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कांप जाएंगे पढ़कर, जहां एनकाउंटर के बाद पुलिस वसूल करती है शव की कीमत...

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, बुधवार, 14 मार्च 2018 (13:11 IST)
कल्पना कीजिए किसी के परिजन को पुलिस एनकाउंटर (सच्चा या झूठा) में मार गिराए और फिर उस व्यक्ति का शव देने के लिए मोटी रकम की मांग करे। क्या गुजरेगी उस परिवार पर? दरअसल, ऐसी एक नहीं कई कहानियां हैं, जिन्हें पढ़कर हर किसी की रूह कांप जाएगी। 

यह कहानी नैरोबी में मथारे की एक झुग्गी बस्ती की है, जहां सारा वांगरी के 19 वर्षीय बेटे एलेक्स को पुलिस ने बहुत ही करीब से 10 गोलियां मारकर मार डाला। यह 18 नवंबर 2017 की सुबह 10.30 बजे की घटना है, जब एलेक्स को मार दिया गया था।

एलेक्स की मां और उसके पड़ोसियों ने बताया कि जब उसे मारा गया था तब वह अपने एक दोस्त के साथ घर आ रहा था। द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक वांगरी ने कहा कि उस समय मैं दूध लेने के लिए गई थी। मैंने देखा कि मेरा बच्चा पड़ा हुआ है। छ: पुलिस वालों ने मुझे घर जाने को कहा।

अगली सुबह में मुर्दाघर गई तो उन्होंने मुझसे बेटे के शव के बदले 20 हजार शिलिंग (करीब 13 हजार रुपए) देने को कहा। उसने कहा कि वह जानती है कि उसके बेटे को किसने मारा है। उसने कहा राशिद नामक एक अधेड़ पुलिस अधिकारी ने मेरे बेटे को मौत के घाट उतार दिया।

मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है। वह हत्यारा है। उसने कई लोगों को मारा है। कोई नहीं जानता कि वह कहां से आता है और कहां रहता है, लेकिन इस बारे में सब एकमत हैं कि वह सादी वर्दी वाला पुलिस अधिकारी है।  एक स्वयंसेवी संगठन के मुताबिक 2013 से 2015 के बीच मथारे में करीब ढाई लाख लोगों को पुलिस ने मार डाला, जबकि पुलिस रिपोर्ट में उनकी गिनती मात्र 803 है।

पुलिस जब किसी को मारती है तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करती। कभी-कभी तो पुलिस मरने वालों के परिजनों से गोली की कीमत भी वसूल कर लेती है। एक अन्य पीड़ित महिला एलिजाबेथ एनडिंडा ने बताया कि गत जनवरी में उसके बेटे साइमन को पुलिस ने मार दिया था।

पड़ोसियों के सहयोग से वह राशि एकत्रित कर वह बेटे का शव हासिल कर पाई। उसने कहा मेरे बेटा निर्दोष था। यदि वह चोर, डाकू या हत्यारा होता तो लोग कभी उसे सहयोग नहीं करते। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इन मौतों को उचित भी बताते हैं और कहते हैं राशिद सही काम कर रहा है। 32 वर्षीय कपड़ा व्यापारी मोजेज ने कहा कि यदि कोई मेरा फोन छीनता है तो वह इसी तरह की मौत के काबिल है। कुछ और लोगों के भी ऐेसे ही विचार हैं।

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