लंदन। ब्रिटेन इस समय 30 सालों की सबसे बड़ी हड़ताल का सामना कर रहा है। वेतन में बढ़ोत्तरी और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर रेलवे के करीब 40,000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते स्टेशन कर्मचारी, मेंटनेंस कर्मचारी, सफाईकर्मी आदि ने काम करने से इंकार कर दिया है। इस हड़ताल की वजह से देश के अधिकांश शहरों में ट्रेनों के संचालन में बाधाएं आ रहीं है। रेलवे के साथ-साथ लंदन, लिवरपूल, ग्लासगो जैसे शहरों की अंडरग्राउंड मेट्रो का संचालन भी इससे प्रभावित हुआ है।
ब्रिटेन की न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार करीब 40 हजार से ज्यादा रेल कर्मी मंगलवार सुबह ही रेलवे स्टेशन के पास जमा हो गए थे, जिसके बाद कई ट्रेनें स्थगित हो गईं और अधिकांश रेलवे स्टेशन सुनसान हो गए।
इस हड़ताल पर यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि देश इस समय पिछले कई दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। सभी शासकीय व गैर शासकीय संस्थानों को COVID से पैदा हुई आर्थिक तंगी से पार पाने में समय लग सकता है।
बता दें कि ये संघर्ष ब्रिटेन की रेल कंपनियों और कर्मचारी संगठनों के बीच है, जिसमें कर्मचारी संघ ने रेल कंपनियों की ओर से दिए गए नवनिर्मित प्रस्ताव को अस्वीकार्य बताते हुए कहा है कि इस हफ्ते देश के अलग-अलग स्थानों पर कर्मचारियों द्वारा रेल कंपनियों की कथित मनमानी के विरोध में हड़ताल की जाएगी।
कर्मचारी संघ का कहना है कि रेल कंपनियों की ओर से आर्थिक संकट का हवाला देते हुए बहुत कम वेतन वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया था। पिछले कुछ सालों से इन कंपनियों ने रेल कर्मचारियों की वेतन वृद्धि पर भी रोक लगाई हुई है। इसी वजह से इतनी बड़ी तादाद में कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं।
यूनियनों ने ये भी कहा है कि ये हड़ताल डॉक्टरों, सफाईकर्मियों, शिक्षकों, वकीलों से लेकर औद्योगिक कर्मचारियों को भी अपने साथ जोड़ सकती है। इसकी वजह है खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि, जिससे लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। फिलहाल ब्रिटेन की सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत में शामिल होने से बच रही है, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री जॉनसन को विपक्षी सांसदों की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।