यंगून। म्यांमार के रहाइन प्रांत की राजधानी यंगून में रविवार को हजारों बौद्धों ने मुस्लिमों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बौद्ध भिक्षु भी शामिल हुए। हाल ही में एक हफ्ते के भीतर दो मस्जिदों में बौद्धों ने आग लगा दी थी। 2012 के बाद से ही म्यांमार में मुस्लिमों के खिलाफ सांप्रदायिक झड़पे और हमले होते रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमों के खिलाफ चले सांप्रदायिक अभियान की आग अब संपूर्ण म्यांमार में पांस पसार चुकी है।
म्यांमार में करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम बेघर हो चुके हैं। कुछ हजार मुसलमानों ने भारत में शरण ले रखी है जबकि बांग्लादेश जैसे मुसिल्म देशों ने इन मुसलमानों को शरण देने से इनकार कर दिया है।
रहाइन स्टेट में ही धार्मिक हिंसा के शिकार रोहिंग्या मुसलमानों को कैंप में शिफ्ट किया गया है। बौद्ध नहीं चाहते हैं कि राज्य सरकार इन्हें किसी भी प्रकार की सहायता करें क्योंकि बौद्धों के अनुसार ये सभी बांग्लादेशी हैं। बौद्धों ने रोहिंग्या शब्द के इस्तेमाल पर भी नाराजगी जताई है।
आंग सान सू की की सरकार ने रोहिंग्या शब्द के इस्तेमाल को रोकने का निर्देश दिया है। सरकार ने रोहिंग्या की जगह रहाइन के मुस्लिम समुदाय टर्म का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों को इस शब्द पर भी आपत्ति है। इस प्रांत के लोगों का कहना है कि इससे मुस्लिमों को बौद्ध देश में मान्यता मिलेगी। यूथ ग्रुप के लोकल नेता फोइ थार ले ने कहा, बंगाली को बंगाली कहा जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि इसे लेकर देशभर में प्रदर्शन किया जा रहा है।
मुस्लिमों के खिलाफ बौद्धों की इस रैली में नारे लगाया जा रहे थे 'रहाइन स्टेट को बचाओ'। इसी तरह का विरोध प्रदर्शन थांडवे में भी दिखा। यहां भी भारी संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए थे।
संयुक्त राष्ट्र ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नेता आंग सांग सू की के नेतृत्व वाली सरकार को धार्मिक हिंसा से निपटने के लिए चेतावनी दी है।