Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ब्रिटेन के ईयू में बने रहने में ही भारत का भला

Advertiesment
हमें फॉलो करें ब्रिटेन के ईयू में बने रहने में ही भारत का भला
लंदन। अगर गुरुवार को ब्रिटेन में हो रहे जनमत संग्रह का परिणाम देश के यूरोपीय संघ (यूरोपीय यूनियन) से अलग होना रहता है तो इससे दुनिया भर के देशों पर अलग-अलग तरह से असर पड़ेगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की यह जानने में बेहद रुचि है और कहा जा रहा है कि ब्रिटेन के संघ से हटते ही रूस संघ के बाकी सदस्यों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है क्योंकि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में न रहने का मतलब है कि नाटो देशों को एकजुट रखने वाला ब्रिटेन कमजोर हो जाएगा।  
 
हालांकि सच तो यह है कि ब्रिटेन संघ में रहे या नहीं रहे, इससे यूरोपीय संघ के स्वरूप पर कोई बड़ा असर पड़ने वाला नहीं है। लेकिन एशिया में चीन की अर्थव्यवस्था के कमजोर हो जाने से भारत समेत दुनिया भर के शेयर कारोबारियों के लिए एक नया खतरा पैदा हो जाएगा। आर्थिक जानकारों का मानना है कि यह राजनीतिक से ज्यादा आर्थिक महत्व की घटना साबित होगी। 
 
सबसे पहले यह भी जानना जरूरी है कि क्यों ब्रिटेन को ईयू से अलग होने की मांग उठी? अलग होने से भारत को क्या नुकसान हो सकते हैं और क्या है यूरोपियन यूनियन (यूरोपीय संघ) क्या है? अब सवाल यह उठता है कि ब्रिटेन में जनमत संग्रह कराने की जरूरत क्यों पड़ी?
 
ब्रिटेन में ही राजनीतिज्ञों का एक धड़ा यह मानता है कि ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलग होना देश के लिए बड़ा झटका होगा। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और कंजर्वेटिव पार्टी का भी यही मानना है।  ब्रिटेन के नागरिकों की राय भी इस मसले पर बंटी हुई है। इसलिए मामले पर जनमतसंग्रह करवाना सही समझा गया। तकरीबन 4 करोड़ 60 लाख लोग जनमतसंग्रह में हिस्सा लेने के योग्य हैं। लेकिन इससे पहले हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं। ईयू समर्थक लेबर सांसद जो कॉक्स की हत्या कर दी गई और हत्यारे का कहना था कि ब्रिटेन केवल ब्रिटिशों के लिए हैं। 
 
अगले पन्ने पर... क्या है ईयू, ब्रिटेन पर क्या होगा इसका असर... 

क्या है यूरोपीय संघ ? : ईयू 28 यूरोपीय देशों का संगठन है जिसमें प्रारंभ में 1957 में 6 देशों (बेल्जियम, फ्रांस, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स) ने इसकी नींव रखी थी। साल 2015 तक के आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय संघ की आबादी 50 करोड़ से ज्यादा हो गई है और सभी सदस्य देशों की एक करंसी, यूरो, है। 
संघ में शामिल देशों के नागरिक 28 देशों में से किसी भी देश में रह सकते हैं और व्यापार (फ्री ट्रेड) कर सकते हैं। 
 
ब्रिटेन को लाभ : इस घटना से ब्रिटेन को प्रतिवर्ष ईयू के वह राशि नहीं देनी होगी जोकि कर‍ीब 9 अरब डॉलर होती है। इसके परिणाम स्वरूप ईयू ने नागरिकों को ब्रिटेन की सीमाओं पर बिना रोक-टोक के आवाजाही पर लगाम लगेगी और इस फ्री वीजा नीति के कारण की ब्रिटेन को हो रहा नुकसान भी कम हो जाएगा। 
 
webdunia
ब्रिटेन को हानि : यूरोपीय संघ से अलग होने के कारण ब्रिटिश की जीडीपी में 1 से 3 प्रतिशत कमी का अनुमान है।
साथ ही, ब्रिटेन के लिए सिंगल मार्केट सिस्टम खत्म हो जाएगा और दूसरे यूरोपीय देशों में ब्रिटेन को कारोबार से जुड़ी दिक्कतें होंगी। इसके साथ ही, ईयू में ब्रिटेन का जो प्रभाव है, वह समाप्त हो जाएगा। 
 
अगले पन्ने पर... ईयू से ब्रिटेन के अलग होने का भारत को क्या होगा नुकसान... 

भारत क्या नुकसान हो सकता है ? : ब्रिटेन के ईयू से अलग होने पर पाउंड की कीमत 12 प्रतिशत तक कम हो सकती है और कमजोर पाउंड के चलते से डॉलर की मांग में वृद्धि होगी। मजबूत डॉलर के कारण रुपए की कीमत 70 के स्तर तक पहुंच सकती है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के डाटा के मुताबिक 2015-16 में ब्रिटेन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 14.02 अरब डॉलर (945 अरब रुपए) रहा। भारत ने ब्रिटेन से 5.19 अरब डॉलर का आयात किया और 8.83 अरब डॉलर का निर्यात किया। इस तरह भारत को इस कारोबार में 3.64 अरब डॉलर का फायदा हुआ। कुछ अध्ययनों के मुताबिक ब्रिटेन के ईयू से अलग होने पर उसके आयात में 25 प्रतिशत की कमी आएगी। ऐसे में भारत के कारोबार को नुकसान हो सकता है। 
 
भारत के लिए ईयू का प्रवेश द्वार है ब्रिटेन  : सिर्फ ब्रिटेन में 800 भारतीय कंपनियां है. जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। भारतीय आईटी कंपनियों की 6 से 18 प्रतिशत कमाई ब्रिटेन से होती है। गौरतलब है कि भारतीय कंपनियां ब्रिटेन के रास्ते ही यूरोप के 28 देशों तक पहुंचती हैं। अगर ब्रिटेन ईयू से बाहर निकला तो यह पहुंच बंद हो जाएगी और यूरोप के देशों से भारत को अल-अलग नए करार करने होंगे। इससे कंपनियों के खर्च में इजाफा होगा। साथ ही हर देश के नियम-कानूनों का भी पालन करना होगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गाड़ी चलाते समय आई नींद, गई साथी की जान...