solar storm: फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने पेड़ों के जीवाश्म छल्लों का अध्ययन कर पता लगाया है कि एक भयावह सौर तूफान धरती की ओर बढ़ रहा है। यह तूफान धरती पर तबाही लाएगा। इसकी वजह से दुनिया के कई देश अंधेरे में डूब जाएंगे। कहा जा रहा है कि इस तरह का सौर तूफान करीबन 14000 साल पहले भी आया था।
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस सोलर तूफान को X2.7-class श्रेणी में रखा है। इसका मतलब होता है अब तक का सबसे खतरनाक सौर तूफान। यह सौर तूफान शनिवार या रविवार तक पृथ्वी के निकट आ जाएगा।
वैज्ञानिकों ने 12,350 ईसा पूर्व आए एक सौर तूफान की वजह से पेड़ों के पुराने छल्लों में रेडियोकार्बन की असामान्य वृद्धि का पता लगाया। ये तूफान इतना शक्तिशाली था कि उसने 2003 के हेलोवीन सौर तूफान से 500 गुणा ज्यादा ऊर्जा धरती पर भेजी।
क्या होता है सौर तूफान : सूरज से निकलने वाली तेजी ऊर्जा और प्रोटॉन जब धरती के वायुमंडल से टकराते हैं तो इसे सौर तूफान कहते हैं। ये कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र को हिला देते हैं और रेडियोकार्बन नाम के रेडियोधर्मी तत्व की मात्रा बढ़ा देते हैं। इस रेडियोकार्बन की मदद से वैज्ञानिक पुरानी चीजों की उम्र पता करते हैं।
क्या होगा पृथ्वी पर असर : इससे पृथ्वी को सूर्य की प्रत्यक्ष किरणों से बचाने वाली ओजोन परत भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। इसके कारण धरती के बाहरी वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो सकती है, जिससे मोबाइल फोन सिग्नल, जीपीएस नैविगेशन के साथ-साथ रेडियो फ्रेक्वेंसी से काम करने वाले सभी डिवाइसेस प्रभावित होंगे। सौर तूफान के कारण बिजली लाइनों में करंट ज्यादा पैदा हो सकता है जिससे ट्रांसफार्मर भी उड़ सकते हैं।
ऐसा ही एक तूफान वर्ष 1989 में भी आया था, जिसके कारण कनाडा के एक शहर में 12 घंटों तक बिजली गुल रही थी और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा था। सौर तूफानों की श्रेणी में एक शक्तिशाली तूफान 1859 में भी आया था। इसे जिओमैग्नेटिक तूफान को कहा जाता है। इसने अमेरिका सहित कई देशों को अपना निशाना बनाया था।
इस सौर तूफान ने अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध टेलीग्राफ सिस्टम को तहस-नहस कर दिया था, कई लोग बिना बिजली के इलेक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल कर पा रहे थे। आसमान में रौशनी इतनी तेज थी कि अमेरिका के पश्चिम भाग में सूरज की लाइट इतनी तेज थी कि लोग रात को भी अखबार पढ़ पा रहे थे।
edited by : Nrapendra Gupta