वॉशिंगटन। मुहाजिरों के एक समूह ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी कांग्रेस से अपील की है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिए जाने के मद्देनजर उसे दी जाने वाली सैन्य सहायता एवं बिक्री बंद की जाए।
हाल में गठित विश्व मुहाजिर कांग्रेस ने ट्रंप प्रशासन एवं अमेरिकी कांग्रेस को दिए एक ज्ञापन में कहा, पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के कदम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि वे आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के विश्वासपात्र सहयोगी नहीं हैं।
ज्ञापन में कहा गया है, अमेरिकी प्रशासन को धोखा देना और हक्कानी नेटवर्क, तालिबान क्वेटा शुरा एवं अलकायदा जैसे सैन्य संगठनों को खुश करने की आईएसआई की नीति है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका के पास आतंकवादियों को मारने के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र के भीतर घुसकर एकतरफा सैन्य कार्रवाई करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
इसमें कहा गया, आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व में चल रही लड़ाई को तब तक जीता नहीं जा सकता, जब तक क्षेत्र में आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली पाकिस्तानी सेना से जुड़े मुख्य मसलों से निपट नहीं लिया जाता।
विदेशी सैन्य बिक्री कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सदन की विदश मामलों की आतंकवाद, निरस्त्रीकरण एवं व्यापार संबंधी उपसमिति के सदस्यों को भी यहां गुरुवार को इस ज्ञापन पत्र की प्रति दी गई। इसमें कहा गया है, विश्व मुहाजिर कांग्रेस ट्रंप प्रशासन एवं अमेरिकी कांग्रेस से अनुरोध करती है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता बिक्री रोकी जाए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में उन लोगों को मुहाजिर या मोहाजिर कहते हैं जो भारत के विभाजन के बाद वर्तमान भारत के किसी भाग से अपना घरबार छोड़कर वर्तमान पाकिस्तान के किसी भाग में आकर बस गए थे। इन भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान में अभी तक उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट को सबसे बड़ा संगठन माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ये वही लोग हैं, जो पाकिस्तान के वजूद की अहम वजह बने थे। दरअलस, मुहाजिर भारत के मुस्लिम शरणार्थियों को कहा जाता है जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए थे। (एजेंसी)