Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात
विदेश सचिव ने मोदी-जिनपिंग पर दी जानकारी
pm narendra modi russia visit update brics summit putin xi jinping china : 5 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर रूस के कजान में द्विपक्षीय बैठक हुई। दोनों नेताओं में करीब 50 मिनट तक चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद ही प्रमुख मुद्दा रहता है।
मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपसे मिलकर खुशी हुई। हमारा मानना है कि भारत और चीन के संबंधों का महत्व केवल हमारे लोगों के लिए ही नहीं है लेकिन वैश्विक शांति-स्थिरता और प्रगृति के लिए भी हमारे संबंध बहुत अहम हैं।
मोदी-जिनपिंग की बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि दोनों नेताओं की 5 साल बाद बातचीत हुई है। दोनों देशों के नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग समझौते का स्वागत किया है।
दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए स्पेशल रिप्रिजेंटेटिव नियुक्त किए गए है। भारत की तरफ से NSA अजीत डोभाल और चीन की तरफ से विदेशमंत्री वांग यी होंगे। प्रवक्ता ने कहा कि ये दोनों जल्द ही औपचारिक बैठक करेंगे। हाल ही में दोनों देशों ने यह घोषणा की है कि उनके बीच पूर्वी लद्दाख क्षेत्र को लेकर जो विवाद चल रहा था वह समाप्त हो चुका है और दोनों देश अब संबंधों को सामान्य करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने करीब पांच वर्षों में अपनी पहली द्विपक्षीय वार्ता में बुधवार को सहमति जताई कि समझदारी एवं परस्पर सम्मान प्रदर्शित कर भारत और चीन के शांतिपूर्ण एवं स्थिर संबंध हो सकते हैं तथा दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख विवाद के समाधान के लिए हुए समझौते का समर्थन किया।
बैठक में, मोदी ने मतभेदों और विवादों को उपयुक्त रूप से निपटाने तथा इन्हें शांति एवं स्थिरता को प्रभावित नहीं करने देने के महत्व को रेखांकित किया। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, भारत-चीन संबंध दोनों देशों के लोगों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों को राह दिखाएंगे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे का हल करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति व स्थिरता बरकरार रखने के लिए विशेष प्रतिनिधियों को एक अहम भूमिका निभानी होगी।
मोदी और शी ने विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र बैठक करने और अपने प्रयास जारी रखने के निर्देश दिए। मिस्री ने कहा, हम विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक एक उपयुक्त समय पर होने की उम्मीद कर रहे हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि मोदी और शी ने द्विपक्षीय संबंधों की रणनीतिक एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण से समीक्षा की तथा उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंध का क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
मिस्री ने कहा कि मोदी और शी, दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और समझदारी के साथ तथा एक-दूसरे का सम्मान कर भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण और स्थिर संबंध हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द की बहाली से संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की गुंजाइश बनेगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी अब आधिकारिक वार्ता तंत्र का उपयोग करके रणनीतिक संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगले कदम उठाएंगे।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में 2020 में उत्पन्न हुए मुद्दों के पूर्ण समाधान और सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए हाल में हुए समझौते का स्वागत करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने मतभेदों और विवादों से उपयुक्त रूप से निपटने और इन्हें शांति व स्थिरता भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्व को रेखांकित किया।
बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी देशों और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा, यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व में भी योगदान देगा। बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद उत्पन्न होने के बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर यह पहली बैठक थी।
2019 में मिले थे दोनों नेता : 2019 में भी जब दोनों देशों के नेता महाबलिपुरम् में मिले थे तो उनके बीच बातचीत का प्रमुख हिस्सा सीमा विवाद भी रहा था। इस पर बात हुई थी, लेकिन 2020 में गलवान का संघर्ष हो गया और फिर बातचीत जहां से शुरू हुई थी वहीं पहुंच गई और भारत ने भी अपना दृढ़ निश्चय दिखाया कि वह अपनी धरती पर चीन की उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगा।