Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

H1B वीजा संबंधी आदेश पर ट्रंप के हस्ताक्षर, क्या होगा भारतीयों पर असर...

हमें फॉलो करें H1B वीजा संबंधी आदेश पर ट्रंप के हस्ताक्षर, क्या होगा भारतीयों पर असर...
वाशिंगटन , बुधवार, 19 अप्रैल 2017 (07:42 IST)
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज उस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया जो H1B वीजा जारी करने की प्रक्रिया को कड़ा करेगा और प्रणाली की समीक्षा की मांग करेगा। इस वीजा की भारतीय आईटी फर्मों और पेशेवरों के बीच काफी मांग है। ट्रंप ने विस्कांसिन के केनोशा में इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए।
 
अमेरिका में यह अधिक कुशलता आधारित और योग्यता आधारित आव्रजन प्रणाली बनाने की दिशा में एक पर्वितनकारी कदम है। ट्रंप के इस कदम में अब अधिक कुशल पेशेवर ही H1B प्राप्त कर सकेंगे।  
 
इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए जाने से एक ही दिन पहले अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने घोषणा की थी कि उसने इस साल एक अक्तूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2018 के लिए 65000 H1B के कांग्रेशनल आदेश के लिए उसे प्राप्त 1,99,000 याचिकाओं से कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ पूरा कर लिया है।
 
ALSO READ: जानिए क्या है H1B वीजा, क्यों परेशान हो रहे हैं भारतीय...
ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार ट्रंप 'बाई अमेरिकन एंड हायर अमेरिकन' आदेश का संघीय अनुबंधों में अमेरिकी उत्पादों की खरीद को बढ़ाने के लिए सरकारी खरीद प्रैक्टिस में बदलाव के लिए भी उपयोग करेंगे। 

भारतीयों का दबदबा : अमेरिका उच्च कौशल प्राप्त कर्मियों को अपने यहां काम करने का मौका देने के लिए सालाना 85 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है। यह पूरी दुनिया के लिए होता है, लेकिन इसमें भारतीयों का दबदबा है। इसका 60 प्रतिशत  से अधिक भारतीयों को मिलता है। इसका कारण उनकी कुशलता और अपेक्षाकृत कम वेतन पर काम करना है। आंकड़ों के अनुसार एच-1बी वीजाधारक भारतीय कर्मियों की शुरुआती वेतन 65 से 70 हजार डॉलर सालाना के बीच होती है। वहीं पांच साल का अनुभव रखने वाले कर्मियों को 90 हजार से 1.1 लाख डॉलर तक की राशि मिलती है।
 
2015 यूएसआईसीए रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर क्षेत्र 86.5 फीसदी भारतीयों को, 5.1 फीसदी चीनी नागरिकों को 
0.8 फीसदी कनाडा निवासियों को, 7.6 फीसदी अन्य देशों के नागरिकों को एच 1 बी वीजा मिलता है, वहीं अगर इंजीनियरिंग क्षेत्र की बात करें तो यहां 46.5 फीसदी भारतीय, 19.3 फीसदी चीनी, 3.4 फीसदी कनाडाई, 30.8 फीसदी अन्य एच 1 बी वीजा मिला है।
 
भारत क्यों हैं चिंतित : अमेरिकी श्रम मंत्रालय के मुताबिक बीते साल इस वीजा के लिए आवदेन करने वाली कंपनियों में विप्रो, इंफोसिस और टीसीएस का नंबर क्रमश: पांचवां, सातवां और दसवां था। साथ ही इन्हीं कंपनियों को सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा की मंजूरी मिली थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इंफोसिस के कुल कर्मचारियों में 60 फीसदी से ज्यादा एच 1बी वीजा धारक हैं। इसके अलावा वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में एच-1बी वीजा धारकों में करीब 70 प्रतिशत भारतीय हैं।
 
आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि यदि अमेरिका में एच-1बी वीजा दिए जाने के नियमों में कोई बदलाव किया गया तो इससे सबसे ज्यादा भारतीय इंजीनियर और भारतीय कंपनियां प्रभावित होंगी। साथ ही इसका बुरा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। भारतीय जीडीपी में भारतीय आईटी कंपनियों का योगदान 9.5 प्रतिशत के करीब है और इन कंपनियों पर पड़ने वाला कोई भी फर्क सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।  
 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

IPL 10 : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने गुजरात लायन्स को 21 रनों से हराया