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ISIS के कारण होगा तीसरा विश्वयुद्ध, नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी होगी सच!

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संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
'धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।' (vi-10)...'साम्प्रदायिकता और श‍त्रुता के एक लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।' (6-10)
फ्रांस में 16वीं सदी के दौरान कई भविष्यवाणियां कर चुके नास्त्रेदमस की क्या एक और भविष्यवाणी के सच होने का समय आ चुका है? लक्षण तो यही दिखाई दे रहे हैं। आज चारों और युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। दुनिया आतंकवाद से अब इस कदर त्रस्त हो चली है कि अब आर या पार की लड़ाई के बारे में विश्व राजनेता सोचने लगे हैं। 
 
नास्त्रेदमस ने 16वीं शताब्दी में ही प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, नेपोलियन के साम्राज्य समेत तमाम भविष्यवाणियां की थीं, जो सच साबित हुई हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि तृतीय विश्‍व युद्ध को लेकर उन्होंने जो भविष्यवाणी की है उसके भी सच होने का अब समय आ चुका है। आओ जानते हैं कि किस तरह इस्लामिक आतंकवादी संगठन ISIS दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध के लिए धकेल देगा और फिर हो जाएगा आधी दुनिया का अंत...
 
फिलहाल युद्ध के संबंध में कुछ कारण नजर आते हैं पहला इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष, दूसरा दक्षिण कोरिया-उत्तर कोरिया का संघर्ष, तीसरा आतंकवादी संगठन आईएस का विस्तार और चौथा भारत-पाक तनाव। चारों जगहों पर तनाव अपने चरम पर है जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है और इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकता है। 
 
आओ इससे पहले जानते हैं कि आखिर क्यों हुआ था प्रथम और द्वितिय विश्‍व युद्ध और इस युद्ध में कितने लोगों की जान गई थी। अगले पन्ने पर...
 

प्रथम विश्व युद्ध : 1914 से 1919 के मध्य यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के जल, थल और आकाश में प्रथम विश्‍व युद्ध लड़ा गया। प्रथम विश्वयुद्ध लगभग 52 महीने तक चला और अनुमानतः एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इस युद्ध में 37 देशों ने भाग लिया था। प्रथम विश्वयुद्ध का तात्का‍लिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिंनेंड की हत्या था।
 
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मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड (ब्रिटेन), जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा फ्रांस थे। धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली जैसे देशों ने भी किया था। प्रथम विश्वयुद्ध 11 नवंबर 1918 ई. में खत्म हुआ था। युद्ध खत्म होने के बाद 1919 में वरसाई की संधि में जर्मनी को युद्ध का जिम्मेदार बताया गया और इसके लिए बर्लिन पर बंदिशें लगाई गईं। प्रथम विश्‍व युद्ध में 10 लाख भारतीय सैनिकों ने विदेशों में अपनी सेवाएं दी। तब युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी, लेकिन इससे भारत को क्या मिला? कुछ भी नहीं सिर्फ पदक...
 
द्वितिय विश्‍व युद्ध : दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला और इसमें कुल 70 देशों ने भाग लिया था। इस युद्ध में एक और थे ब्रिटेन और उसके सहयोगी अमेरिका, चीन, फ्रांस, पोलैंड, सोवियत संघ आधि थे तो दूसरी ओर जर्मन, जापान, इटली और उनके सहयोगी राष्ट्र और सेनाएं भी थी। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं, क्योंकि इस युद्ध में असैनिक नागरिकों का नरसंहार किया गया जिसमें नागासाकी और हीरोशिमा के घाव अभी भी ताजा हैं।
 
उल्लेखनीय है कि सुभाषचंद्र बोस की सेना जापान की ओर से लड़ी थी तो ब्रिटिश राज के अधिन भारतीय सेना ब्रिटेन की ओर से लड़ी थी। इस युद्ध के दौरान 2 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था। 36,000 भारतीय सैनिकों को अपनी जान गवाना पड़ी और 67,340 सैनिक युद्ध में बंदी बना लिए गए जिनका कोई पता नहीं चला और 34,354 से अधिक घायल हुए।  लेकिन इससे भारत को क्या मिला? कुछ भी नहीं सिर्फ पदक...
 
अगले पन्ने पर पर जानिए नास्त्रेदमस द्वारा की गई तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी...
 

14 दिसंबर 1503 को फ्रांस में जन्मे नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्व युद्ध की जो भविष्यवाणी की है वह बहुत ही डराने वाली है। उन्होंने 21वीं शताब्दी में तीसरे विश्वयुद्ध की भविष्यवाणी की थी, जिसका उद्गम उन्होंने मेसोपेटामिया (आधुनिक इराक-सीरिया) को कहा था। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के मुताबिक मेसोपेटामिया की पवित्र भूमि से ईश्वर के तीसरे विरोधी के उत्थान की बात कही थी, जो अब तक आईएसआईएस के रूप में सच होती नजर आ रही थी।
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ये नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी थी, जिन्होंने कहा था कि नेपोलियन और हिटलर जैसे ईश्वरविरोधी दुनिया के बड़े हिस्सों में खून बहाएंगे। हुआ भी यही। नेपोलियन ने समूचे यूरोप में मारकाट मचाया और फ्रांस के साम्राज्य को विस्तार दिया। ऐसा ही हिटलर ने दुनिया का किया।
 
आईएसआई के कारमानों के देखते हुए लगता तो यह है कि वे भी ईश्‍वर विरोधी है तभी तो शैतानी कार्य करते हुए मारकाट मचा रहे हैं लेकिन उनका ईश्‍वर विरोधी होना कर्म से है जबकि रशिया, जर्मन, चीन और जापान जैसी शक्तियां वैचारिक स्तर पर ईश्‍वर विरोधी है। हालांकि दोनों ही तरह की शक्तियां का विश्‍व में उत्भव और वर्चस्व है। 
 
नास्त्रेदमस के भविष्यवाणी को अगर इतिहासकारों और विशेषज्ञों की नजर से देखें, तो नास्त्रेदमस ने तृतीय विश्वयुद्ध का संभावित समय 2042 बताया है, जबकि उससे 27 साल पहले ईश्वर के इस शक्तिशाली विरोधी (आईएसआईएस) का बढ़ना होगा।
 
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को लेकर चलने वाली एक वेबसाइट पर दावा किया गया है कि तृतीय विश्वयुद्ध से पहले पूरी दुनिया बड़ी मारकाट देखेगी, जो 27 सालों तक चलेगी। इस हिसाब से साल 2015 ही वो समय है। और दुर्योग देखिए कि आईएसआईएस ने इसी साल दुनिया पर कब्जे की अपनी साजिश पेश की है, जिसमें यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बड़े हिस्से पर कब्जे की रणनीति को बताया गया है।
 
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के बारे में वेबसाइट ने कहा है कि नास्त्रेदमस ने उस शैतानी शक्ति का प्रतीक काले रंग को कहा है, और आईएसआईएस के झंडे का रंग भी काला है। वहीं उसके लड़ाके भी काली पोशाक पहने नजर आते हैं। फिलहाल आईएसआईएस दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर आतंकी संगठन बन गया है और उसकी हरकतों के चलते दुनियाभार के देशों के कान खड़े हो गए हैं।
 
नास्त्रेदमस अनुसार कब और कैसे शुरू होगा तीसरा युद्ध...
 

नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की पुस्तक में लिखा है- 'एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा। उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा।'
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एक दूसरे चेप्टर में वे तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत के समय कौन-कौन और क्या होगा यह लिखते हैं- तीन ओर समुद्र जल से घिरे देश में एक नेता होगा, जो 'जंगली' नाम वाला होगा, जो भारत में प्रधानमंत्री पद पर बैठेगा- (क्या हम मानें कि इस वक्त 'सिंह' ही एकमात्र नाम ऐसा है, जो जंगल से आता है)। 
 
आगे वे लिखते हैं- एक देश में जनक्रांति से नया नेता सत्ता संभालेगा (यह मिस्र में हो चुका है)। नया पोप दूसरे देश में बैठेगा (यह भी हो चुका है।)। मंगोल (चीन) चर्च के खिलाफ युद्ध छेड़ेगा। (चीन का अमेरिका के खिलाफ छद्मयुद्ध तो जारी है ही)। नया धर्म (इस्लाम) चर्च के खिलाफ भारी मारकाट करते हुए इटली और फ्रांस तक जा पहुंचेगा तब तृतीय युद्ध शुरू होगा।
 
नास्त्रेदमस ने अपनी एक भविष्यवाणी में कहा है कि जब तृतीय युद्ध चल रहा होगा उस दौरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तबाही और मौत का मंजर होगा, ऐसा जो आज तक कभी नहीं हुआ।
 
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के विश्लेषणों अनुसार जब तृतीय विश्वयुद्ध चल रहा होगा उसी दौरान आकाश से आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ेगा और हिंद महासागर में आग का एक तूफान खड़ा कर देगा। इस घटना से दुनिया के कई राष्ट्र जलमग्न हो जाएंगे।
 
ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार मानते हैं कि बस यह समय नजदीक ही आ रहा है।
 
क्यों हो सकता है एशिया में तीसरा विश्व युद्ध...
 

एशिया में कई देशों के पास परमाणु हथियार हैं। रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों से लैस हैं। एशिया एकमात्र महाद्वीप है जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान में परमाणु हमले का घाव झेल चुका है। 
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एशिया में वर्तमान समय में शक्ति संतुलन के लिए कई देशों में होड़ लगी है। शीत युद्ध की महाशक्ति रूस सहित चीन और भारत भी महाशक्ति के तौर पर अपना दावा पुख्ता करने में लगे हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे अस्थिर देशों में कई आतंकी संगठन है जो कभी भी परमाणु हथियार हासिल कर अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं।
 
मध्यपूर्व में भी हालत ठीक नहीं है और इन देशों में हाल में हुई क्रांति के दौरान हथियारों के बड़े जखीरे गायब हैं जिनके बारे में आशंका है कि वे छोटे देशों और आतंकी संगठनों के पास पहुंच चुके हैं। इसके अलावा अमेरिका और ब्रिटेन की माली हालत खस्ता है। विश्व युद्ध होने की स्थिति में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े हथियार निर्यातक देशों को भारी फायदा होगा। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है और वो अमेरिका द्वारा कोरियाई प्रायद्वीप और ताइवान को अमेरिकी समर्थन से नाराज है। 
 
रूस भी इस इलाके में अमेरिकी प्रभुता नहीं चाहता है और मौका पड़ ने पर अमेरिका के खिलाफ कदम उठाने से नहीं चूकेगा। भारत को वैसे तो शांति प्रिय देश माना जाता है और लेकिन अगर पाकिस्तान में अस्थिरता होती है तो वहां मौजूद कट्टरपंथी संगठन भारत के लिए दिक्कते पैदा कर सकते हैं। चीन और भारत दोनों ही पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से ग्रस्त है, लेकिन इसके बावजूद चीन ने पाकिस्तान को साथ देने के लिए मजबूर है। भारत के लिए ऐसे में कठिन परिस्थिति होगी लेकिन वह आखिकरकार विजेता बनकर उभरेगा। क्यों अगले पन्ने पर जानिए...
 
 

नास्त्रेदमस लिखते हैं, 'पांच नदियों के प्रख्‍यात द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा। इस राजनेता का नाम 'वरण' या 'शरण' होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के ‍जरिए समाप्त करेगा और इस कार्रवाई में छ: लोग मारे जाएंगे।' (सेंचुरी v-27)
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भारत में वैसे तो कई प्रसिद्ध नदियां हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा आदि। लेकिन पंजाब ऐसा क्षेत्र है जिसे पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। पंजाब अर्थात जहां पांच नदियां बहती हों। पूर्व में इसे पंचनद प्रदेश भी कहा जाता था। 
 
पंजाब प्राचीनकाल से धरती की राजनीति का मुख्य केंद्र भी रहा है। ये पांच नदियां हैं- सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम। इन पांचों नदियों का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। तो क्या पंजाब से होगा महान राजनेता? पंजाब के इतिहास को देखें तो गुरुनानक देव, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंदसिंह जैसी महान विभूतियों का इसी क्षेत्र से ताल्लुक है।
 
'शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान 'शायरन' जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा।' (v-70)
 
'एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।' (x-75)
 
उक्त भविष्यवाणी से लगता है कि उस 'महापुरुष' का नाम 'श' से शुरू होगा। 'वरण' या 'शरण' जैसे नाम तो भारत में ही होते हैं, लेकिन 'शायरन' नाम जरूर अजीब है। नास्त्रेदमस ने अंग्रेजी में cheyren लिखा है।
 
इस दौरान 'एलस' नाम से एक और व्यक्ति होगा जिसकी बर्बरता के बारे में लिखा गया है।
 
'उसका हाथ अंतत: खूनी एलस (ALUS) तक पहुंच जाएगा। समुद्री रास्ते से भागने में भी नाकाम रहेगा। दो नदियों के बीच सेना उसे घेर लेगी। उसके किए की सजा क्रुद्ध काला उसे देगा।'- (6-33
 
आगे पढ़ें कब आएगा दुनिया का मुक्तिदाता..
 

'पैगंबर के कुल नाम के अंतिम अक्षर से पहले के नाम वाले, सोमवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। अपनी सनक में वह अनुचित कार्य भी करेगा। जनता को करों से आजाद कराएगा।' (1-28)
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पैगंबर तो एक ही हैं मुहम्मद। उनके कुल का नाम हाशमी था। हाशमी के अंतिम अक्षर के पहले 'श', यानी जिस नेता के प्रादुर्भाव की बात कही जा रही है उसका नाम 'श' से शुरू होना चाहिए। यदि हम कुल का नाम न मानें तो मुहम्मद के अंतिम अक्षर के नाम के पहले 'म' आता है।
 
'धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।' (vi-10)
 
'साम्प्रदायिकता और श‍त्रुता के एक लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।' (6-10)
 
'सत्रह साल के भीतर पांच पोप बदले जाएंगे तब एक नया धर्म आएगा।'- 5-96
 
'महान सितारा सात दिन तक जलेगा और एक बादल से निकलेंगे दो सूरज, एक बड़ा कुत्ता रोएगा सारी रात और एक महान पोप अपना मुल्क छोड़ देगा।'
 
पोप बेनेडिक्ट 16वें ने अचानक इस्तीफा दे दिया और मुल्क छोड़कर चले गए। 85 साल के पोप वैसे ही कमजोर हो रहे थे। इनसे पहले पोप जॉन पॉल द्वितीय 26 साल अपने पद पर रहे। यह वह साल चल रहा है जबकि दूसरे पोप का चयन हुआ है।
 
'अनीश्वरवादी और ईश्वरवादियों के बीच संघर्ष होगा।'- (6-62)। ऐसे माहौल में मुक्तिदाता आएगा शांतिदूत बनकर।
 
आगे पढ़ें, दुनिया में बढ़ेगी हिंदू धर्म की ताकत....
 
 

'सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग।' (x-96)
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चांद पर आधारित धर्म एक ही है इस्लाम और दुनिया में जितने भी सागर हैं उनमें से सिर्फ हिंद महासागर के नाम पर ही एक धर्म है जिसे हिंदू धर्म कहते हैं। आगे के वाक्य की व्याख्या करना कठिन है। लेकिन नास्त्रेदमस ने अपनी और भी भविष्यवाणियों में हिंदू धर्म के उत्थान की बात कही गई है।
 
'लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा।'
 
'पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा। वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा।'

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