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अब पाकिस्तानी शिया लड़ेंगे ISIS के सुन्नियों से

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, गुरुवार, 28 जनवरी 2016 (14:23 IST)
अपने घर और विदेश में लड़ने के लिए ईरान, पाकिस्तान में शियाओं की भर्ती के लिए बहुत सारा पैसा खर्च कर रहा है। छह महीने पहले इस्लामी स्टेट ने समूची दुनिया में शिया मस्जिदों और शिया नागरिकों की हत्या करने का अभियान चलाया है। यह उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो कि आईएस के कब्जे में हैं। पाकिस्तान के शिया समुदाय के लोगों ने तय किया है कि वे पाकिस्तान में अतिवादियों को रोकने के साथ-साथ सीरिया के युद्धग्रस्त इलाकों में भी मोर्चा लेंगे।
 
खुद के बारे में जानकारी न देते हुए पाकिस्‍तान के एक बड़े शिया नेता का कहना है कि शुरू में हमें मौन स्वीकृति मिली थी, लेकिन बाद में हमने पाया कि बहुत सारे लोग सीरिया जाना चाहते हैं और इस्लामी स्टेट से लड़ना चाहते हैं। उनका कहना था कि समुदाय के लोगों ने शिया बहुत इलाकों, जो कि खैबर पख्तूनवा राज्य और इसके आसपास हैं, की मस्जिदों ने लड़ाकों का आह्वान किया था। हमने अपनी फौज बनाने के लिए विशेष रूप से खुर्रम एजेंसी, हांगू जिले और राजधानी पेशावर में प्रयास किया। हमारी प्रारंभिक घोषणा के बाद पचास से ज्यादा लोगों ने हमसे सम्पर्क किया और कहा कि वे लड़ने के लिए तैयार हैं।
 
अपने प्रचार को मिले प्रतिसाद (रिस्पांस) से खुद समुदाय के बुजुर्गों ने इस योजना को सफल बनाने का फैसला किया। उन्होंने इन लड़ाकों को पहले ईरान के रास्ते सीरिया में जाने से पहले समुचित प्रशि‍क्षण दिया जाएगा। उन्होंने न्यूजवीक से बात करते हुए कहा कि हम जिस तरह की लड़ाइयां लड़ते रहे हैं, उनकी तुलना में यह बिल्कुल अलग है। अफगानिस्तान में हमने तालिबान के खिलाफ गुरिल्ला लड़ाई लड़ी और हमारे लड़ाकों ने प्रमुख रूप से आईइडी (इम्प्रूवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइसेज) का अधिकाधिक इस्तेमाल किया। लेकिन सीरिया में लड़ाई सड़कों पर हो रही है, इसलिए जरूरी है कि हमारे लड़ाकों को शहरों की सड़कों पर छोटे और बड़े असाल्ट हथियारों के साथ अच्छा निशाना लगाना आना चाहिए। उनमें शार्प शूटिंग स्किल्स होनी चाहिए।
 
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जत्‍थे के तौर पर कम से कम सात पाकिस्तानी शिया ईरान होते हुए सीरिया पहुंचे हैं। पांच का प्रशि‍क्षण पूरा हो गया है और उन्हें अ‍‍ग्रिम पंक्ति में तैनात कर दिया है। दो बीमार हो गए और उन्हें मोर्चे से हटा लिया गया। जिन पहले पांच को फ्रंट लाइन में तैनात किया गया था, उनमें से चार की मौत हो गई है, जबकि पांचवें की हालत ‍अनिश्चत है। एक बुजुर्ग का कहना है कि इस परिणाम से सीरिया जाने को तैयार लोगों का उत्साह ठंडा हो गया है। 
 
पर जो लड़ाके मारे गए हैं उनके परिवारों को तेहरान से पैसा दिया जा रहा है ताकि उनकी देखभाल की जा सके। उनका कहना है कि अक्टूबर के अंत में ईरान जाने के लिए 15 लोगों का जत्था ईरान गया था, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि ये लोग सीरिया पहुंचे या नहीं। विदित हो कि न्यूजवीक को पेशावर स्थित एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमें पता था कि शिया समुदाय के कुछ लोग सीरिया जा रहे हैं और हमने उन्हें रोका था।
 
अपना नाम न बताने की शर्त पर इस पुलिस अधिकारी का कहना था कि हमने कई लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन हम ईरान जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नहीं रोक सकते हैं क्योंकि यहां से लोग अक्सर ही बड़ी संख्‍या में तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं। हम यह भी नहीं मानते कि ईरान जाने वाले लोग सीरिया तक पहुंच जाएंगे और आईएस के खिलाफ युद्ध में शामिल हो जाएंगे। दिसंबर में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सैकड़ों की संख्या में पाकिस्तानी सीरिया में असद सरकार को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बशर अल-असद की सरकार को ईरान का पूरा समर्थन हासिल है।     
 
रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि शिया समुदाय के यह लड़ाके जुलाई 2015 में सक्रिय हो गए थे और इस दौरान पाकिस्तान के शिया समुदाय के लड़ाकों को सीरिया में लड़ने के लिए भेजा गया था। इसके साथ ही, पाकिस्तान सरकार भी मानती है कि देश में आईएस समर्थकों की संख्‍या भी कम नहीं है लेकिन आतंकी गिरोहों की कोई संगठित मौजूदगी दर्ज नहीं की गई है। 2014 में आईएस के समर्थन में प्रचार सामग्री पोस्टर बैनर्स और घृणा पैदा करने वाला साहित्य पकड़ा गया था।
 
पिछले वर्ष पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के आतंकवादरोधी विभाग ने करीब 50 से ज्यादा संदिग्ध आईएस समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह खैबर पख्तूनवा प्रांत में संघीय खुफिया अधिकारियों ने संदिग्ध आतंकवादियों की बात कही थी। दिसंबर, 2015 में कराची में पुलिस ने ऐसी छह महिलाओं को गिरफ्तार किया था जोकि आईएस के लिए अन्य महिला लड़ाकुओं की भर्ती कर रही थीं, जबकि लाहौर से तीन महिलाएं और 12 बच्चे खिलाफत की स्थापना के लिए सीरिया भाग गए थे।
 
इस्लामी स्टेट मुख्य रूप से कट्‍टर सुन्नियों की भर्ती करता है जबकि तेहरान में बैठ असद समर्थक कट्‍टरपंथी शियाओं को हाथोंहाथ लेते हैं। दोनों ही पक्षों की ओर से चलने वाली भर्ती के कारण पाकिस्तान में सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ा है और इसी के चलते शिया मुस्लिमों पर कट्टरपंथी सुन्नियों के हमले बढ़े हैं।

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