टोक्यो। जापान ने उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु परीक्षण के आकार में बुधवार को फिर से सुधार करते हुए कहा कि इसकी क्षमता तकरीबन 160 किलोटन है, जो हिरोशिमा बम से दस गुना अधिक है। जापान ने दूसरी बार इसकी क्षमता की समीक्षा की है। पहले उसने इसकी क्षमता 70 और 120 किलो टन के बीच आंकी थी।
रक्षामंत्री इत्सुनोरी ओनोडेरा ने कहा कि 160 किलो टन का उनके मंत्रालय का अनुमान व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) के संशोधित परिमाण पर आधारित है। ओनोडेरा ने कहा कि यह पहले हुए परमाणु परीक्षणों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली है। वर्ष 1945 में अमेरिका ने हिरोशिमा पर, जो बम गिराया था उसकी क्षमता 15 किलो टन थी।
मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को ओनोडेरा ने अमेरिका के रक्षामंत्री जिम मैटिस से टेलीफोन पर बात की और दोनों नेताओं ने उत्तर कोरिया पर प्रत्यक्ष दबाव बढ़ाने पर सहमति जताई। मंत्रालय ने बताया कि ओनोडेरा ने मैटिस से कहा कि उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम नए स्तर का गंभीर और आसन्न खतरा है।
उत्तर कोरिया ने रविवार को लंबी दूरी की मिसाइल के लिए बनाए गए हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया जिसे लेकर दुनिया भर में चिंता पैदा हो गई। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका आने वाले दिनों में नए प्रतिबंधों वाला प्रस्ताव पेश करेगा लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को अमेरिका की मांग को खारिज करते हुए कहा कि और अधिक प्रतिबंध लगाना व्यर्थ है।
पुतिन की टिप्पणियों को इस बात को लेकर विश्व की प्रमुख शक्तियों के बीच मतभेद के तौर पर देखा जा रहा है कि उत्तर कोरिया पर कैसे लगाम लगाई जाए। रूस और चीन इस मुद्दे पर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ है।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जब बृहस्पतिवार को रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में जब पुतिन से बातचीत करेंगें तो ऐसी संभावना है कि वह उत्तर कोरिया के उकसावे की कार्रवाई पर पुतिन से उनका समर्थन करने के लिए कहे।
आबे ने बैठक के लिए रवाना होने से पहले कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उत्तर कोरिया अपनी मौजूदा नीति में बदलाव लाए और यह समझे कि अगर उत्तर कोरिया अपनी मौजूदा नीति को जारी रखता है उसका कोई उज्ज्वल भविष्य नहीं है। (भाषा)