एक तरफ जहां दुनिया में कोरोना से सुरक्षित होने के लिए वैक्सीन लगा रहे हैं, वहीं फ्रांस में वैक्सीन का विरोध शुरू हो गया है। यहां सरकार की बार बार वैक्सीन लगाने के लिए की जा रही अपील को गलत समझा जा रहा है।लोगों का कहना है कि ऐसा कर के वे देश के नागरिकों की आजादी छीन लेना चाहते हैं। दरअसल यहां आए एक कानून का विरोध किया जा रहा है।
यही वजह है कि यहां कई शहरों में सड़कों पर हजारों लोग उस कानून का विरोध करने के लिए उतर गए हैं, जिसके तहत कोविड-19 की वैक्सीन नहीं लगवाने वालों पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
संसद में अब भी इस ड्राफ्ट बिल पर बहस हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि शनिवार को निकाली गई रैलियों में कई राजनीतिक समूहों ने भी हिस्सा लिया। राजधानी पैरिस में आइफिल टावर के पास बड़ी तादाद में लोग जमा हुए।
इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन ईयू का विरोध करने वाली राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार फ्लोरिना फिलिपॉट ने किया था।
बोर्डो, टूलूज और लिली सहित कई बड़े शहरों में भी यही स्थिति देखने को मिली। लोगों ने इस दौरान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की। लोगों ने नारे लगाते हुए कहा, वैक्सीन को ना कहें
पैरिस में प्रदर्शनकारी फ्रांस और स्थानीय झंडों के साथ दिखे। इन्होंने हाथों में बैनर लिए हुए थे, जिन पर लिखा था, ये वायरस नहीं है, जिसे वो नियंत्रित करना चाहते हैं, बल्कि वो आप हैं, जिन्हें वो नियंत्रित करना चाहते हैं
लोग सरकार की टीकाकरण की बार-बार की जा रही अपील को अपनी स्वतंत्रता के साथ जोड़ रहे हैं।
लॉरेंस और क्लाइरी नाम के दो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह वैक्सीन लगवा चुके हैं लेकिन टीनेजर्स के लिए अनिवार्य किए जा रहे वैक्सीन पास के खिलाफ हैं। अधिकारियों ने सड़क पर उतरे लोगों की संख्या को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि लियॉन, ननतेस, बोर्डो और मार्सेल शहरों में करीब एक-एक हजार लोग जमा हुए।
इससे पिछेल वीकेंड पर करीब 105,000 लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। इनमें से अधिकतर राष्ट्रपति मैक्रों के एक इंटरव्यू के कारण नाराज थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनवैक्सीनेटिड लोगों पर तब तक सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जब तक वह कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं लगवा लेते।
असेंबली में पास हुआ बिल
नेशनल असेंबली के सदस्यों ने वैक्सीन बिल को पास कर दिया है। अब सीनेट को इस पर फैसला लेना होगा। नए नियम के अनुसार, उन लोगों का हेल्थ पास रद्द कर दिया जाएगा, जिन्होंने टीकाकरण (Vaccination) के बाद सात महीने के भीतर बूस्टर डोज (Booster Dose) नहीं लगवाई है।
ये हेल्थ पास इसलिए इतना जरूरी है, क्योंकि इसी को दिखाकर लोग बार और रेस्त्रां जैसे सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश कर सकते हैं। इसे अब नए कानून के तहत वैक्सीन पास में बदलने की तैयारी है। इस पर संसद में बहस हो रही है। यानि अब लोगों को इस पास के जरिए टीकाकरण का सबूत दिखाना होगा। इसी बात को लेकर लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।