मनीला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और उसका हमेशा से ही देने की भावना में विश्वास रहा है। उन्होंने यहां भारत ने अपने इतिहास में किसी से भी कुछ नहीं छीना और इसकी बजाए काफी त्याग किया है। हमने प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध में 1.5 लाख सैनिक खोए लेकिन कभी भी छीनने में हमारा विश्वास नहीं रहा।
उनकी इस टिप्पणी को चीन की तरफ परोक्ष संदेश के तौर पर देखा जा रहा है जिसकी, संसाधनों से भरपूर दक्षिण चीन सागर में आक्रामकता लगातार बढ़ रही है।
मोदी ने आसियान शिखर सम्मेलन से इतर एक द्विपक्षीय बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहा कि दोनों देशों के रिश्ते द्विपक्षीय संबंधों से भी आगे बढ़ सकते हैं और वे एशिया के भविष्य के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। यह दोनों देशों के बीच हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक मुद्दों को लेकर बढ़ती सहमति को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने कहा कि अगर आप हमारे इतिहास पर नजर जमाएं तो आप देखेंगे कि हमने कभी भी किसी से भी कुछ नहीं लिया है। हमने प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध में 1.5 लाख सैनिक खोए लेकिन कभी भी छीनने में हमारा विश्वास नहीं रहा।
आसियान की बैठकों में हिस्सा ले रहे राजनयिकों ने कहा कि दक्षिण चीन सागर का विवादित मुद्दा, उत्तर कोरिया के परमाणु मिसाइल परीक्षण और क्षेत्र में सुरक्षा की व्यापक स्थिति शिखर सम्मेलन में चर्चा के मुख्य विषय हैं।
फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते ने अपने उद्घाटन संबोधन में क्षेत्र के सामने मौजूद विभिन्न चुनौतियों पर बात की और आतंकवाद एवं हिंसक चरमपंथ को वे खतरे बताया जिनकी कोई सीमा नहीं है। मोदी और ट्रंप की बैठक को लेकर विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दोनों नेताओं ने विस्तृत बातचीत की और एशिया के सामरिक परिदृश्य की व्यापक समीक्षा की।
ऐसा समझा जाता है कि मोदी और ट्रंप की बातचीत में दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि में भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक सुरक्षा संरचना का मुद्दा शामिल था। 45 मिनट तक चली बैठक के दौरान मोदी ने ट्रंप को आश्वस्त किया कि भारत अमेरिका और दुनिया की उम्मीदों पर खरा उतरने का भरसक प्रयास करेगा।
मोदी ने ट्रंप से कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग द्विपक्षीय सहयोग से भी आगे बढ़ सकता है और दोनों देश एशिया और दुनिया के भविष्य के लिए काम कर सकते हैं.... हम कई मुद्दों पर मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच बड़े सहयोग पर जोर देता रहा है। इस क्षेत्र में चीन अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप जहां कहीं भी गए हैं और जब भी उन्हें भारत के बारे में बोलने का मौका मिला है, उन्होंने भारत के बारे में बेहद अच्छी राय रखी। उन्होंने भारत को लेकर आशा दिखाई है और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि दुनिया और अमेरिका की हमसे जो भी अपेक्षाएं हैं, भारत उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करता रहा है और भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने वियतनाम के दानांग शहर में एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर सीईओ के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत हिंद-प्रशांत के क्षेत्र में एक ऐसा देश है जो प्रगति कर रहा है।
ट्रंप द्वारा हिंद प्रशांत शब्द के इस्तेमाल से उन अटकलों को बल मिला है कि इसका संबंध चीन के उभार से निपटने के लिए अमेरिका के अपने, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच तथाकथित चतुर्भुज सामरिक गठबंधन को बहाल करने की खातिर जमीन तैयार करने से हो सकता है। (भाषा)