Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ट्रूमैन ने भी की थी 'प्रेस' की वेश्याओं से तुलना

हमें फॉलो करें ट्रूमैन ने भी की थी 'प्रेस' की वेश्याओं से तुलना
वॉशिंगटन। राजनेताओं की पत्रकारों, लेखकों और साहित्यकार की नापसंदगी कोई नई बात नहीं है। देश के केन्द्रीय नेता और पूर्व सैन्य प्रमुख वीके सिंह के खिलाफ आरोप लगा था कि उन्होंने प्रेसकर्मियों को प्रेस्टिट्यूट्स कहकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। पर शायद आपको पता नहीं हो कि 'प्रेस' से जुड़े लोगों के प्रति गहरी नापसंदगी जाहिर करने का सिलसिला बहुत समय से चल रहा है।
 
प्रेस मीडियाकर्मियों को घृणित समझने वाले लोगों में से एक अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन
भी रहे हैं। और अगर आप लिंडा मासारेला की रिपोर्ट पर यकीन करें तो आप समझ सकते हैं कि प्रेस को 'वेश्या' से तुलना करते थे। इस लिहाज से आप वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अकेला ऐसा राष्ट्रपति नहीं कह सकते हैं जिसे वॉशिंगटन के पत्रकारों की कटु आलोचना में बड़ा मजा आता है।    
 
अपनी एक पुस्तक 'गिव देम हेल' में व्हाइट हाउस कवर करने वाले पत्रकारों को 'दिमागी वेश्याएं' कहा था। यह बात उन्होंने 29 दिसंबर, 1955 में अपने मित्र डीन आकेसन को लिखे पत्र में कही थी। इस पत्र में उन्होंने समाचार पत्र के स्तम्भकारों, लेखकों और विचारकों को 'सड़क छाप वेश्याओं' से भी खतरनाक बताया था। विदित हो कि इस पत्र की एक प्रति वॉशिंगटन पोस्ट ने हासिल की थी। 
 
इस कारण से मीडिया भी राष्ट्रपतियों, उनके मंत्रिमंडलीय सदस्यों तथा स्टाफ के सदस्यों की खिल्ली उड़ाते थे। ट्रूमैन ने तो अपने हस्तलिखित पत्र में लिखा था कि जब प्रेस प्रशासन को लेकर मित्रवत हो जाता है तब विपक्षियों से झूठ बोला जाता है तब इसे 'दिमागी वेश्याओं' की तरह काम करना कहते हैं। यह पत्र दर्जनों अहम ऐतिहासिक दस्तावेजों में से एक है। पत्रकारों के इस संकलन को 'बिग बुक' कहा जाता है। जो मैडलेना एक ऑक्शन हाउस' प्रोफाइल्स इन हिस्ट्री' के मालिक थे लेकिन वे भी ट्रूमैन के पत्र को देखकर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर सके।   
इसी तरह 'एलकोहलिक्स एननॉनिमस' के संस्था‍पक को इस पुस्तक के बारे में लिखना था। उन्होंने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, आपको यह दर्शाता है कि कुछ बातें कभी नहीं बदलती हैं।' ट्रूमैन के एक पत्र में उन्होंने 'पीनिस' (लिंग) शब्द को लिखा था और संभावना जाहिर की जाती है कि उनका यह पत्र करीब डेढ़ लाख डॉलर की राशि अर्जित कर सकता है। 
 
एक दुर्लभ और बहुमूल्य प्रति के भी करीब ढाई लाख डॉलर में नीलाम होने की संभावना है। यह संविधान के 13वें संशोधन की प्रति है। गुरुवार से लोग इन दुर्लभ दस्तावेजों को देख सकते हैं जो कि पार्क एवेन्यू स्थि‍त क्वेस्टरॉयल फाइन आर्ट गैलरी में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विराट कोहली फोर्ब्स की सूची में अकेले भारतीय