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भाई की मदद के लिए भूखी रहने वाली लड़की की मौत

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, बुधवार, 15 जनवरी 2020 (15:42 IST)
कई साल तक अपने भाई की मदद के लिए रोज़ाना करीब 21 रुपए (2 युआन) में अपनी ज़िंदगी बिताने वाली बेहद कुपोषित छात्रा की मौत हो गई है। चीनी मीडिया ने यह ख़बर दी है।

मात्र 20 किलोग्राम वज़न वाली वु श्वायेन की तस्वीरें बीते साल सामने आई थीं जिन्हें देखकर चीन के लोग हैरान थे। अक्टूबर 2019 में उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मदद के लिए बहुत से लोग आगे आए। उनके भाई ने बताया कि सोमवार को उनका निधन हो गया।

बीजिंग यूथ डेली से बातचीत में लड़की के भाई ने बताया कि वो महज 24 साल की थीं। ख़बर में भाई की पहचान जाहिर नहीं की गई है। डॉक्टरों के मुताबिक, वु श्वायेन 5 सालों से बेहद कम खाना खा रही थीं जिसकी वजह से उनके दिल और किडनी पर बुरा असर पड़ा।

क्या है वु श्वायेन की कहानी? : वु श्वायेन और उनके भाई ने कई सालों तक रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष किया। जब वे 4 साल की थीं तब उनकी मां का निधन हो गया और जब पिता की मौत हुई तब वे स्कूल में थीं। वु श्वायेन और उनके भाई को पहले उनकी दादी ने संभाला और बाद में अंकल-आंटी ने जो हर महीने सिर्फ़ 300 युआन (3000 रुपए) ही दे सकते थे।

इसमें से ज़्यादातर पैसा उनके भाई की दवाओं में खर्च हो जाते थे। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां थीं। पैसे बचाने के लिए वु श्वायेन ने ख़ुद पर रोज़ाना सिर्फ 2 युआन खर्च करना शुरू किया और 5 सालों तक सिर्फ चावल और मिर्च खाकर गुजारा करती रहीं। जब उन्हें अस्पताल लाया गया तब उनकी लंबाई 4.5 इंच थी।

डॉक्टरों का कहना है कि वो इतनी ज़्यादा कुपोषित थीं कि उनकी आइब्रोज़ और करीब आधे बाल झड़ चुके थे। ये भाई-बहन गिजो प्रांत के रहने वाले थे, जो चीन के सबसे गरीब माने जाने वाले प्रांतों में से एक है। इस मामले में चीन में गरीबी को चर्चा में ला दिया है।

चीन की अर्थव्यवस्था बीते कुछ दशकों में काफ़ी बेहतर हुई है, लेकिन गरीबी ख़त्म नहीं हुई। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के मुताबिक, साल 2017 में 3.46 करोड़ ग्रामीण आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रही थी।

यहां असमानता भी काफ़ी बढ़ी है। साल 2018 की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन 'दुनिया के सबसे ज़्यादा असमानता वाले देशों में से एक' था।

वु श्वायेन के मामले ने एक बार फिर अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं। लोग सोशल मीडिया पर भी सवाल कर रहे हैं कि इन भाई-बहन की मदद के लिए कुछ बेहतर क्यों नहीं किया गया। बहुत से लोग लड़की की हिम्मत की सराहना कर रहे हैं कि कैसे उसने अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए भी अपने भाई की मदद की।

क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर तमाम लोगों से मिली मदद के अलावा उनके टीचर और सहपाठियों ने 40 हज़ार युआन (करीब 4.1 लाख रुपए) और स्थानीय ग्रामीणों ने करीब 30 हज़ार युआन (करीब 3 लाख रुपए) इकट्ठा किए थे।

उनकी मौत से पहले अधिकारियों ने एक बयान जारी करके कहा था कि वु को कम से कम सरकारी सब्सिडी मिल रही है जो 300 से 700 युआन प्रतिमाह के आसपास थी और उन्हें अभी इमरजेंसी रिलीफ़ फ़ंड से 20 हज़ार युआन दिए गए थे।

चीन ने पहले साल 2020 तक ग़रीबी ख़त्म करने का लक्ष्य रखा था। इस महीने की शुरुआत में एक आंकड़ा सामने आया था जिसमें दावा किया गया था कि एक प्रांत में 8 करोड़ में से सिर्फ़ 17 लोग गरीबी में जी रहे थे। हालांकि इन आंकड़ों पर लोगों ने सवाल उठाए थे।

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