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तेज दिमाग का संबंध जीन से है

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लंदन। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में ऐसे जीन की पहचान करने में सफलता हासिल की है जो लोगों की सोच तेज होने के लिए जिम्मेदार है। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इयान डियरी की अगुआई में किया गया यह शोध 45 तक की उम्र के 12 देशों के 30000 लोगों पर किया गया। इस शोध में स्कॉटलैंड, क्रोएशिया, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और हॉलैंड के लोग भी शामिल थे।

शोधकर्ताओं ने जाना कि बुढ़ापे में तेजी से सोचने के लिए जिम्मेदार यह जीन ऑटिज्म और व्यक्तित्व से भी सम्बंधित है। इस शोध के निष्कर्षों से यह पता चल सकेगा कि मानसिक ह्रास क्यों होता है, जबकि कुछ लोग अपनी 40 से 60 के बीच की आयु और इससे ऊपर होने के बाद भी तेजी से विचार करने में क्यों सक्षम होते हैं?

यह शोध मॉलीक्युलर साइकेट्री में प्रकाशित हुआ है जिसके मुताबिक जिन लोगों की किसी भी सूचना को समझने की गति धीमी थी उनमें जीन के मिलते-जुलते प्रकार थे जिसे सेल एडीशन मॉलीक्यूल टू (सीएडीएम2) कहा जाता है।

सूचना को तेजी से समझने की क्षमता इस तथ्य से जुडी है कि तर्क और याददाश्त की प्रक्रिया किस तरह काम करती है। सीएडीएम2 जीन दिमाग की कोशिकाओं में संवाद की प्रक्रिया से भी जुडा है। इस जीन की गतिविधियां दिमाग के उस हिस्से में सबसे अधिक दिखती हैं जो सोचने की तेजी से जुडा होता है।

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