पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचिस्तान के स्थानीय लोगों पर ऐसे-ऐसे अत्याचार किए जा रहे हैं जो कुख्यात आतंकी संगठन आईसिस की याद दिला रहे हैं। आम लोगों पर होने वाले पाकिस्तानी जुल्म पर बलूच मानवाधिकार ऐक्टिविस्ट फरजाना मजीद बलूच ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन और महिलाओं पर अत्याचार की तुलना 1971 की बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से की है।
उन्होंने यह कहते हुए कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है बताया कि पाक सेना का बलूच महिलाओं को निशाना बनाना, 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की महिलाओं के साथ हुए रेप और ज्यादती जितना बुरा है। फरजाना ने यह भी बताया कि पिछले दो दिनों से एक बलूच ऐक्टिविस्ट के घर को पाकिस्तान पैरामिलिटरी फोर्सेज ने महिलाओं और बच्चों समेत घेर रखा है।
इसके पहले उन्होंने 40 से ज्यादा महिलाओं को उनके बच्चों के साथ बलूचिस्तान के बोलन इलाके से अगवा कर लिया था। फरजाना ने कहा कि कोहलू और डेराबुग्ती इलाके में मिलिटरी ऑपरेशन के बाद से जरीना मर्री और दो अन्य महिलाएं अभी तक लापता हैं।
ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला ने उसके और उसके परिवार के साथ हुए अत्याचार की कहानी बयां की है। वीडियो में वह कपड़े उतारकर मदद की भीख मांगते हुई नजर आ रही है। महिला का कहना है पाकिस्तान पुलिस के 3 लोगों ने उसकी बहन के साथ रेप किया है। वीडियो में बलोचिस्तान की एक महिला कपड़े उतार कर प्रदर्शन करती हुई नजर आ रही है। महिला का कहना है कि पाकिस्तानी सेना के कुछ जवानों ने उसकी बहन के साथ रेप किया है। मामला सेना से जुड़ा होने के कारण काफी कोशिशों के वाबजूद भी उसे कहीं से मदद प्राप्त नहीं हुई है। जिसके बाद उसने यह तरीका अपनाया।
नोट : विचलित करने वाले दृश्यों व भाषा के इस्तेमाल के चलते हम इस वीडियो को नहीं दिखा रहे हैं।
एक और बलूच महिला कार्यकर्ता ने बताया कि बलूचिस्तान की महिलाओं पर पाकिस्तानी सेना जुल्म ढहा रही है। उनसे दिनभर काम कराया जाता है और रातभर उनका यौन शोषण और बलात्कार किया जाता है। इसी तरह महरान बलोच नाम की लड़की ने अपने पिता और बहन के पाकिस्तानी सेना द्वारा अगवा कर यातना देने की दर्दनाक कहानी बयां की जिसे सुनकर किसी की भी आंखे भर आएंगी।
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