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चलिए, आतंक के खिलाफ मिलकर लड़ने की कसम पूरी करें...

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-शोभना जैन
काठमांडू। मुंबई आतंकी हमले की बरसी की छाया मे शुरू हुए  दक्षेस शिखर सम्मेलन मे आज  यहा प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने  भारत के खिलाफ  लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंक और हिंसा की हरकतों को परोक्ष रूप से उठाते हुए दो टूक शब्दों मे आतंकवाद को इसे क्षेत्र की सबसे बड़ी और विकट समस्या बताते हुए कहा कि मुंबई आतंकी हमले का दर्द हमारे लिए कभी खत्म नही होने वाला दर्द है, 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों का दर्द आज भी ताजा है।
मोदी ने कहा, आज हम 2008 में मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों को याद कर रहे हैं। हम अपने लोगों की जिंदगियां गंवाने का अंतहीन दर्द महसूस कर रहे हैं। चलिए, आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की कसम को पूरी करें।
 
प्रधानमंत्री ने आज यहा 18वें दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (शिखर दक्षेस) के सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी में स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमें एक दूसरे के नागरिकों की परवाह करनी होगी। हम एक दूसरे के नागरिकों की चिंता करेंगे तो दोस्ती बढ़ेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पास होने से, साथ होने से कई गुना ताकत मिलती है। जरूरत है पास होने के साथ-साथ होना।
 
इसी बीच एक अन्य अहम घटनाक्रम में दक्षिण एशियायी देशों के बीच संपर्क मार्ग बढ़ाने सहित कई अन्य क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की भारत की पहल पर पाकिस्तान के अड़ंगे की वजह से क्षेत्र के देशो के बीच समझौता समारोह नही हो सकेगा, भारत ने प्रस्ताव दिया था कि सार्क देशों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सभी देशों को सड़क, रेल मार्गों और बिजली के जरिये संपर्क बढ़ाना चाहिए।  
 
'यहा चल रहे दक्षेस शिखर बैठक मे तेजी से घट रहे एक अन्य महत्वपूर्ण घट्नाक्रम में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने आज मोदी शरीफ मुलाकत की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि दोनों के बीच कोई निर्धारित उभयपक्षीय मुलाकात तय नहीं है, वजह साफ है, पाकिस्तान के तरफ से ऐसी किसी मुलाकात का आग्रह नही मिला है, ऐसी कोई मुलाकात नही हो रही है।
 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच यहां दक्षेस शिखर बैठक के दौरान किसी संभावित अनौपचारिक मुलाकात को लेकर चल रही तमाम अटकलबाजियों के बीच कल यहा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज से यहां छोटी सी मुलाकात हुई, दुआ सलाम हुई। यह सरसरी सी मुलाकात यहां दक्षेस शिखर बैठक से पहले चल रही दक्षेस विदेश मंत्रियो की बैठक से अलग हटकर हुई।
 
इस बातचीत के बारे में पूछे जाने पर विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि मैंने उनसे शिष्टाचार के नाते भेंट की। यह सामान्य शिष्टाचार है कि जब विभिन्न देशों के प्रतिनिधि किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिलते हैं तो वे एक-दूसरे से नमस्कार करते हैं और हम भी ऐसे ही मिले। उसके बाद ऐसी अटकलें जोर पकड़ गई कि शायद मोदी नवाज मुलाकात हो जाए, लेकिन आज तक के तय कार्यक्रमों के अनुसार कम से कम आज तो यह मुलाकात नहीं होगी। 
 
इससे पूर्व शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री के 25 मिनट के उद्‍बोधन में 26/11 के मुंबई हमले का दर्द झलक उठा और उन्होंने कहा कि अच्छा पड़ोसी विकास में सहायक होता है। सभी को अच्छा पड़ोसी मिलना चाहिए। अपने उदबोधन मे प्रधानमंत्री ने दक्षेस देशों के आपसी रिश्ते बढ़ाने और कारोबार से लेकर आपसी सहयोग पर जोर देते हुए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में भारत की तरफ से पहल करते हुए कई अहम घोषणाएं भी कीं, जिसमें दक्षेस देशों के मरीजों के लिए भारत मेडिकल वीजा देने के पेशकश के साथ इन देशों को तीन से पांच साल का व्यावसायिक वीजा जारी करने का एलान शामिल है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मेरा पहला दक्षेस सम्मेलन है। इससे मुझे ढेर सारी उम्मीदें हैं। मोदी ने दक्षेस देशों में विकास की रफ्तार काफी कम होने पर चिंता जताते हुए कहा क्या इस की वजह दक्षेस देशों के बीच आपसी मतभेद हैं? उन्होंने कहा कि कारोबार बढ़ाने से ये मतभेद घट सकते हैं। 
 
मोदी ने सुझाव दिया कि सार्क देशों में आपसी रिश्ते और कारोबार बढ़ाने के लिए वीजा की जगह ट्रैवल कार्ड का इस्तेमाल हो। सार्क से जुड़े देशों को मोदी ने कई अहम सुझाव देते हुए कहा कि सार्क देश एक-दूसरे को बिजली दे सकते हैं, टूरिज्म पर सहयोग बढ़ा सकते हैं, बुद्धिस्ट सर्किट बना सकते हैं, मौसम की जानकारी के लिए सैटेलाइट को साझा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर हम एक-दूसरे के शहरों और गांवों को रोशन कर सकते हैं तो हम हमारे क्षेत्र के भविष्य को रोशन बना सकते हैं।
 
इस सम्मेलन में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन में सार्क के 9 पर्यवेक्षक ऑस्ट्रेलिया, चीन, यूरोपियन यूनियन, ईरान, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मॉरिशस, म्यांमार और अमेरिका भी मौजूद हैं। चीन के सार्क देशों में शामिल किए जाने की नेपाल की अपील के बाद इस सम्मेलन में पर्यवेक्षकों खासकर चीन के रुख पर भारत की खास नजर रहेगी। (वीएनआई)
 

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