नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र एवं निर्वाचन आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें आयोग को किसी निर्वाचन क्षेत्र में 'नोटा' के लिए सर्वाधिक मत पड़ने पर वहां का चुनाव परिणाम अमान्य करार देने और फिर से चुनाव कराने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने विधि एवं न्याय मंत्रालय और भारतीय निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करके उनसे याचिका पर जवाब देने को कहा है। वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुईं। यह याचिका वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी। याचिका में आयोग को यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि उन उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दलों को ताजा चुनाव में भाग लेने से रोका जाए जिनके चुनाव को निरस्त किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि किसी उम्मीदवार को खारिज करने और नए उम्मीदवार को चुनने का अधिकार लोगों को अपना असंतोष जाहिर करने की ताकत देगा। यदि मतदाता चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवार की पृष्ठभूमि एवं प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं, जो वे इस प्रकार के उम्मीदवार को खारिज करने के लिए नोटा का बटन दबाएंगे और नए उम्मीदवार को चुनेंगे। (भाषा)