता है कि इसकी पालना बेहद जरूरी चीज है। डोनाल्ड टंप का मानना है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर सारा बखेड़ा चीन का खड़ा किया हुआ है, जिससे अमेरिकी उत्पादों को प्रतिस्पर्धा से बाहर किया जा सके। हालांकी इस दौरे पर पेरिस समझौते का भी साया मंडरा रहा है। ट्रंप ने अमेरिका के वाकआउट के लिए चीन और भारत को जिम्मेदार ठहराया था। इस मामले में मोदी क्या कहेंगे और ट्रंप क्या सुनेंगे यह देखना होगा।
 
ड्रोन पर होगा करार : सबसे महत्वपूर्ण यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच कई महत्वपूर्ण करार हो सकते हैं लेकिन इन सबमें सबसे अहम होगा ड्रोन्स के बारे में समझौता। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो दोनों देशों के बीच 22 ड्रोन्स खरीदने का सौदा हो सकता है। नरेंद्र मोदी सोमवार को 'वर्किंग डिनर' के दौरान ह्वाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ व्यापक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान ड्रोन्स की खरीदारी पर अंतिम मुहर लग सकता है।
 
नासा और इसरो : गौरतलब है कि इस वार्ता पर नास और इसरो की भी निगाहें टिकी हुई है। दोनों नेता वार्ता करेंगे तो इसके नतीजों की सबसे ज्यादा चिंता नासा, इसरो के वैज्ञनिकों को होगी। दोनों अंतरिक्ष एजेंसियां अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं कि इसका भविष्य क्या होगा।


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