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हिना रब्बानी बोलीं, 'कश्मीर को जंग के जरिये हासिल नहीं कर सकता पाकिस्तान'

हमें फॉलो करें हिना रब्बानी बोलीं, 'कश्मीर को जंग के जरिये हासिल नहीं कर सकता पाकिस्तान'
इस्लामाबाद , सोमवार, 27 जून 2016 (14:45 IST)
आजादी और इस्लाम के नाम पर दोनों तरफ के कश्मीर को आतंकवाद और छद्म युद्ध के द्वारा बर्बाद करने वाले मुल्क की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने अपने मुल्क पाकिस्तान को सलाह दी है कि भारत से युद्ध लड़कर पाकिस्तान कभी कश्मीर नहीं ले पाएगा। आजादी से लेकर अब तक पाकिस्तान कश्मीर पर अपना अधिकार थोपने की लगातार नापाक कोशिशें करता आ रहा है, लेकिन पाक के इतिहास में शायद पहली बार किसी नेता ने कश्मीर को लेकर ऐसा बयान दिया है।
पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खान ने कश्‍मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्‍तान सरकार की नीति पर एक तरह से सवालिया निशाना लगाया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्‍तान 'जंग' के जरिए कश्‍मीर को हासिल नहीं कर सकता और इस मसले का हल भारत के साथ आपसी विश्‍वास का माहौल बनाकर ही किया जा सकता है।
 
पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में भारत-पाक संबंधों पर अपनी राय रखी। उनसे जब कश्मीर के बारे में सवाल किया गया तो खार ने बड़ी ही साफगोई से कह दिया कि पाकिस्तान भारत से युद्ध नहीं जीत पाएगा। पाकिस्तान ये सोच भी नहीं कि युद्ध करके भारत से कश्मीर ले लेगा। खार ने कहा कि जब पाकिस्तान को इस स्थिति के बारे में पता है तो एक ही रास्ता बचता है, बातचीत का।
 
खार ने टीवी चैनल पर ही बोलते हुए अपने मुल्क के हुक्मरानों को सलाह दी कि बातचीत के जरिए ही कश्मीर मुद्दे का कुछ हल निकल सकता है। खार ने बातचीत के जरिए ही भारत के साथ संबंधों को अच्छा बनाने पर जोर दिया।
 
खार साल 2011 से 2013 तक पाकिस्तान की विदेश मंत्री रह चुकी हैं। अपने कार्यकाल के दौरान खार भारत भी आई थीं। टीवी पर खार के इंटरव्यू से लग रहा है कि उन्हें पाक की वर्तमान सरकार के रुख से नाराजगी है। खार ने पाकिस्तान की विदेश नीति, भारत-अमेरिका और अफगानिस्तान के साथ रिश्तों पर पाक सरकार को लताड़ा। हालांकि पाकिस्तान की शुरु से ही यह नीति रही है कि भारत से सीधे युद्ध लड़ने के बजाय छद्म युद्ध लड़ना ज्यादा फायदे का सौदा है और इसमें वह कुछ हद तक सफल भी हुआ है। 
 
पाकिस्‍तानी समाचार पत्र डॉन के अनुसार, जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्‍यू में खार ने कहा, 'मेरा मानना है कि पाकिस्‍तान युद्ध के जरिये कश्‍मीर को नहीं पा सकता है। यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो फिर बातचीत का विकल्प ही शेष बचता है। पाकिस्‍तान की इस ग्‍लैमरस पूर्व मंत्री ने कहा कि आपसी संवाद ऐसा एकमात्र जरिया है जिससे आप अपने रिश्‍तों को सामान्य बना सकते हैं और आपसी विश्‍वास बरकरार रख सकते हैं।  
 
हिना रब्बानी ने दावा किया कि गठबंधन की विवशता के बावजूद, पूर्ववर्ती पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी (पीपीपी) सरकार ने वीजा नियमों को शिथिल बनाकर और व्यापारिक संबंधों को सामान्य कर भारत के साथ संबंध सुधारने की पुरजोर कोशिश की। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के मुद्दे प्रतिकूल वातावरण में हल नहीं किये जा सकते। वर्ष 2011 से 2013 तक पाकिस्‍तान का विदेश मंत्री पद संभालने वाली खार ने कहा कि यदि हमने कश्‍मीर जैसे नाजुक मसले पर बातचीत लगातार जारी रखी तो 'समाधान' तक पहुंच सकते हैं।
 
इंटरव्यू के दौरान पाकिस्‍तान की विदेश नीति में सेना के 'प्रभाव' के बारे में पूछे जाने पर हिना रब्बानी ने कहा कि 'डिप्लोमेट्स' का काम विभिन्न मसलों पर सेना के दृष्टिकोण को उस समय आगे बढ़ाना होता है जब सेना भी इनमें संबद्ध पक्ष होती है। खार ने कहा कि  कुछ लोगों का मानना है कि यह मामला तब ही सुलझ सकता है जब भारत में बीजेपी सरकार सत्ता में रहे और पाकिस्‍तान में सैन्‍य सरकार। खार के अनुसार, परवेज मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल के दौरान कश्‍मीर मुद्दे पर भारत को काफी रियायतें दीं।

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