Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इस्लामिक गुटों का 'प्लेटफॉर्म ऑफ एक्शन' है तुर्की

हमें फॉलो करें इस्लामिक गुटों का 'प्लेटफॉर्म ऑफ एक्शन' है तुर्की
एक लीक हो गई जर्मन सरकार की खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की, सीरिया में सक्रिय आतंकवादियों और इस्लामी गुटों का खास मददगार बना हुआ है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की, इस्लामी गुटों और आतंकवादियों की कार्रवाई और रणनीति का नर्वसेंटर है। जर्मन गृह मंत्रालय के दस्तावेज मीडिया में भी आ गए हैं। इन दस्तावेजों से पता लगता है कि अंकारा की ओर से हमास और मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड को सक्रिय सहयोग दिया जा रहा है। मेल ऑनलाइन में इसाबेल हंटर का कहना है कि जर्मन सरकार की गोपनीय रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि तुर्की की सरकार मध्य पूर्व के सभी आतंकवादी गुटों की मददगार बनी हुई है।  
 
जर्मन गृह मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान की सरकार फिलिस्तीनियों के हमास, मिस्र के ‍मुस्लिम ब्रदरहुड और सीरिया में सक्रिय विभिन्न इस्लामी गुटों को मदद कर रही है। यह जानकारी तब सामने आई जब जर्मनी के वाम दल दाई लिंके ने जर्मन संसद, द बुंदेस्ताग से गोपनीय अनुरोध किया और कहा कि यह रिपोर्ट कैसे जर्मन पब्लिक ब्रॉडकास्टर एआरडी पर प्रसारित कर दी गई। एआरडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'तुर्की की सत्तारूढ़ पार्टी एकेपी और राष्ट्रपति एर्दोगन मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड, हमास, सीरिया में सक्रिय हथियारबंद इस्लामी विपक्षी दलों के गुटों की विचारधारा मुस्लिम ब्रदरहुड की विचारधारा के अनुरूप है।
 
विदित हो कि यह पहला मौका है जबकि जर्मन सरकार ने तुर्की के अधिकारियों और हमास, एक ईयू तथा अमेरिका में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के बीच सीधे संबंधों को उजागर किया है। इस्लामी उग्रवादी और राजनीतिक गुट, हमास का गाजा पट्‍टी के फिलीस्तीनी क्षेत्र में राज चलता है। इसने वहां पर 2006 में हुए चुनावों में जीत हासिल की थी और फिलिस्तीनी अथॉरिटी के साथ सत्ता में भागीदार है। जर्मनी के यूरोपीय मामलों के मंत्री माइकल रॉथ का कहना है कि जर्मनी अपनी इस चिंता को तुर्की की सरकार के सामने उठाता रहेगा ताकि इन संदिग्ध विद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
 
उल्लेखनीय है कि मिस्र के संगठन ‍मुस्लिम ब्रदरहुड को अमेरिका या यूरोपीय संगठन द्वारा एक आतंकवादी संगठन नहीं माना जाता है, लेकिन इस संगठन के विचार तुर्की के राजनीतिक इस्लाम की व्याख्या के परंपरागत रूप से करीबी माने जाते हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अंकारा के इन गुटों और संगठनों से संबंध गहरे हुए हैं और इसके चलते 2011 के बाद से तुर्की की घरेलू और विदेश नीतियों में कदम दर कदम इस्लामीकरण हुआ है। जर्मन सरकार एर्दोगन को खुलेआम आतंकवाद का आका घोषित नहीं करना चाहता है लेकिन 15 जुलाई को हुए असफल विद्रोह के बाद पश्चिमी देशों और तुर्की के संबंधों में खटास पैदा हो गई है। 
 
तुर्की इस बात से नाराज है कि उसके पश्चिमी देशों के समर्थकों ने असफल विद्रोह पर संवेदनहीनता दिखाई है। संभवत: इसी बात का नतीजा है कि तुर्की अब सोवियत संघ के साथ करीबी संबंध बढ़ा रहा है। हाल ही में एर्दोगन और पुतिन की क्रेमलिन में मुलाकात भी हुई है और शरणार्थियों के मुद्दे पर तुर्की ने यूरोपीय संघ को धमकी भी दी है कि वह अपने समझौते से हट सकता है। वहीं रॉथ का कहना है कि यूरोपीय संघ और तुर्की के बीच प्रवासियों को लेकर तभी कोई समझौता हो सकता है जबकि तुर्की अपने नागरिकों के लिए यूरोप की वीजा फ्री यात्रा के लिए उनकी 72 शर्तों को पूरी करे। फिलहाल इस बात की कोई संभावना नजर नहीं आती है कि तुर्की, यूरोपीय संघ की शर्तों को पूरा करने को लेकर कोई उत्साह प्रदर्शित करेगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या है बलूचिस्तान समस्या की जड़ में?