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पनामा पेपर लीक : ऐसा खुलासा जिसने दुनिया के दिग्गजों को नंगा कर दिया

हमें फॉलो करें पनामा पेपर लीक : ऐसा खुलासा जिसने दुनिया के दिग्गजों को नंगा कर दिया
वर्ष 2016 में पनामा पेपर कांड में हुए सनसनीखेज खुलासे ​से एक वर्ष से भी पहले एक अज्ञात स्रोत ने सुदास्यूस्टैख जीतुंग (एसजेड) से सम्पर्क किया था और इसे पनामा की विधि कंपनी मोस्साक फोंसेका से मिले इनक्रिप्टिड दस्तावेज सौंपे थे। विदित हो कि पनामा की यह कंपनी समूची दुनिया में अज्ञात ऑफशोर कंपनियों को अपनी सेवाएं बेचती है। ये नकली कंपनियां अपने मालिकों के कारोबारी लेनदेन की जानकारी को गोपनीय रखती है, भले ही कंपनी का काम कितना ही संदेहास्पद क्यों न हो। अंत में एसजेड को 2.6 टेराबाइट्‍स का डाटा मिल गया।

इन आंकडों से एक ऐसी दुनिया के बारे में पता लगता है कि जो कि अंधेरे में रहती है और इससे यह भी साबित होता है कि कैसे एक वैश्विक उद्योग, जिसमें बड़े बैंक शामिल हैं, लीगल फर्म्स शामिल हैं, असेट्‍स मैनेजमेंट कंपनियां शामिल हैं, चोरी छिपे दुनिया के धन कुबेरों की दौलत को गोपनीय और सुरक्षित बनाए रखने का काम करती हैं। इनमें जिन लोगों की सम्पत्तियां हैं वे प्रसिद्ध राजनेता, फीफा अधिकारी, धोखेबाज, ड्रग तस्कर, फिल्मी सितारे और पेशेवर एथलीट शामिल हैं।  

एसजेड ने अंतरराष्ट्रीय कंसर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिकव जर्नलिस्ट्‍स (आईसीआईजे) की मदद ली। इस संस्था से जुड़े लोगों ने पहले भी एसजेड के पुराने खुलासों जैसे ऑफशोर लीक्स, लक्स लीक्स और स्विस लीक्स के खुलासों में मदद की थी। पनामा पेपर्स खुलासों की दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है। साथ ही, यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सहयोग से की गई कार्रवाई है जिसमें साल भर तक करीब 400 खोजी पत्रकारों ने भाग लिया था। इसमें 100 से ज्यादा मीडिया संस्थानों के लोगों ने भाग लिया जोकि 80 से ज्यादा देशों के थे जिन्होंने इन दस्तावेजों की जांच पड़ताल की।

इस काम में इंग्लैंड से बीबीसी और गार्जियन, फ्रांस से ल मोंद, अर्जेंटीन के द नेशन समेत दुनिया के सभी बड़े संस्थानों के पत्रकारों ने भाग लिया। विदित हो कि पनामा पेपर्स में कम से कम 11 करोड़ 50 लाख दस्तावेजों, पासपोर्ट कॉपीज, ई-मेल्स, पीडीएफ फाइल्स, फोटो फाइल्स और मोस्साक फोंसेका के डाटाबेज के अंदरूनी अंश भी शामिल थे। ये दस्तावेज 1970 से लेकर 2016 के वसंत के समय के थे। पत्रकारों ने बड़ी संख्‍या में उपलब्ध दस्तावेजों को क्रॉसचेक किया जिनमें पॉसपोर्ट्‍स की कॉपीज भी शामिल थीं।

करीब दो वर्ष पहले एक व्हिसलब्लोअर ने मोस्साक फोंसेका का डाटा जर्मन अधिकारियों को बेचा था, लेकिन ये डाटासेट बहुत पुराने और आकार में बहुत छोटे थे। इनमें से कुछेक विदेशी कंपनियों के ही नाम शामिल थे। लेकिन पनामा पेपर्स में 214000 कंपनियों के आंकड़े मौजूद हैं। डाटा खरीदे जाने के बाद पत्रकारों ने करीब एक हजार लोगों के घरों और दफ्तरों के पते खोजे। इसके लिए कॉमर्जबैंक पर छापा मारा गया था। इससे उजागर हुए कारोबारी लेन-देन के परिणामस्वरूप कॉमर्जबैंक, एचएसएच नार्डबैंक, हाइपोवरसिन बैंक को दंडस्वरूप करीब दो करोड़ यूरो की राशि चुकानी पड़ी।

इसके बाद ये आंकड़े और भी कई देशों ने हासिल किए जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और आइसलैंड शामिल हैं।' मेगारिच लोगों की इस विकीलीक्स में कुछ बहुत प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ भी शामिल हैं।
अगले पन्ने पर... दस्तावेजों से उजागर हुए इन विश्वस्तरीय नेताओं के नाम...

इनमें सबसे पहला नाम मॉरिसियो मैकरी का है जो कि अर्जेंटीना के राष्ट्रपति हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बनते ही देश से भ्रष्टाचार मिटाने की कसम खाई थी। दस्तावेजों में उनके इतालवी कारोबारी पिता फ्रांसिस्को और भाई मारियानो का भी नाम है। वे फ्लेग ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर हैं, जिसका गठन 1998 में बहामास में किया गया था।

जनवरी 2009 में इसका समापन कर दिया गया। इसका वित्तीय संबंध इस बात से भी है ‍कि जब मैकरी ब्यूनस आयर्स के मेयर थे तब उन्होंने अपनी सम्पत्तियों की घोषणा नहीं की थी। उनके प्रवक्ता का कहना था कि इसमें फ्लेग ट्रेडिंग कंपनी का नाम ही नहीं था। उनका दावा था कि कंपनी की सम्पत्तियों में उनका कोई हिस्सा ही नहीं था। यह कंपनी ब्राजील के हितों को संरक्षित करती थी और एक फैमिली बिजनेस ग्रुप से जुड़ी थी। इस कारण से मारिसियो मैकरी इसके समय-समय पर ही डायरेक्टर रहे क्योंकि मैकरी का इसमें कोई हिस्सा नहीं था।

अयाद अलावी, इराक के पूर्व प्रधानमंत्री हैं और वे एक सम्पन्न इराकी हैं जो कि निर्वासन में रहते रहे हैं। वे सद्दाम हुसैन के साथ युद्ध करना चाहते थे। वर्ष 2004 में अलावी इराक वापस लौट आए और पिछले वर्ष तक वे इराक के उपराष्ट्रपति थे। दस्तावेजों से जाहिर होता है कि वर्ष 1985 से 2013 तक उन्होंने मोस्साक फोंसेका को पनामा में पंजीकृत‍ एक कंपनी आईएमएफ होल्डिंग्स इन्कॉ. को चलाने में मदद की। आईएमएफ के नाम से एक घर केंसिग्टन अपॉन थेम्प में भी है, जिसकी मोटे तौर पर कीमत कम से कम 15 लाख डॉलर है। उनकी एक दूसरी कंपनी, मूनलाइट स्टेट्स लिमिटेड  की सम्पत्ति भी लंदन में है।

अलावी के प्रवक्ताओं ने कई बार कहा है कि वे तीनों कंपनियों फॉक्सवुड एस्टेट्‍स लि. मूनलाइट एस्टेट्स लि. और आईएमएफ होल्डिंग्स इन्कॉ. के एकमात्र डायरेक्टर और शेयर होल्डर हैं। इसके अलावा वे विदेशों में घरों की खरीदी भी बेनामी करते हैं। इस कारण से उनकी हत्या करने की भी कोशिश की गई है। कहा जाता है कि उन पर 1978 में सद्दाम हुसैन ने हमला करवाया था लेकिन अलावी बचने में सफल हो गए।

सिगमंडर डेविड गुनलॉगसन (आईसलैंड के प्रधानमंत्री) : पूर्व में रेडियो पर काम करने वाले गुनलॉगसन ने 2008 के आर्थिक संकट के बाद अपनी प्रोग्रेसिव पार्टी को चुनावों में जीत दिलाई थी। वे और उनकी धनवान पत्नी मिलकर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स पर शेल कंपनी, विंट्रेस इन्कॉ. के मालिक हैं। कंपनियों के करीब 40 लाख डॉलर के बांड्स आइलैंड्स के तीन बैंकों में जमा हैं, लेकिन जब उन्होंने 2009 में संसद में प्रवेश किया तो एक टीवी इंटरव्यूअर ने उनसे विदेशी कंपनियों की मालिकी को लेकर सवाल पूछा था। तब उनका कहना था कि वे किसी भी कंपनी के मालिक नहीं हैं। उनके एक प्रवक्ता का कहना है कि इन मामलों में गुनॉलॉगसन और उनकी पत्नी के देश के सभी कानूनों का पालन किया है।  

किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज बिन अब्दुलरहमान अल सउद (सउदी अरब के राजा) : ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्‍स पर शेल कंपनियों के बदले में सउदी किंग ने बहुत सारी आलीशान सम्पत्तियां को कर्ज लेकर खरीद लिया है। इनकी कीमत कम से कम तीन करोड़ चालीस लाख डॉलर है। उनकी एक शानदार याट भी है जिसकी लंबाई फुटबॉल के मैदान के बराबर है। जब सउदी किंग से आईसीआईजे ने इन मामलों पर टिप्पणी करने को कहा तो उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।

पेत्रो पोरोशेंको (यूक्रेन के राष्ट्रपति) : उन्हें यूक्रेन का अरबपति 'चॉकलेट किंग' के तौर पर जाना जाता है। पोरोशेंको ने 2014 में सत्ता संभाली और देश में सुधार करने का वादा किया, लेकिन अब तक उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है। वे एक कंपनी प्राइम असेट्‍स कैपिटल के एकमात्र शेयर होल्डर हैं, लेकिन बाद में उन्होंने इस कंपनी के शेयरों को बेच दिया।

उनके प्रवक्ता ने आईसीआईजे से कहा कि 'ट्रस्ट और कंपनियों का यूक्रेन की राजनीतिक या सैन्य गतिविधियों' से कोई लेना देना नहीं है। बाद में उनका कहना है कि उनकी संप‍‍‍त्त‍ियों की देखभाल एक स्वतंत्र रूप से फंड रखने वाली कंपनी प्राइम असेट कैपिटल करती है।

रामी और हाफेज माखलौफ (सीरियाई तानाशाह बशर अल असद के चचेरे भाई) : वर्षों तक अगर कोई कंपनी सीरिया में कारोबार करना चाहती थी तो उसे रामी माखलौफ से अनुमति लेनी होती थी। वे देश के सभी प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों जैसे तेल और दूरसंचार पर नियंत्रण रखते थे। असद के एक और चचेरे भाई हाफेज माखलौफ सीरिया की खुफिया और सुरक्षा सेवाओं पर नियंत्रण रखते हैं। इन दोनों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन दोनों ने सीरिया के उद्योगों से सम्पत्ति को बाहर निकालने के लिए बहुत सारे विदेशी खाते खोल रखे हैं। वर्ष 2011 में एक ईमेल में मोस्साक फोन्सेका के कर्मचारियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों का हवाला दिया था और आरोप लगाया था कि उनके परिजनों ने भ्रष्टाचार और रिश्वत से बहुत सारा पैसा बनाया था। पिछले जून के महीने में कंपनी ने इस भाइयों से सम्पर्क समाप्त कर दिया था।

कोजो अन्नान (संरा के पूर्व महास‍‍चिव कोफी अन्नान के बेटे) : पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव के एकमात्र बेटे का नाम तब सुर्खियों में आया जब संरा ने इराक में ऑयल फॉर फूड ह्यूमैनिटेरियन कार्यक्रम चलाया था और उनकी फर्म को एक बड़ा ठेका मिला था। बाद में, एक जांच में पिता-पुत्र को किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

फोंसेका कंपनी के दस्तावेजों के अनुसार कोजो अन्नान ने कई विदेशी शेल कंपनियों को खरीदा था और इनकी मदद से मध्य लंदन में पांच लाख डॉलर का एक अपार्टमेंट खरीदा था। अन्नान के प्रवक्ता ने कहा कि पिता-पुत्र का कारोबार पूरी तरह से वैधा‍निक और कानून सम्मत था।  

नवाज शरीफ परिवार (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) : पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय नवाज शरीफ को अपने परिवार की सम्पत्तियों और बिजनेस नेटवर्क के कारण बहुत सारे सवालों का जवाब देना पड़ा है। शरीफ परिवार की इस्पात, शक्कर और कागज मिले हैं और उनके बच्चों के नाम से संचालित बहुत सारी विदेशी कंपनियां हैं।

शरीफ के बच्चों, मरियम, हसन और हुसैन, में से प्रत्येक के पास ब्रिटेन में एक सम्पत्ति है और भी कई कंपनियां हैं जिनके पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति है। मोस्साक फोंसेका ने हसन की एक कंपनी के डायरेक्टर पद छोड़ दिया था। वर्ष 2007 में कंपनी ने हसन को 'राजनीतिक तौर पर नंगा आदमी' करार दिया था। शरीफ परिवार के लोगों ने भी आईसीआईजे आरोपों को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।  

आर्कडी और बोरिस रोतेनबर्ग (रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अभिन्न मित्र) : इन दोनों भाइयों ने पुतिन के रूस में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कार्यकाल में अरबों रुपए बनाए। कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप में अमेरिका ने इनकी सम्पत्त‍ियों को प्रतिबंधित कर दिया था। इन भाइयों पर आरोप लगा है कि 2014 के सोची ओलिम्पिक के लिए मिले ठेकों में भ्रष्टाचार किया। दोनों की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्‍स में शेल की कम से कम सात कंपनियां हैं और वे पाइपलाइन बिछाने की कंपनी से लेकर इमारतों के निर्माण के लिए बनाने वाले उपकरण कंपनियां भी बनाई हैं।

सेर्गेई रोल्दुजिन (पुतिन के बहुत करीबी दोस्त) : दुनिया के प्रसिद्ध वॉयलिनवादक रोल्दुगिन सत्तर के दशक से पुतिन के बहुत करीबी हैं। उस समय पुतिन खुद केजीबी के लिए काम करते थे। दस्तावेजों के मुताबिक सेर्गेई की तीन शेल कंपनियां हैं। कहा जाता है कि इनमें दो कंपनियां उस रूसी संगठन के पैसों से खरीदी गई हैं, जिसे 'वरिष्ठ अधिकारियों का निजी बैंक' कहा जाता है। इन कंपनियों के जरिए सेर्गेई ने रूस की सबसे बड़ी ट्रक निर्माता कंपनी कमाज और एक बड़ी सरकारी मीडिया कंपनी के शेयर खरीदे हैं।

इयान कैमरन (डेविड कैमरन के पिता) : ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के पिता इयान कैमरन का 2010 में निधन हो गया था, लेकिन मरने से पहले उन्होंने बहुत सारी जायदाद इकट्‍ठा कर ली थी। उनकी मदद से 1982 में पनामा में एक कंपनी ‍ब्लेयरमोर होल्डिंग्स लि. स्थापित की गई थी और यह उनके निधन तक एक इंनवेस्टमेंट फंड के तौर पर सक्रिय रही। वर्ष 1998 में इसकी कीमत करीब दो करोड़ डॉलर आंकी गई थी। इसके निवेशकों को कहा जाता था कि उन्हें ' कंपनी से होने वाली आय या कैपिटल गेन्स' पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। उनकी कंपनी के बारे में जानकारी में कहा गया था कि ' कैमरन के फंड' पर ब्रिटिश कॉरपोरेशन टैक्स या लाभ पर आयकर जैसे नियम लागू नहीं होते हैं।    

यह सूची भी पूरी नहीं है क्योंकि इसमें और कुछ नाम जोड़े जाने बाकी हैं। ये हैं यूएई के राष्ट्रपति खलीफा बिन जायद बिन सुल्तान अल नाहियान, जॉर्जिया के पूर्व प्रधानमंत्री बिदजीना इवानिशविली, जॉर्डन के पूर्व प्रधानमंत्री अली अबू अल रागेब, कतर के पूर्व प्रधानमंत्री हमाद बिन जसीम बिन जबेर अल थानी, कतर के पूर्व अमीर शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी, सूडान के पूर्व राष्ट्रपति अहमद अली अल-मीरगानी और यूक्रेन के सजायाफ्ता प्रधानमंत्री पावलो लाजारेंको।

इनके अलावा मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक, लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी, ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉडर्स के छह सदस्य, तीन पूर्व कंजरवेटिव सांसद, ब्रिटिश राजनीतिक दलों, नेताओं को दान देने वाले भी शामिल हैं। इनमें फीफा की आचरण समिति के सदस्य भी शामिल हैं जिन पर संगठन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की जिम्मेदारी थी।    
अगले पन्ने पर... जानिए कौन-कौन से दिग्गज भारतीय है सूची में शामिल...

इस सूची में विदेशी नामों के साथ-साथ भारत के बड़े नाम भी शामिल हैं। पनामा पेपर्स के खुलासे में अब तक जिन भारतीयों के नाम सामने आए हैं उनकी सूची इस प्रकार है।
- अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन।
- डीएलएफ के मालिक केपी सिंह।
- इंडियाबुल्स के समीर गहलोत।
- गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी।
- बंगाल से नेता शिशिर बजोरिया।
- दिल्ली लोकसत्ता पार्टी के पूर्व नेता अनुराग केजरीवाल।
- इकबाल मिर्ची।
- गरवारे परिवार - अशोक गरवारे, आदित्य गरवारे और सुषमा गरवारे।
- अपोलो ग्रुप के चेयरमैन ओंकार कंवर।
- वकील और भारत के सॉलिसिटर जनरल रह चुके हरीश साल्वे।
- पूर्व आटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के पुत्र व बॉम्बे हॉस्पिटल में डॉक्टर जहांगीर एस सोराबजी।
- इंडो रामा सिंथेटिक्स के चेयरमैन मोहन लाल लोहिया।
- अरबपति सायरस पूनावाला के भाई जावेर पूनावाला।
- पूर्व एमएलए अनिल वासुदेव सालगांवकर।
- अमलगमेशंस ग्रुप के चेयरमैन की दिवंगत पत्नी इंदिरा सिवासेलम और उनकी बेटी मल्लिका श्रीनिवासन।
- कॉटेज इंडस्ट्रीज एक्सपोजीशन (सीआईई) के फाउंडर व सीईओ अब्दुल राशिद मीर व उनकी पत्नी तबस्सुम मीर के नाम भी सूची में शामिल हैं।

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