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ऐसे देश जहां होते हैं सबसे ज्यादा आतंकी हमले

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, बुधवार, 5 अक्टूबर 2016 (16:20 IST)
भारत पर समय-समय पर आतंकवादी हमले होते रहते हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं। सैन्य बल इन आतंकवादियों का मुकाबला कर इन्हें मार गिराते हैं लेकिन आतंकवादियों के हमलों में कमी आती नहीं लगती है। भारत ही नहीं, दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जो कि इस लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं। 
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'द इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस' और 'ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स' ने आतंकवाद को लेकर जारी किए गए रिपोर्ट में जानकारी दी है कि पूरी दुनिया में 2013 के बाद आतंकी हमलों की तादाद 80% तक बढ़ी है। इन हमलों में मरने वालों की संख्या करीब 32,600 है। 
 
इन संस्थाओं की रिपोर्ट में कम से कम ऐसे 10 देशों का उल्लेख किया गया है जिन पर सबसे ज्यादा आतंकी हमले होते हैं और इस कारण से यहां बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों की मौत होती है। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में भारत ऐसे देशों में छठे स्थान पर है। बहुत से ऐसे भी देश हैं, जहां आतंकवाद सरकारी नीति या गृहयुद्ध की तरह से चलाया जा रहा है। आइए जानें कि ऐसे देशों में कौन-कौन से देश शामिल हैं? 
 
इराक  : आतंकवाद से ग्रस्त देशों की सूची में पहला नंबर इराक का है। इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन की मौत के बाद समूचा देश ही आतंकवाद और गृहयुद्ध की चपेट में आ गया है। भीड़भरे बाजारों, मस्जिदों, मजारों, होटलों और कैफे में बम धमाके होने इराकियों के लिए कोई नई बात नहीं है। सत्ता पर काबिज होने के लिए कई सालों से चल रही शिया और सुन्नियों के बीच की जंग में आम इंसान अपनी जान गंवा रहा है। 
 
इस देश के कम से कम 30 फीसदी लोग आतंकवादी हमलों का शिकार होकर जान गंवा चुके हैं। वर्ष 2014 में यहां 3,370 लोग आतंकी हमलों में मारे गए थे। यहां इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवांटे या आईएसआईएस ने 2013 से 14 तक इस देश में करीब साढ़े 5 हजार लोगों को मार डाला है।
 
अफगानिस्तान  : अफगानिस्तान को तालिबान का घर कहा जाता है जिसे अफगानिस्तान से रूसियों को बाहर निकालने के लिए पाकिस्तान ने पैदा किया था। यहां हर दूसरे दिन आतंकी हमलों की खबर मिलती रहती है। इस देश में 2012 से 2014 तक हुई मौतों में 75% की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी। दुख का विषय है कि यहां 10 फीसदी आबादी खुदकुशी करती है तो 32% लोग आतंकी हमलों में मारे जाते हैं।
 
नाइजीरिया  : अफ्रीकी देश नाइजीरिया में बोको हराम नामक आतंकवादी संगठन का खौफ रहता है। यहां की लड़कियों, महिलाओं को कभी भी अपहृत कर लिया जाता है। 2002 के बाद से इस संगठन ने नाइजीरिया के लोगों का जीना हराम कर रखा है और देश की सेना तथा पुलिस इन कट्‍टर सुन्नी आतंकवादियों के सामने असहाय सिद्ध हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 के बाद से आतंकी हमलों में मारे गए लोगों की संख्या में 300% की वृद्धि हुई है। 2014 में सबसे ज्यादा 5,662 लोगों को आतंकियों ने मार डाला था।
 
पाकिस्तान  : भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अपने जन्म के बाद से ही लगातार अस्थिरता का शिकार रहा है और इस देश के सत्ता प्रतिष्ठान पर सेना और देश की खतरनाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का कब्जा रहा है। इस देश में सत्ताधीशों ने पहले देश के बाहरी और बाद में आंतरिक विरोधियों का सामना करने के लिए आतंकवादियों को पाला-पोसा लेकिन अब वही इस देश में तबाही मचा रहे हैं। 
 
आतंकियों, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और कट्‍टरपंथी संगठनों का गठजोड़ किसी से छुपा नहीं है। इस देश में आतंकवाद के अलावा राजनीतिक हिंसा, हत्या, ड्रग्स, अपहरण की अनगिनत घटनाएं आम बात हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में इस देश में करीब 1,000 लोग और 100 सैनिक आतंकवादी हमलों में मारे गए थे। इसके अलावा सेना और खुफिया एजेंसियां गोपनीय तरीकों से लोगों को मार-गाड़ देती हैं और वर्षों तक ऐसे लोगों का सुराग नहीं मिलता है। अपने ही देश के लोगों के विरोध को दबाने के लिए सेना और आईएसआई ने महिलाओं से बलात्कार, प्रताड़ित करने तक के सेल बना रखे हैं। 
 
सीरिया  : वर्षों से गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा सीरिया मीडिया में छाया रहता है। इसका मुख्य कारण देश में ISIS का आतंक है और देश के राष्ट्रपति असद की समर्थक सेना और उनके विरोधी कट्‍टरपंथी तत्व एक-दूसरे की हत्याएं कर रहे हैं। वर्ष 2011 से पहले यह देश शांतिपूर्ण देशों में शामिल किया जाता था लेकिन गृहयुद्ध के बाद से अब तक 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जान बचाने के लिए कई लाख लोग दूसरे देशों को भाग चुके हैं।
 
यमन : यमन भी पिछले 11 वर्षों से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। 2011 में यहां की जनता गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर चुकी है। इस देश में तो लोगों को खुलकर बोलने की भी आजादी नहीं है। साल 2012 में आतंकी हमलों में हुई 372 मौतों के बाद राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को पद से हटा दिया गया था। साल 2015 में सिर्फ US ड्रोन अटैक में 2,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यमन सऊदी अरब के सुन्नी कट्‍टरपंथियों और शिया ईरान के शिया प्रमुख शासन का अखाड़ा बना हुआ है। 
 
सोमालिया  : इस अफ्रीकी देश में अपहरण, हत्या, चोरी और डकैती का बहुत बड़ा बिजनेस है। सरकार यहां की इन समस्याओं के प्रति गैरजिम्मदार है जिसके चलते आम नागरिकों को सरकारी उदासीनता की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। अल शबाब और अल कायदा जैसे आतंकी गुटों ने मिलकर इस देश में काफी बड़ी फौज और समानांतर सत्ता खड़ी कर ली है। इनमें से अल शबाब ने तो केन्या में भी कई आतंकी हमले करवाए हैं। इसी संगठन के आतंकवादियों ने अप्रैल 2015 में गरिस्सा यूनिवर्सिटी में हुए आतंकी हमलों में सरेआम 147 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और दोनों देशों की सरकारें घटना पर लीपापोती करती रह गईं। 
 
लीबिया : लीबिया में तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी की हत्या के बाद इस देश में सत्ता पर कब्जा करने के लिए कई आतंकी ग्रुप पैदा हुए हैं, जो कि आपराधिक गतिविधियों के चलते अपनी ताकत बढ़ाते रहते हैं और इस कारण से यहां सरेआम हत्या होना बहुत ही साधारण बात है। इनका नतीजा यह है कि पिछले सालों के मुकाबले लीबिया में आतंकी हमलों में 255% तक की बढ़त हुई है।
 
थाईलैंड : यह एशियाई देश कुछ समय पहले तक पूरी तरह शांति का टापू था और यहां पर विदेशी पर्यटकों से होने वाली आय के चलते देश की अर्थव्यवस्था चलती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान थाईलैंड में मुस्लिम आतंकी हमलों का ग्राफ 16% बढ़ गया है और यहां दो स्थानीय धर्मों के लोगों के बीच काफी तनाव होता रहता है।

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