अमेरिका में रह रहे मुस्लिम प्रचारक फतेहुल्ला गुलेन को कथित तौर पर वित्तीय मदद देने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ पुलिस ने गुरुवार से अभियान शुरू किया है। तुर्की का मानना है कि बीते महीने के तख्तापलट के प्रयास के पीछे गुलेन का ही हाथ है।
सीएनएन-तुर्क की रिपोर्ट के मुताबिक इस्तांबुल और अन्य प्रांतों में इस अभियान के तहत 187 गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। इसमें बताया गया कि 15 प्रांतों में चले इस अभियान में लगभग एक हजार पुलिसकर्मी शामिल थे। इसके तहत इस्तानबुल में विभिन्न जिलों में एक साथ सौ स्थानों पर छापेमारी की गई।
बीते मंगलवार को तुर्क पुलिस ने 120 संदिग्धों की तलाश में इस्तांबुल की दर्जनों कंपनियों में छापेमारी की। लगभग एक सौ लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्रधानमंत्री बिनअली यिलदिरिम ने कल रात कहा कि 15 जुलाई के नाकाम तख्तापलट के बाद कथित गुलेन समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई में 40,029 सरकारी कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया था। इनमें से 20,335 अब भी हिरासत में ही हैं।
टीआरटी सार्वजनिक टेलीविजन के साथ साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि पांच हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को निकाल दिया गया है जबकि अन्य 80,000 को निलंबित किया गया है।
राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने गुलेन से संबंधित व्यवसायों, दान संस्थाओं और स्कूलों को बंद करने की मांग की थी और उन्हें 'आतंकी संगठन' या 'आतंक का गढ़' बताया था। वर्ष 1999 से अमेरिका में स्व:निर्वासन में रह रहे गुलेन ने सरकार के आरोपों से इनकार कर दिया है। अंकारा ने वाशिंगटन से गुलेन के प्रत्यर्पण की मांग की है और संकेत दिया है कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है। (भाषा)