ने प्यी ता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत रखाइन प्रांत में हिंसा को लेकर म्यामांर की चिंता से इत्तेफाक रखता है। उन्होंने सभी पक्षों से देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित रखने को कहा। उन्होंने म्यामांर की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से मुलाकात की।
मोदी की म्यामां की पहली द्विपक्षीय यात्रा ऐसे समय हुई है जब रखाइन प्रांत में सेना के अभियान के बाद महज दो हफ्ते में बांग्लादेशी सीमा में 1,25,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों के पहुंचने पर म्यामां सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रही है।
प्रधानमंत्री ने सू की के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि देश के भारत म्यामां के सामने खड़ी चुनौतियों के बीच उसके साथ खड़ा है।
मोदी और सू की ने बातचीत की तथा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तौर तरीकों पर चर्चा की। वार्ता के बाद मोदी ने कहा कि रखाइन प्रांत में हिंसा के मुद्दे पर भारत म्यामांर की चिंता से इत्तेफाक रखता है जहां निर्दोष लोगों और सैन्यकर्मियों की जान गई है।
उन्होंने कहा कि बात जब शांति प्रक्रिया या समस्या को सुलझाने की होती है तो हम चाहते हैं कि सभी पक्ष म्यामां की एकता और क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित रखने की दिशा में काम करें।
सू की ने हाल में म्यामांर के सामने आए आतंकी खतरे पर मजबूत रुख के लिए भारत का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत और म्यामांर मिलकर सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी धरती या पड़ोसियों की धरती पर आतंकवाद को जड़ें जमाने की अनुमति नहीं है।
रखाइन प्रांत में पिछले महीने रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा पुलिस चौकियों पर हमले किए जाने के बाद से सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने आह्वान किया है कि रखाइन राज्य के रोहिंग्या मुसलमानों को या तो नागरिकता दी जाए या कानूनी स्तर प्रदान किया जाए। उन्होंने हिंसा पर चिंता जताई जिसके चलते अगस्त के अंत से लगभग 1,25,000 रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से भागना पड़ा है और क्षेत्र में अस्थिरता का जोखिम पैदा हुआ है। (भाषा)